बिहार विधानसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयान से आहत पूर्व CM जीतन राम मांझी का मौन धरना स्थगित हो गया है। पटना हाईकोर्ट के पास जीतन राम मांझी ने मौन धरना देने का ऐलान किया था लेकिन धरना से पहले ही प्रशासन ने मांझी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया और जिला प्रशासन ने इसकी इजाजत नहीं दी, जिसकी वजह से मांझी का सियासी धरना स्थगित हो गया।
हालांकि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ हल्ला बोलने वाले हम संरक्षक जीतन राम मांझी ने एक और बड़ी घोषणा कर दी है और ऐलान किया है कि वे छठ के बाद दिल्ली के राजघाट पर धरना देंगे और साथ ही कानूनी कार्रवाई भी करेंगे। मौन घरना स्थगित होने के बाद जीतन राम मांझी मीडिया से रू-ब-रू हुए और कहा कि नीतीश कुमार ने सदन के अंदर दलितों का अपमान किया है।
जीतन राम मांझी ने कहा कि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर हमारे भगवान हैं। हम उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण कर मौन धारण करना चाहते थे लेकिन प्रशासन ने इसकी इजाजत नहीं दी। बिहार विधानसभा के अंदर बोलने नहीं दिया जाता है और यहां पर भी उन्हें माल्यार्पण से रोका जा रहा है।
“देश के दलितों का नीतीश ने किया अपमान”
इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार ने विधानसभा में महिलाओं के बारे में अपशब्द और शर्मनाक बातें कही हैं। मुझ जैसे दलित नेता, जो नीतीश कुमार से उम्र में बड़ा है, उसका अपमान किया गया। नीतीश कुमार ने उनसे तू-तड़ाक किया। उन्होंने जीतन राम मांझी का नहीं बल्कि बिहार के साथ-साथ देश के दलितों का अपमान किया है।
‘नीतीश कुमार ने हमें प्रताड़ित किया’
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के नेता जीतन राम मांझी ने आगे कहा कि इसी मुद्दे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने भाषणों में उठाया है। हम प्रधानमंत्री के प्रति आभार व्यक्त करते हैं कि आप हमेशा से ही हमारे साथ खड़े रहे हैं। जब नीतीश कुमार ने हमारे जैसे आदमी को प्रताड़ित करने का काम किया तो आपने इस मुद्दे पर हमारा साथ दिया।
पटना में मौन धरने पर जीतन राम मांझी
पूर्व सीएम मांझी ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि मेरे अपमान के सहारे पूरे दलित समाज को जलील करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ 14 नवंबर को सुबह 11.30 बजे पटना उच्च न्यायलय के निकट अंबेडकर स्मारक पर एक मौन प्रदर्शन का आयोजन किया गया है, जिसमें सभी संगठनों के साथ-साथ मैं भी उपलब्ध रहूंगा।
विधानसभा में नीतीश ने निकाली थी भड़ास
बिहार विधान मंडल के शीतकालीन सत्र के दौरान जीतन राम मांझी जातीय गणना को लेकर सवाल उठा रहे थे, तभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने मांझी को निशाने पर लेते हुए कहा था कि मेरी मूर्खता थी कि मैंने इसे सीएम बनाया। इन्हें कोई सेंस नहीं। कुछ भी बोलता रहता है।
नीतीश ने कहा था-मांझी को CM बनाना मेरी मूर्खता
दरअसल 9 नवंबर को सदन में जातीय गणना के आधार पर आरक्षण संशोधन विधेयक पर चर्चा हो रही थी। इसी पर हम सुप्रीमो जीतन राम मांझी अपनी बात रख रहे थे। इसे लेकर पूर्व सीएम मांझी ने आपत्ति जताई तो नीतीश आगबबूला हो गए। उन्होंने यहां तक कह दिया कि इसे सीएम बनाना मेरी मूर्खता थी। इसके बाद से लगातार जीतन राम मांझी इसका विरोध कर रहे हैं।
मोदी बोले-नीतीश अहंकारी हैं, दलितों का अपमान किया
पीएम मोदी ने 11 नवंबर को सिकंदराबाद (तेलंगाना) में दलित महासभा को संबोधित करते हुए नीतीश पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि नीतीश ने मेरे करीबी दोस्त और दलित नेता रामविलास पासवान जी का लगातार अपमान किया था। पासवान जी को राज्यसभा सीट की बात आई थी तो वो समर्थन देने में आनाकानी करते रहे। चिराग पासवान में ये दर्द मैंने महसूस किया है।
पीएम ने आगे कहा कि दो दिन पहले बिहार में हमने देखा है कि विधानसभा में सदन के अंदर एक और दलित नेता, एक पूर्व मुख्यमंत्री का अपमान किया गया है। जीतन राम मांझी जो दलितों में भी अति दलित हैं, जिन्होंने अपने जीवन में बहुत ही संघर्ष किया है। उनको बिहार के सीएम ने बुरी तरह अपमानित किया। जीतन बाबू को जताने की कोशिश की गई कि वो सीएम पद के योग्य नहीं थे। ये अहंकार की भावना, दलितों के अपमान की भावना कांग्रेस और उसके सहयोगियों की पहचान है।
इसके बाद पूर्व सीएम मांझी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार जताया है। उन्होंने कहा कि जब हमारे जैसे व्यक्ति को नीतीश कुमार ने प्रताड़ित करने का काम किया तो आपने इस मुद्दे को अहम समझा। हमारा साथ दिया है। दलितों काे सम्मान दिया है।
नीतीश का विधानसभा में मांझी पर दिया पूरा बयान पढ़िए
बिहार विधानसभा में 9 नवंबर को सीएम नीतीश कुमार और पूर्व जीतन राम मांझी के बीच तीखी नोकझोंक हुई। मांझी आरक्षण की समीक्षा की मांग कर रहे थे। तभी CM ने उन्हें बीच में ही टोका और कहा- मेरी मूर्खता से ये मुख्यमंत्री बने थे। इसे राज्यपाल बनने की चाहत है। मुख्यमंत्री ने बीजेपी विधायकों की ओर इशारा करते हुए कहा कि इसे गवर्नर क्यों नहीं बना देते हैं।
नीतीश ने कहा कि इनको कुछ आइडिया है। जब मैंने आपको सीएम बनाया तो कोई था क्या आपके साथ। सीएम को शांत कराते हुए स्पीकर ने कहा कि मुख्यमंत्री जी ये बिहार ही नहीं देश जानता है। आपने ही जीतनराम मांझी को CM बनाया था।
नीतीश बोले- इसे कोई सेंस नहीं है। हम कह रहे थे कि आप लोगों के ही साथ रहिए, लेकिन ये भाग कर आ गया था। इसलिए इस बार हम भगा दिए। 2013 में जब मैंने बीजेपी को छोड़ दिया था, तब मैंने इनको CM बनाया। जिसके बाद मेरी पार्टी के जो लोग थे वो दो ही महीने में कहने लगे कि ये गड़बड़ है, इसे हटाइए। ये क्या मुख्यमंत्री है। इसे कोई ज्ञान नहीं है।
बता दें कि जीतन राम मांझी राज्य के 23वें मुख्यमंत्री थे। उसका कार्यकाल 20 मई 2014 से 20 फरवरी 2015 तक रहा।
अब पढ़िए कैसे शुरू हुआ मांझी-नीतीश में विवाद
9 नवंबर को आरक्षण संशोधन विधायक में हुए संशोधन पर चर्चा के दौरान जीतन राम मांझी ने कहा कि बिहार में जो जातीय गणना हुई है, मुझे उस पर भरोसा नहीं है। मांझी ने कहा कि आरक्षण पर हर 10 साल में समीक्षा की बात कही गई है , लेकिन क्या बिहार सरकार ने आरक्षण की समीक्षा की। आरक्षण का धरातल पर क्या हाल सरकार को उसे देखना चाहिए। इतना कहते ही जीतन राम मांझी पर सीएम नीतीश कुमार भड़क गए और मांझी को जमकर खरी-खोटी सुना दी।
मांझी बोले- नीतीश मानसिक संतुलन खो बैठे हैं
सीएम नीतीश सदन में अनाप-शनाप बोल रहे हैं। उम्र में मैं उनसे बड़ा हूं, लेकिन वो मुझसे तुम-ताम करके बात करते हैं। मुख्यमंत्री ने अपना मानसिक संतुलन खो दिया है। उन्होंने मुझे अंडरएस्टिमेट किया। उन्होंने मुझे ये सोचकर सीएम बनाया कि भुईंया जाति से है, सीधा-साधा है। लेकिन मैंने काम किया। आज सदन में जो भी हुआ उससे आहत हूं। स्पीकर ने मुझे बोलने तक का मौका नहीं दिया।
मांझी बोले- नीतीश को खाने में जहर दिया जा रहा
इसके अगले दिन याने 10 नवंबर को सीएम के बयान को लेकर मांझी ने विधानसभा में धरना दिया। विधानसभा गेट पर धरने पर बैठे पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार के खाने में कोई विषैला पदार्थ मिला रहा है। उन्हें गद्दी से हटाने के लिए, किसी और को सीएम बनाने के लिए एक बड़ी साजिश रची जा रही है। उन्होंने कहा, ‘इसके कारण ही वह इस तरह की हरकतें कर रहे हैं। कभी विधानसभा में महिलाओं पर विवादित टिप्पणी देते हैं, तो कभी मंत्री अशोक चौधरी के पिता को श्रद्धांजलि देने की बजाय जिंदा मंत्री पर ही फूल चढ़ाने लगते हैं।’
जानिए मांझी के सीएम बनने और हटने का पूरा घटनाक्रम..
2014 का लोकसभा चुनाव नीतीश कुमार ने बीजेपी से अलग होकर अकेले लड़ा था। चुनाव में उनकी करारी हर हुई थी। इसकी जिम्मेदारी लेते हुए नीतीश ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था।
9 मई 2014 को नीतीश ने अपनी ही पार्टी के सबसे विश्वासपात्र और करीबी जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दी।
सीएम बनने के कुछ महीने तक मांझी नीतीश कुमार के अनुसार ही फैसले ले रहे थे। इस वजह से विपक्षी पार्टियों ने उन्हें रबर स्टाम्प कहना शुरू कर दिया।
विपक्ष के इस आरोप के बाद मांझी खुद फैसले लेने लगे। इसके बाद उनकी नीतीश से दूरियां बढ़ने लगी। उन पर इस्तीफा देने का दवाब बनाया जाने लगा, लेकिन मांझी अड़े हुए थे।
20 फरबरी 2015 में उन्हें JDU से निकल दिया गया। मजबूरन उन्हें सीएम पद से हटना पड़ा। नीतीश कुमार फिर से बिहार के सीएम बने।
जीतन राम मांझी 9 महीने तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। 2015 में उन्होंने अपनी नई हम (हिंदुस्तान आवाम मोर्चा) पार्टी बनाई और विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ हो लिए।
2017 में नीतीश कुमार में फिर बीजेपी के साथ आ चुके थे। इधर, 2019 में जब लोकसभा चुनाव का वक्त आया तो जीतनराम मांझी NDA से गठबंधन छोड़कर एक बार फिर से महागठबंधन में आ गए। इस लोकसभा चुनाव में HAM तीन लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ी लेकिन मांझी समेत तीनों ही कैंडिडेट चुनाव हार गए।
2020 विधानसभा चुनाव में मांझी एक बार फिर से नीतीश कुमार के साथ हो गए। विधानसभा चुनाव में हम पार्टी को 7 सीटें मिलीं। इसमें से 4 पर पार्टी ने जीत हासिल की। नीतीश सरकार में जीतनराम मांझी के बेटे संतोष सुमन मंत्री बने।
13 जून 2023 को संतोष सुमन ने नीतीश सरकार से इस्तीफा दे दिया है और महागठबंधन से अलग होने का फैसला लिया। तब से वे लगातार नीतीश कुमार और उनकी सरकार पर हमलावर हैं।