चिंता की बात है कि बिहार में पानी के मसले पर देश में सर्वाधिक हत्याएं होती हैं। नदियों, तालाबों की नेमत और प्राकृतिक रूप से अच्छी बारिश का वरदान होने के बावजूद पानी के लिए हत्या चिंतनीय पहलू है। यह स्थिति इसलिए बनी है कि हम प्राकृतिक संसाधनों का उचित प्रबंधन नहीं कर पा रहे या यूं कहें कि उनका दोहन कर रहे हैं। बालू के लिए अवैध खनन ने नदियों के प्राकृतिक प्रवाह को अवरुद्ध किया है। ट्रकों, नावों से रोज नदियों से अवैध तरीके से बालू ढोई जा रही है। बांधों में ऊपरी इलाके में लोग मोटर लगाकर अपने खेतों को सींच ले रहे, निचले इलाके के किसानों के खेत प्यासे रह जा रहे है। इससे तनाव की स्थिति बन रही है। यहां तत्काल कड़ाई बरतने की आवश्यकता है। विधानसभा में यह मसला उठने के बाद राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि जिला स्तर पर टाइगर मोबाइल को गश्त हेतु निर्देश दिया गया है। उम्मीद है कि पुलिस सख्ती बरतते हुए न सिर्फ अवैध खनन पर रोक लगाने
में कामयाब होगी, बल्कि पानी को लेकर दबंगई करने वालों से भी सख्ती से निपटेगी। इस बार खतरा बड़ा है। पिछले मानसून में 1000-1200 मिलीमीटर औसत के मुकाबले आधी बारिश भी नहीं हुई। नतीजा, मार्च का महीना है और अभी से ही नदियां कराहने लगी हैं। चापाकल और कुएं सूखने के बाद लोग नल जल पर आश्रित हैं। स्थानीय स्तर पर दिक्कतों के कारण इसकी सप्लाई बाधित हो रही। कहीं पाइप टूटा पड़ा है तो कहीं अन्य छोटी-मोटी दिक्कतों के कारण लोग सरकार की. इस शानदार योजना के लाभ से वंचित हो जा रहे। सुनिश्चित कराना होगा कि यहां युद्धस्तर पर दिक्कतों को दूर करने में सरकारी कर्मचारियों को लगाया जाए। चापाकल की दिक्कतों को भी दूर किया जाए ताकि लोगों की परेशानी कम हो।
रामनवमी के जुलूस को रोकने के लिए टीएमसी रच रही साजिश: पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पश्चिम बंगाल के दौरे पर हैं। बंगाल के बालुरघाट में उन्होंने मंगलवार को एक चुनावी रैली को...