प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों की चिकित्सा व्यवस्था में सुधार करने को राज्य सरकार लगातार प्रयासरत है। बीते दिनों पटना मेडिकल कालेज अस्पताल समेत राजधानी के अस्पतालों का देर रात निरीक्षण कर उप मुख्यमंत्री ने सरकार की मंशा भी उजागर कर दी है। सरकार एक-एक करके मरीजों की समस्याओं को दूर करने की हरसंभव कोशिश कर रही है। सरकारी अस्पतालों में मरीजों को कई तरह की दवाइयां मुफ्त देने की व्यवस्था है। लेकिन, कई बार मरीजों द्वारा दवाएं नहीं मिलने की शिकायत की जाती है। यह भी सुनने में आता है कि अस्पताल कर्मियों द्वारा दवा उपलब्ध नहीं रहने का बहाना भी बनाया जाता है। इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने दवाओं की उपलब्धता की मानीटरिंग की जिम्मेदारी जिलाधिकारियों को सौंपने के निर्णय पर कड़ाई से अमल करना तय किया है। विकास आयुक्त भी इस पर नजर रखेंगे। इस व्यवस्था से जरूरतमंदों के लिए दवाओं की शत-प्रतिशत उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकेगी। ऐसा नहीं है कि पहले इस दिशा नहीं की जा स में कोशिश नहीं की गई है। दरअसल, कई बार या तो अस्पताल में यह उपलब्ध ही नहीं होती है या फिर सर्दी-बुखार की दवाइयां ही लोगों को मिल पाती हैं। ऐसी परिस्थिति में लोगों बाहर से इसे खरीदना पड़ता है। जीवनरक्षक दवाओं को लेकर दलाल भी इसका फायदा उठाते हैं। अच्छी बात है कि अब हर माह बैठक कर अस्पतालों में दवा वितरण की स्थिति की समीक्षा की जाएगी। संबंधित स्वास्थ्यकर्मियों को इसकी पूरी रिपोर्ट जिलाधिकारी को देनी होगी। उन्हें मरीजों की संख्या तथा रोग के अनुपात में दवाइयों को स्टाक में रखना होगा। इसके लिए सभी संबंधित कर्मियों की भागीदारी तय करनी होगी। दवा वितरण करने वाले काउंटर की कड़ाई से निगरानी तथा लापरवाही की शिकायत पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए, ताकि मरीजों के साथ किसी तरह के विवाद की नौबत नहीं आए।
राहुल गांधी के बाद अब तेजस्वी की बारी, छत्तीसगढ़ में शिकायत दर्ज
राहुल गांधी के विवादित टिप्पणी करने के कारण उनकी सदस्यता चली गई है. उन्हें गुजरात कोर्ट ने दो साल की...