इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) ने शनिवार को गगनयान मिशन के क्रू एस्केप सिस्टम की सक्सेसफुल टेस्टिंग की। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 10 बजे इसे लॉन्च किया गया था। इसे टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 (TV-D1) नाम दिया गया।
#WATCH ISRO प्रमुख एस. सोमनाथ ने कहा, "मुझे गगनयान टीवी-डी1 मिशन की सफलता की घोषणा करते हुए बहुत खुशी हो रही है।" pic.twitter.com/CKx35A8fJB
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 21, 2023
ये मिशन 8.8 मिनट का था। इस मिशन में 17 Km ऊपर जाने के बाद सतीश धवन स्पेस सेंटर से 10 Km दूर बंगाल की खाड़ी में क्रू मॉड्यूल को उतारा गया। रॉकेट में गड़बड़ी होने पर अंदर मौजूद एस्ट्रोनॉट को पृथ्वी पर सुरक्षित लाने वाले सिस्टम की टेस्टिंग की गई।
टेस्ट फ्लाइट में तीन हिस्से थे- अबॉर्ट मिशन के लिए बनाया सिंगल स्टेज लिक्विड रॉकेट, क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम। विकास इंजन को मॉडिफाई कर ये रॉकेट बनाया गया था। वहीं क्रू मॉड्यूल के अंदर का वातावरण अभी वैसा नहीं था जैसा मैन्ड मिशन में होगा।
दो बार मिशन को टाला था मिशन
इससे पहले आज ही दो बार मिशन को टाला गया था। इसे 8 बजे लॉन्च किया जाना था, लेकिन मौसम ठीक नहीं होने कारण इसका टाइम बदलकर 8.45 किया गया। फिर लॉन्चिंग से 5 सेकेंड पहले इंजन फायर नहीं हो पाए और मिशन टल गया। इसरो ने कुछ देर बाद गड़बड़ी ठीक कर ली।
तकनीकी खामी के चलते टालनी पड़ी थी लॉन्चिंग
इससे पहले इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में बताया, ‘गगनयान के टीवी-डी1 लॉन्च को रोकने के कारण की पहचान करके उसे ठीक कर लिया गया. प्रक्षेपण सुबह 10 बजे करने की योजना है.’
टेस्टिंग में अबॉर्ट जैसी सिचुएशन बनाई गई
- टेस्ट व्हीकल क्रू मॉड्यूल को ऊपर ले गया। जब रॉकेट साउंड की स्पीड से 1.2 गुना था तो अबॉर्ट जैसी सिचुएशन बनाई गई। लगभग 17 किमी की ऊंचाई पर क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम अलग हो गए। क्रू मॉड्यूल को यहां से लगभग 2 Km दूर ले जाया गया और श्रीहरिकोटा से 10 Km दूर समुद्र में लैंड कराया गया।
- इस मिशन में वैज्ञानिकों ने यह टेस्ट किया कि अबॉर्ट ट्रैजेक्टरी क्या ठीक तरह से काम किया। असल मिशन के दौरान रॉकेट में खराबी आने पर एस्ट्रोनॉट कैसे सुरक्षित रूप से लैंड करेंगे इसकी टेस्टिंग की गई। मिशन टेस्टिंग के लिए कुल चार टेस्ट फ्लाइट भेजी जानी हैं। TV-D1 के बाद TV-D2, D3 और D4 को भेजा जाएगा।
- अगले साल की शुरुआत में गगनयान मिशन का पहला अनमैन्ड मिशन प्लान किया गया है। अनमैन्ड मिशन यानी इसमें किसी भी मानव को स्पेस में नहीं भेजा जाएगा। अनमैन्ड मिशन के सफल होने के बाद मैन्ड मिशन होगा, जिसमें इंसान स्पेस में जाएंगे। मैन्ड मिशन के लिए इसरो ने साल 2025 की टाइमलाइन तय की है।
गगनयान मिशन में तीन एस्ट्रोनॉट 400 KM ऊपर जाएंगे
‘गगनयान’ में 3 दिनों के मिशन के लिए 3 सदस्यों के दल को 400 KM ऊपर पृथ्वी की कक्षा में भेजा जाएगा। इसके बाद क्रू मॉड्यूल को सुरक्षित रूप से समुद्र में लैंड कराया जाएगा। अगर भारत अपने मिशन में कामयाब रहा तो वो ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। इसे पहले अमेरिका, चीन और रूस ऐसा कर चुके हैं।
- 12 अप्रैल 1961 को सोवियत रूस के यूरी गागरिन 108 मिनट तक स्पेस में रहे।
- 5 मई 1961 को अमेरिका के एलन शेफर्ड 15 मिनट स्पेस में रहे।
- 15 अक्टूबर 2003 को चीन के यांग लिवेड 21 घंटे स्पेस में रहे।
बेंगलुरु में स्थापित ट्रेनिंग फैसिलिटी में एस्ट्रोनॉट की ट्रेनिंग
इसरो इस मिशन के लिए चार एस्टोनॉट्स को ट्रेनिंग दे रहा है। बेंगलुरु में स्थापित एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग फैसिलिटी में क्लासरूम ट्रेनिंग, फिजिकल फिटनेस ट्रेनिंग, सिम्युलेटर ट्रेनिंग और फ्लाइट सूट ट्रेनिंग दी जा रही है।
PM मोदी ने 2018 में गगनयान मिशन की घोषणा की थी
साल 2018 में, PM मोदी ने स्वतंत्रता दिवस भाषण में गगनयान मिशन की घोषणा की थी। 2022 तक इस मिशन को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। हालांकि, कोविड महामारी के कारण इसमें देरी हुई। अब 2024 के अंत या 2025 की शुरुआत तक इसके पूरा होने की संभावना है। गगनयान मिशन के लिए करीब 90.23 अरब रुपए का बजट आवंटित किया गया है।