भाकपा माले महासचिव दीपंकर भ^ाचार्य ने कहा कि महिला आरक्षण तत्काल प्रभाव से लागू होना चाहिए और आगामी लोकसभा चुनाव में महिलाओं को इसका फायदा मिलना चाहिए‚ लेकिन मोदी सरकार केवल चुनावी कार्ड खेलना चाहती है। महिला आरक्षण बिल के बारे में कहा गया है कि यह जनगणना और तदनुरूप परिसीमन के बाद लागू होगा। महिला आरक्षण बिल का नाम नारी शक्ति वंदन अधिनियम दिया गया है‚ जो देश व महिलाओं को उल्लू बनाने का काम है। आजादी के ७५ साल बाद भी प्रतिनिधि संस्थाओं में महिलाओं की बेहद कम उपस्थिति है। ऐसे में इसे तत्काल लागू किए जाने की जरूरत थी‚ लेकिन सरकार ऐसा नहीं कर रही है। अभी भी वक्त है कि संसद में बिल इस तरह पास किया जाए ताकि वह तत्काल प्रभाव से लागू हो सके।
माले महासचिव बुधवार को संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। महिला आरक्षण लागू करने के लिए जनगणना की कोई जरूरत नहीं है। यह फैक्ट है कि ५० प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व बहुत कम है। यदि सरकार चुनावी कार्ड नहीं खेलना चाहती तो वह २०२४ के चुनाव में ही लागू हो जाता। राज्यसभा‚ विधानसभाओं को आखिर क्यों बाहर रखा गया है। यह हर जगह लागू होना चाहिए। एक तरफ सरकार हर बात में ओबीसी की बात करती है‚ लेकिन बिल में इसकी कोई चर्चा नहीं। तीन तलाक पर पीठ थपथपाने वाली सरकार मुस्लिम महिलाओं के आरक्षण पर कुछ नहीं बोल नहीं रही है। बिल में संपूर्णता में विभिन्न तबकों का प्रतिनिधत्व दिखना चाहिए। जगनणना आखिर क्यों नहीं हुआ ॽ जी २० की बैठक में शामिल देशों में भारत को छोडकर कोविड के बाद लगभग सभी देशों ने जनगणना का कार्य करवाया है। पता नहीं भारत में यह कब होगा। श्री भट्टाचार्य ने कहा कि मोदी सरकार २०२२ का हिसाब नहीं दे सकती‚ इसलिए २०४७ की बात करती है। संसद के नए भवन में प्रवेश के साथ संविधान की प्रस्तावना से सेकुलर व सोशलिस्ट शब्द गायब कर दिया गया है। यह सही है कि ये दोनों पहलू संविधान में बाद में जोडे गए। संविधान में बहुत सारे संशोधन हुए हैं‚ लेकिन केवल सेक्युलर व सोशलिस्ट को ही हटाना बेहद चालाकीपूर्ण की गई एक गंभीर साजिश है।