केंद्रीय कैबिनेट ने बिहार और झारखंड में उत्तरी कोयल जलाशय परियोजना के शेष कार्यों को पूरा करने की संशोधित लागत को मंजूरी दे दी है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने उत्तरी कोयल जलाशय परियोजना के शेष कार्यों को संशोधित 2430.76 करोड़ रुपये (केंद्रीय हिस्सा 1836.41 करोड़ रुपये) की लागत से पूरा करने के लिए जलशक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के एक प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है, जबकि अगस्त, 2017 में शेष कार्य के लिए पहले स्वीकृत लागत 1622.27 करोड़ रुपये (केंद्रीय हिस्सा 1378.60 करोड़ रुपये) की थी.
काम पूरा होने के बाद ये परियोजना झारखंड और बिहार के चार सूखाग्रस्त जिलों में 42,301 हेक्टेयर क्षेत्र को अतिरिक्त वार्षिक सिंचाई प्रदान करेगी. उत्तरी कोयल जलाशय परियोजना एक अंतर-राज्यीय प्रमुख सिंचाई परियोजना है, जिसका कमान क्षेत्र दो राज्यों बिहार और झारखंड में है. इस परियोजना में कुटकू गांव (जिला लातेहार, झारखंड) के पास उत्तरी कोयल नदी पर एक बांध, बांध के नीचे 96 किमी एक बैराज (मोहम्मदगंज, जिला पलामू, झारखंड), दाहिनी मुख्य नहर (आरएमसी) और बैराज से बाईं मुख्य नहर (एलएमसी) शामिल हैं.
1993 से रुका हुआ था काम
बिहार सरकार द्वारा उसके अपने संसाधनों से साल 1972 में बांध के निर्माण के साथ-साथ अन्य सहायक गतिविधियां शुरू की गईं. काम 1993 तक जारी रहा और उस साल बिहार सरकार के वन विभाग द्वारा रोक दिया गया. बांध में जमा पानी से बेतला नेशनल पार्क और पलामू टाइगर रिजर्व को खतरा होने की आशंका के कारण बांध का काम रुका हुआ था. काम रुकने के बाद ये परियोजना 71,720 हेक्टेयर में वार्षिक सिंचाई प्रदान कर रही थी. नवंबर 2000 में बिहार के विभाजन के बाद, बांध और बैराज का मुख्य कार्य झारखंड में हैं.
पलामू टाइगर रिजर्व के मुख्य क्षेत्र को बचाने के लिए लिया गया था फैसला
इसके अलावा मोहम्मदगंज बैराज से पूरी 11.89 किमी बाईं मुख्य नहर (एलएमसी) झारखंड में है. हालांकि, दाहिनी मुख्य नहर (आरएमसी) के 110.44 किमी में से पहला 31.40 किमी झारखंड में है और शेष 79.04 किमी बिहार में है. वर्ष 2016 में, भारत सरकार ने परिकल्पित लाभों को हासिल करने के लिए परियोजना को संचालित और उत्तरी कोयल जलाशय परियोजना के शेष कार्यों को पूरा करने के लिए सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया. पलामू टाइगर रिजर्व के मुख्य क्षेत्र को बचाने के लिए जलाशय के स्तर को कम करने का निर्णय लिया गया. परियोजना के शेष कार्यों को 1622.27 करोड़ रुपये के अनुमानित व्यय पर पूरा करने के प्रस्ताव को अगस्त 2017 में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया था.
केंद्र 1836.41 करोड़ रुपये उपलब्ध कराएगा
इसके बाद दोनों राज्य सरकारों के अनुरोध पर कुछ अन्य घटकों को परियोजना में शामिल करना आवश्यक पाया गया. परिकल्पित सिंचाई क्षमता प्राप्त करने के लिए तकनीकी दृष्टि से आरएमसी और एलएमसी की पूर्ण लाइनिंग को भी आवश्यक माना गया. इस प्रकार, गया वितरण प्रणाली के कार्य, आरएमसी और एलएमसी की लाइनिंग, रास्ते में संरचनाओं की रीमॉडलिंग, कुछ नई संरचनाओं का निर्माण और परियोजना से प्रभावित परिवारों (पीएएफ) के राहत एवं पुनर्वासन (आर एंड आर) के लिए एकबारगी विशेष पैकेज को अद्यतन लागत अनुमान में प्रदान किया जाना था. इसके अनुसार परियोजना का संशोधित लागत अनुमान तैयार किया गया था. शेष कार्यों की लागत 2430.76 करोड़ रुपये में से केंद्र 1836.41 करोड़ रुपये उपलब्ध कराएगा.