नए इन्फ्लूएंजा H3N2 वायरस (H3N2 Influenza Virus) ने अपनी आमद के साथ ही तहलका मचा दिया है. वायरस के बढ़ते मामलों और इससे होने वाली दो मौतों ने चिंता बढ़ा दी है. हालांकि विशेषज्ञों ने कहा कि इसका प्रकोप सामान्य है. मामलों में अचानक आई तेजी पर दिल्ली के गंगा राम अस्पताल के डॉक्टर धीरेन गुप्ता ने शनिवार को कहा कि कोविड-प्रेरित लॉकडाउन के कारण पिछले दो सालों में बच्चों में इन्फ्लूएंजा का कोई खतरा नहीं था और यह वायरस सामान्य परिस्थितियों में जीवन के लिए खतरा नहीं है.
न्यूज एजेंसी ANI के अनुसार देश में 9 मार्च तक H3N2 सहित विभिन्न इन्फ्लूएंजा उपप्रकारों के कुल 3,038 मामले दर्ज किए गए हैं. ANI से बात करते हुए धीरेन गुप्ता ने कहा ‘H3N2 वायरस का अचानक प्रकोप, जो इन्फ्लूएंजा का एक सामान्य प्रकार है, ने बच्चों में मामलों की संख्या में वृद्धि की है. मौसमी इन्फ्लूएंजा से प्रभावित बच्चे और इसके समान रोग वाले के लिए बच्चे सबसे कमजोर ग्रुप हैं.’
बड़े पैमाने पर लहर की उम्मीद नहीं
उन्होंने आगे कहा कि ‘H3N2 एंटीजेनिक ड्रिफ्ट और एक हल्का म्यूटेशन है लेकिन जीवन के लिए खतरा नहीं है. वायरस कोई भी हो अगर कमजोर ग्रुप के लिए खतरा है तो मृत्यु की संभावना अधिक है. H3N2 के खिलाफ वैक्सीन का प्रभाव कम है और वैसे भी इस साल हमारा वैक्सीनेशन कम है.’ जैसा की इस वायरस से चिंता बढ़ रही है, कुछ लोगों के मन में यह भी सवाल आने लगा है कि क्या यह संभवतः एक और कोविड महामारी हो सकता है. पल्मोनोलॉजिस्ट अनुराग अग्रवाल ने कहा कि उन्हें बड़े पैमाने पर लहर देखने की उम्मीद नहीं है.
वायरस से घबराने की जरूरत नहीं
न्यूज एजेंसी PTI से अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार तरुण साहनी ने कहा कि ‘अस्पताल में भर्ती होना बहुत सामान्य नहीं है और केवल 5 प्रतिशत मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की सूचना मिली है.’ उन्होंने आगे कहा कि ‘फिलहाल इस वायरस से घबराने की जरूरत नहीं है. कोविड के दौरान बरती जाने वाली सावधानी बरतने की जरूरत है.’
इंडियन नेशनल यंग एकेडमी ऑफ साइंस (INYAS) के पूर्व छात्र सदस्य और ग्लोबल यंग एकेडमी (GYA) के सदस्य वायरोलॉजिस्ट उपासना रे ने कहा ‘अगर अधिकांश संक्रमित लोग धीरे-धीरे ठीक हो जाते हैं, तो यह खतरनाक नहीं होगा.’ उन्होंने कहा कि ‘लॉकडाउन और लंबे अवधि के लिए मास्क के व्यापक उपयोग ने वायरस के अधिक विषैले संस्करणों के फैलने को नियंत्रित करने में मदद की, लेकिन नियमित मौसमी श्वसन वायरस के अच्छे जोखिम को भी रोका.’
बढ़ते मामलों के साथ लोग चिंतित
गौरतलब है कि बढ़ते मामलों के साथ लोग चिंतित हैं, क्योंकि वायरस के प्रसार के कारण अस्पताल में भर्ती होने की संख्या बढ़ गई है. देश में 9 मार्च तक H3N2 सहित विभिन्न इन्फ्लूएंजा उपप्रकारों के कुल 3,038 मामले दर्ज किए गए हैं. जिनमें कर्नाटक और हरियाणा में एक-एक मौत हुई. जबकि भारत में इन्फ्लूएंजा A (H1N1pdm09), इन्फ्लुएंजा A (H3N2) और इन्फ्लुएंजा B (विक्टोरिया) का पता चला है. इसमें H3N2 प्रमुख उपप्रकार है और इसके कारण अधिक लोग अस्पताल में भर्ती हुए हैं. हालांकि इसके पैटर्न पर सरकार ने कहा कि बड़ी संख्या में रोगियों में केवल बुखार और खांसी के लक्षण दिखाई दिए.
पटना में भी H3N2 इन्फ्लुएंजा वायरस ने दस्तक दे दी है। आरएमआरआई (राजेंद्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टीच्यूट) में हुई जांच में एक महिला इससे संक्रमित मिली है। बिहार में H3N2 इन्फ्लुएंजा का यह पहला मामला है। इस वायरस का कोरोना जैसा ही इफेक्ट है। ये सीधे लंग्स पर अटैक करता है।
ओपीडी में दिखाने के दौरान महिला मरीज का सैंपल लिया गया था। जांच में H3N2 से पीड़ित हाेने की पुष्टि हुई। यह जानकारी आरएमआरई के निदेशक डॉ. कृष्णा पांडेय ने दी। उन्होंने बताया कि ओपीडी में इस महीने 21 सैंपलों की जांच हुई, जिसमें एक सैंपल पॉजिटिव पाया गया।
पीएमसीएच के वरीय फिजिशियन डॉ. बीके चौधरी की माने तो ओपीडी में 30 से 40 फीसदी मरीज सर्दी, खांसी, बुखार, उल्टी, बदन दर्द, गले में खराश से पीड़ित आ रहे हैं। सेरोलॉजी जांच से ही पता चलता है कि मरीज H3N2 इन्फ्लुंएजा वायरस से पीड़ित है या नहीं।
दूसरी ओर, H3N2 के बढ़ते मामले के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों काे पत्र लिखकर सतर्कता बरतने को कहा है।