हाल ही में प्रकाशित ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव’ (जीटीआरआई) की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की आर्थिक अस्थिरताओं के बावजूद वित्त वर्ष २०२२–२३ में भारत का विदेश व्यापार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचते हुए १.६ लाख करोड़ डॉलर मूल्य की उचाई पर रहा। वित्त वर्ष २०२१–२२ में यह १.४३ लाख करोड़ डॉलर था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वित्त वर्ष २०२३–२४ में यह १.६ लाख करोड़ डॉलर को पार कर सकता है।
निस्संदेह देश निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था की डगर पर तेजी से बढ़ रहा है। भारतीय उत्पादों की मांग दुनियाभर में बढ़ रही है। निर्यात उत्पादों के मद्देनजर पेट्रोलियम उत्पादों‚ इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद‚ इंजीनियरिंग उत्पाद, चमड़ा, कॉफी, प्लास्टिक‚ रेडीमेड परिधान‚ मांस एवं दुग्ध उत्पाद‚ समुद्री उत्पाद और तंबाकू की निर्यात वृद्धि में अहम भूमिका रही है। यह भी महkवपूर्ण है कि भारत विश्व पटल पर कृषि निर्यात के नये उभरते देश के रूप में उपस्थिति दर्ज करते हुए मानवता के आधार पर दुनिया के जरूरतमंद देशों के लिए खाद्यान्न की आपूर्ति भी सुनिश्चित कर रहा है। भारत से खाद्य पदार्थों अनाज गैर–बासमती चावल‚ गेहूं‚ बाजरा‚ मक्का और अन्य मोटे अनाज के अलावा फलों एवं सब्जियों के निर्यात में भारी वृद्धि दर्ज की गई है। कृषि एवं प्रसंस्करण खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के मुताबिक वित्तीय वर्ष २०२०–२१ में खाद्य उत्पादों का निर्यात २५ अरब डॉलर था‚ जो २०२२–२३ में ३० अरब डॉलर के पार पहंुच जाएगा। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में ज्यादा मूल्य और मूल्यवर्धित कृषि निर्यात को बढ़ावा दिया गया है। कृषि निर्यात से सुधार के लिए रणनीतिक कदम उठाए गए हैं। वर्ल्ड़ ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन की वैश्विक कृषि व्यापार में रुûझान रिपोर्ट–२०२१ के मुताबिक दुनिया में कृषि निर्यात में भारत ने नौवां स्थान हासिल किया है।
उल्लेखनीय है कि जिस तेजी से देश में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (जीसीसी) की संख्या बढ़ी है‚ उतनी ही तेजी से आईटी सेवाओं के निर्यात में भी वृद्धि हुई है। ज्ञातव्य है कि भारत के नवाचार दुनिया में सबसे प्रतियोगी किफायती टिकाऊ सुरक्षित और बड़े स्तर पर लागू होने वाले समाधान प्रस्तुत कर रहे हैं। इंटरनेट ऑफ थिंग्स‚ कृत्रिम बुद्धिमता और डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में शोध एवं विकास और जबरदस्त स्टार्टअप माहौल के चलते ख्याति प्राप्त वैश्विक फार्मेसी कंपनियां‚ वैश्विक फाइनेंस और कॉमर्स कंपनियां तेजी से कदम बढ़ा रही हैं।
अमेरिका‚ यूरोप और एशियाई देशों की बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भारत में जीसीसी स्थापित किए हैं। यह संख्या २०१५–१६ में करीब १००० से अधिक थी‚ जो बढ़कर २०२२–२३ में १५०० से अधिक हो गई है। वास्तव में‚ भारत में लगभग ४० प्रतिशत वैश्विक जीसीसी हैं।
इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि पिछले वर्ष २०२२ में देश से निर्यात बढ़ाने में भारत द्वारा यूएई और ऑस्ट्रेलिया के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) की भी प्रभावी भूमिका रही। भारत की बढ़ती वैश्विक निर्यात साख की सफलता है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने जुलाई‚ २०२२ में डॉलर पर निर्भरता कम करने और निर्यात बढ़ाने के लिए विदेशी व्यापार का लेन–देन रु पये में करने का प्रस्ताव किया था। १५ मार्च तक रूस मॉरीशस और श्रीलंका द्वारा भारतीय रु पये में विदेश व्यापार शुरू करने के बाद अब तक १८ देशों के बैंकों ने रुपये में व्यापार करने के लिए विशेष वोस्ट्रो खाते खोले हैं। दुनिया के ३५ से अधिक देशों ने रु पये में व्यापार करने में रु चि दिखाई है। इससे भारत को निर्यात के मोर्चें पर बड़ा लाभ मिलेगा।
अब देश के विदेश व्यापार को तेजी से बढ़ाने और देश को निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था बनाने के लिए हमें कई बातों पर ध्यान देना होगा। भारत को यूरोपीय संघ‚ ब्रिटेन‚ कनाडा‚ खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के छह देशों‚ दक्षिण अफ्रीका अमेरिका और इस्राइल के साथ एफटीए के लिए प्रगतिपूर्ण वार्ताएं तेजी से पूरी करनी होंगी। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा डिजिटल रुûपये की जो प्रायोगिक शुरुआत हुई है‚ उसे अब शीघ्रता से विस्तारित करना होगा। निर्यात बढ़ाने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान में मैन्युफैक्चरिंग के तहत चिह्नित २४ सेक्टरों को प्राथमिकता के साथ तेजी से आगे बढ़ाना होगा। विशेष आÌथक क्षेत्र (सेज) की भूमिका निर्यात बढ़ाने में अहम बनानी होगी। ऐसे रणनीतिक प्रयासों के साथ–साथ एक अप्रैल‚ २०२३ से लागू नई विदेश व्यापार नीति के उपयुक्त कार्यावयन से भारत निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था बनने की डगर पर तेजी से बढ़ेगा और २०३० तक वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्यात के लिए २ लाख करोड़ डॉलर का लIय प्राप्त करता दिखाई दे सकेगा। भारत २०४७ तक दुनिया का विकसित देश बनने की संभावनाओं को भुनाता भी दिखेगा।