श के ऐसे लोगों के लिए खुशखबरी है. जिन्होने कहीं न कहीं किसी मद में कर्ज लिया हुआ है. साथ ही उनकी ईएमआई जाती है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर ने साफ कर दिया है कि इस बार रेपो रेट में कोई इजाफा नहीं किया जा रहा है. ये निर्णय आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने बहुमत के आधार पर लिया है. यानि अब किसी की भी ईएमआई में बढ़ोतरी नहीं की जाएगी. जैसे पहले किस्त जा रही, यथावत चलती रहेगी. यही नहीं गवर्नर शशीकांत दास ने कहा है कि 2024 तक इंडिया की जीडीपी में भी बढोतरी होगी.
ओपेक द्वारा कच्चे तेल में कटौती से बुरा असर
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बृहस्पतिवार को 2023-24 की पहली द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक के नतीजों की घोषणा करते हुए कहा कि तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक के कच्चे तेल के उत्पादन को घटाने के फैसले से मुद्रास्फीति का परिदृश्य गतिशील बना हुआ है। दास ने कहा कि सामान्य मानसून के बीच यदि कच्चे तेल के दाम औसतन 80 डॉलर प्रति बैरल रहते हैं, तो चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति 5.2 प्रतिशत रहेगी। जून तिमाही में मुद्रास्फीति के 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है। सितंबर और दिसंबर तिमाही में यह बढ़कर 5.4 प्रतिशत पर पहुंच सकती है। उसके बाद मार्च, 2024 की तिमाही में इसके घटकर 5.2 प्रतिशत पर आने का अनुमान है।
जीडीपी में ग्रोथ की उम्मीद
जानकारी के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने वित्त वर्ष 2024 के लिए आर्थिक विकास दर में इजाफा ना करते हुए इसे 6.4 फीसदी से 6.5 फीसदी कर दिया है. यानि कुछ भी बढ़ोतरी नहीं की गई है. वहीं आपको बता दें कि आरबीआई ने ये भी कहा है कि इंडिया की ग्रोथ वित्त वर्ष 2024 की सभी तिमाही के लिए ग्रोथ का अनुमान भी लगाया है. इसके अलावा आरबीआई के गवर्नर शशीकांत दास ने बताया कि महंगाई देशवासियों के लिए चुनौती है. लेकिन ऐसा नहीं है इसे कम न किया जा सके.
6.5 फीसदी पर रहेगा रेपो रेट
सबसे पहले आरबीआई गवर्नर शशीकांत दास ने वित्त वर्ष 2023-24 के पहले मॉनिटरी पॉलिसी के तहत बढोतरी न करने की घोषणा की. वहीं आपको बता दें कि वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सरकार ने रेपो रेट में आखिरी बढ़ोतरी 8 फरवरी 2023 को की थी.
आपको बता दें कि जनवरी 2023 में यह 6.52 प्रतिशत से कम रही है.