किसी राज्य में सत्ताधारी पार्टी में असंतोष का अभिप्राय यह नहीं होता कि राज्यपाल सरकार को सदन में बहुमत साबित करने के लिए कह दे। यह कार्यविधि खतरनाक हो सकती है। महाराष्ट्र के मामले में की गई सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी ने इस बात को बिलकुल स्पष्ट कर दिया है। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को साफ कहा कि सत्तारूढ दल में विधायकों के बीच केवल मतभेद के आधार पर बहुमत साबित करने को कहने से एक निर्वाचित सरकार पदच्युत हो सकती है। राज्य का राज्यपाल अपने कार्यालय का इस्तेमाल इस नतीजे के लिए नहीं होने दे सकता। प्रधान न्यायाधीश ड़ीवाई चंद्रचूड़़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा‚ ऐसा करना लोकतंत्र के लिए शर्मनाक तमाशा होगा। संविधान पीठ ने पिछले साल महाराष्ट्र में अविभाजित शिवसेना में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में हुई बगावत के बाद जून‚ २०२२ में महाराष्ट्र में पैदा हुए राजनीतिक संकट को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र के राज्यपाल की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता के उपस्थित होने के बाद यह सख्त टिप्पणी की। मेहता के मुताबिक उस समय राज्यपाल के पास कई सामग्री थीं‚ जिनमें शिवसेना के ३४ विधायकों के हस्ताक्षर वाला पत्र और निर्दलीय विधायकों का तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे नीत सरकार से समर्थन वापस लेने का पत्र शामिल थे। इसके अलावा नेता प्रतिपक्ष सदन में बहुमत साबित करने की मांग कर रहे थे। पीठ के अनुसार नेता प्रतिपक्ष का पत्र मायने नहीं रखता क्योंकि वह हमेशा कहेंगे कि सरकार ने बहुमत खो दिया है‚ या विधायक नाराज हैं। इस मामले में विधायकों द्वारा जान को खतरा बताए जाने वाले पत्र भी प्रासंगिक नहीं है। हालांकि तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने तब ठाकरे को सदन में बहुमत साबित करने को कहा था। हालांकि‚ ठाकरे ने सदन में बहुमत प्रस्ताव पर मतदान होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था जिससे शिंदे के नये मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने का रास्ता साफ हो गया था। पार्टी के विधायकों के बीच मतभेद का आधार कुछ भी हो सकता है‚ लेकिन क्या यह सदन में बहुमत साबित करने को कहने के लिए पर्याप्त आधार हो सकता हैॽ बिलकुल नहीं। ऐसे घटनाक्रम से राज्यपालों के कार्यकलाप पर सवाल उठते हैं‚ और पद की गरिमा भी गिरती है।
कोलकाता रेप-मर्डर कांड पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में आज कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक जूनियर डॉक्टर के साथ बलात्कार...