चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू को लेकर दुनियाभर में अटकलों का बाजार गरम है। दरअसल, चीनी रक्षामंत्री पिछले दो सप्ताह से ज्यादा समय से लापता हैं और उनको लेकर ड्रैगन ने चुप्पी साध रखी है। चीन के विदेश मंत्रालय ने भी शुक्रवार को ली शांगफू को लेकर पूछे गए सवाल पर कोई जवाब नहीं दिया। इस बीच ऐसी आशंका जताई जा रही है कि चीनी रक्षा मंत्री को पद से हटा दिया गया है और उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले को लेकर जांच चल रही है। चीनी सेना में हथियार आपूर्ति विभाग की कमान संभाल चुके ली शांगफू को हाल ही में प्रमोशन देकर चीन का रक्षा मंत्री बनाया गया था।
इससे पहले चीन के राष्ट्रति के आदेश पर विदेश मंत्री को भी पिछले दिनों हटा दिया गया था। चीनी विदेश मंत्री भी कई दिनों तक लापता रहे थे। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका सरकार का मानना है कि ली के खिलाफ जांच चल रही है। वॉल स्ट्रीट जनरल अखबार ने भी बताया कि मंत्री ली को पूछताछ के लिए ले जाया गया है। दोनों ने यह नहीं बताया कि ली शांगफू के खिलाफ किस चीज के लिए जांच चल रही है। चीनी की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग से जब शुक्रवार को इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘मैं हालात से वाकिफ नहीं हूं।’
शी जिनपिंग के ऐक्शन का शिकार हुए चीनी रक्षामंत्री!
इससे पहले चीन के विदेश मंत्री रहे किन गांग को जुलाई महीने में चीन के विदेश मंत्री पद से अचानक से हटा दिया गया था। किन मात्र 7 महीने तक ही चीन के विदेश मंत्री रहे। चीन सरकार और सेना की वेबसाइट पर अभी भी ली शांगफू को चीन का रक्षा मंत्री बताया जा रहा है। ली ऐसे समय पर गायब हुए हैं जब चीन की सेना पीएलए में राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक बड़ा सफाई अभियान चला रहे हैं। पीएलए के रॉकेट फोर्स के दो शीर्ष जनरलों को उनके पद से हटा दिया गया है। रॉकेट फोर्स के पास ही चीन के परमाणु बमों और मिसाइलों की कमान है।
अमेरिका के जापान में राजदूत ने भी चीन के रक्षामंत्री के गायब होने पर सवाल उठाए थे। इतने शीर्ष मंत्रियों के लगातार गायब होने से चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग के प्रशासन के तरीके पर सवाल उठ रहे हैं। वह भी तब जब जिनपिंग लगातार सत्ता को अपने अंदर केंद्रित कर रहे हैं और पार्टी के अंदर अनुशासन लागू करने पर जोर दे रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री के गायब होने से चीन के आत्मविश्वास में संकट पैदा कर रहा है। यह दर्शाता है कि चीन में निर्णय निर्माण प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है।