शिरोमणि अकाली दल वरिष्ठ नेता और पंजाब में पांच बार सीएम बनने वाले सीएम प्रकाश सिंह बादल का आज मुक्सतर में अंतिम संस्कार होगा. यहां पर उनका पैतृक आवास है. 95 वर्षीय बादल के पार्थिव शरीर को बुधवार सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक चंडीगढ़ मे स्थित उनके पार्टी दफ्तर मे अंतिम दर्शन के लिए रखा गया. इसके बाद उन्हें यहां से पैतृक गांव लाया गया. गुरुवार दोपहर करीब एक बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
श्री मुक्तसर साहिब के उपायुक्त विनीत कुमार ने पूर्व मुख्यमंत्री के दाह संस्कार से पहले सुरक्षा व्यवस्था के बारे में बात करते हुए कहा, प्रशासन यह देखने के लिए सभी प्रयास करेगा कि अंतिम संस्कार अच्छी तरह से हो. सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. श्मशान घाट से संबंधित काम जारी है. हेलीपैड के साथ सड़कों की मरम्मत हो रही है. सीएम के साथ हर मंत्री के लिए तैयारी हो रही है.
एक युग का अवसान
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री एवं शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के प्रमुख प्रकाश सिंह बादल (९५) का मंगलवार को मोहाली के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वयोवृद्धनेता को एक हफ्ते पहले सांस लेने में शिकायत होने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सामाजिक सद्भाव के पुरोधा रहे बादल का मंगलवार रात करीब ८ बजे निधन हो गया। केंद्र सरकार ने उनके निधन पर पूरे देश में दो दिन (२६ और २७ अप्रैल) के राजकीय शोक की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बादल के निधन पर दुख जताते हुए कहा कि वह भारतीय राजनीति के विशाल व्यक्तित्व थे जिन्होंने महत्वपूर्ण अवसरों पर राज्य का नेतृत्व किया। उनसे बातचीत में उनकी बुद्धिमत्ता स्पष्ट झलकती थी। अपने लंबे राजनीतिक जीवन के दौरान बादल पांच बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे। वे केंद्र में कृषि मंत्री भी रहे। देश के दूसरे सबसे बड़े़ नागरिक सम्मान पद्य विभूषण से सम्मानित (२०१५) बादल १९५२ में पहली बार चुनाव जीतकर सरपंच बने थे। तब उनकी आयु महज २० साल थी। १९५७ में पहली बार विधायक चुने गए। वे ११ बार विधानसभा और एक बार लोक सभा का चुनाव जीते। २०२२ में वे विधानसभा का चुनाव हार गए और इस हार के बाद से उन्होंने सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली। बादल जमीन से जुड़े़ नेता थे जिन्होंने पंजाब की प्रगति में महती योगदान दिया और कठिन समय में राज्य का नेतृत्व किया। वे इस कदर जनप्रिय रहे कि पंजाब के अब तक के सबसे बेहतरीन मुख्यमंत्री के रूप में उन्हें याद किया जा रहा है। बादल कद्दावर नेता थे और राष्ट्रीय राजनीति में भी जब–जब उनकी जरूरत पड़़ी उन्होंने आगे बढ़कर मार्गदर्शन किया। आपातकाल में राष्ट्रीय राजनीति में उनकी सक्रियता विशेष रूप से याद की जाती है। उन दिनों विपक्षी नेताओं की धरपकड़़ की गई थी। बादल को भी गिरफ्तार किया गया। उन्होंने १८ महीने जेल में गुजारे। परिवारवादी राजनीति का जो मुद्दा आज जोर–शोर से उठाया जा रहा है‚ उसकी जद में शिअद भी है। परिवारवादी दल के रूप में शिअद का नाम प्रमुखता से गिनाया जाता है। इस लिहाज से राजनीतिक रूप से उनका किरदार एक किस्म की सीमा में बंधा प्रतीत होता है। बहरहाल‚ बड़़ी बात है कि उनकी सियासी पारी देश की आजादी से शुरू होकर ७५ साल यानी अमृतकाल तक चली।