जब भी कभी आप टीवी पर किसी रियलिटी शो को देखते हैं तो आप उसमें दिखाए गए कुछ विषयों से इतने प्रभावित हो जाते हैं कि आप भावुक हो उठते हैं। ऐसा होना स्वाभाविक है‚ परंतु यदि आपको पता चले कि टीवी पर दिखाए जाने वाले ऐसे कुछ रियलिटी शो पहले से ही नियोजित किए जाते हैं तो क्या आप तब भी भावुक होंगेॽ यह कुछ ऐसा ही है जैसा फिल्मों में दिखाया जाता है। सभी जानते हैं कि जैसे फिल्मों में चलने वाली बंदूक असली नहीं होती और कलाकारों के शरीर से निकालने वाला खून भी असली नहीं होता। उसी तरह फिल्मों को लोकप्रिय करने की दृष्टि से उसमें ऐसी कहानी ली जाती है जो श्रोताओं को भाव–विभोर कर सके।
आजकल टीवी पर भी ऐसा ही कुछ हो रहा है। रियलिटी शो और टैलेंट शो के नाम पर टीवी पर अक्सर ऐसा कुछ दिखाया जाता है जिससे श्रोता उसे देख कर भावुक हो उठें और इन चर्चा करने लगें। इन शो पर आने वाले दिनों में क्या होगा इसका अनुमान लगाने लगें। इतना ही नहीं एक घर में रहने वाले परिवार के सदस्य ही ऐसे रियलिटी शो के विरोधी और समर्थक गुट में बंट जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है कि वे उस शो को वास्तविक मान लेते हैं‚ जबकि वास्तविकता में ऐसा नहीं होता। जो भी लोग ऐसे शो में भाग लेते हैं वो इसकी सच्चाई जानते हैं। आप तक ऐसे रियलिटी शो रिकॉर्ड और एडिट होने के बाद ही पहुंचते हैं। इनका सीधा प्रसारण नहीं होता। इसलिए इन्हें ‘रियलिटी शो’ कहना ठीक नहीं होगा। बिग बॉस‚ इंडियन आइडल‚ कौन बनेगा करोड़पति‚ डांस इंडिया डांस जैसे अनेकों रियलिटी शो आपने देखे होंगे। ऐसे सभी शो में भाग लेने वाले प्रतियोगियों को लेकर अक्सर कुछ ऐसा दिखाया जाता है जो उनके निजी जीवन से संबंधित होता है। उसे देख करोड़ों दर्शक भावुक हो उठते हैं और उस प्रतियोगी का समर्थन करने लगते हैं। आजकल के सोशल मीडिया के युग में उस प्रतियोगी को लेकर छोटे–छोटे वीडियो भी वायरल होने लगते हैं। ऐसा होने से कार्यक्रम की लोकप्रियता बढ़ती है‚ जिसे टीआरपी भी कहते हैं। जैसे ही किसी रियलिटी शो की टीआरपी बढ़ने लगती है टीवी चैनल पर विज्ञापन की आय भी बढ़ने लगती है। ऐसा होने पर टीवी चैनल का उद्देश्य पूरा हो जाता है। आजकल कुछ ऐसा ही काम कुछ न्यूज चैनल भी कर रहे हैं। आपको याद होगा कि जब एक राजनैतिक दल की राष्ट्रीय प्रवक्ता के बयान पर विवाद खड़ा हुआ था देश में आग सी लग गई थी। उसके बाद सर्वोच्च अदालत ने टीवी एंकरों को आड़े हाथों लिया था। सर्वोच्च अदालत ने ऐसे टीवी चैनलों को ऐसी अराजकता फैलाने का गुनहगार माना जो अपनी टीआरपी बढ़ाने के लालच में आए दिन इसी तरह के विवाद पैदा करते रहते हैं। कुछ चुनिंदा चैनल जानबूझ कर ऐसे विषयों को लेते हैं जो विवादास्पद हों। न्यूज चैनल के एंकरया पत्रकार पर्दे पर या मौके पर कुछ ऐसा करते हैं जिसे देख भोली–भाली जनता विश्वास कर लेती है।
जिस किसी ने बीबीसी के टीवी समाचार सुने होंगे उन्हें इस बात का खूब अनुभव होगा कि चाहे विषय कितना भी विवादास्पद या गंभीर क्यों न हो‚ बीबीसी के एंकर या पत्रकार संतुलन नहीं खोते। उनके पैनल डि़स्कशन काफी शालीनता से होती है। जिन्हें देखकर दर्शकों को उत्तेजना नहीं होती बल्कि विषय को समझने का संतोष मिलता है। पिछले दिनों एक ‘बाबा’ विवाद में आए। विवाद का विषय ‘चमत्कार’ था। उस चमत्कार को एक समाजिक संस्था द्वारा चुनौती दी गई थी। बाबा पर आरोप है कि वे उस चुनौती से भाग लिये। इस विवाद को आस्था का चोला पहना कर पहले एक धार्मिक चैनल ने और फिर कुछ चुनिंदा न्यूज चैनलों ने जनता के सामने परोसा। दरअसल‚ एक राष्ट्रीय न्यूज चैनल के एक पत्रकार को जब इस ‘चमत्कारी’ बाबा ने भरे पंडाल में कुछ अप्रिय ढंग से पुकारा तो सभी चौंक गये। बाबा ने पहले उनके चाचा का नाम लिया‚ फिर उनकी भतीजी का बताया और फिर उनके भाई के बारे में कुछ बताया। ऐसा होने पर वो पत्रकार महोदय जो इस ‘चमत्कार’ का सच जानने के लिए गए थे‚ बाबा के प्रति समर्पित हो कर जयकारे लगाने लग गए‚ परंतु कुछ अन्य न्यूज चैनलों ने इसकी पड़ताल की तो पाया कि जो–जो उस बाबा ने उस पत्रकार के प्रति कहा था वो पहले से ही सोशल मीडिया पर पहले से ही उपलब्ध था। तो फिर ‘चमत्कार’ कैसाॽ जैसे ही मामले ने तूल पकड़ा तो बाबा का समर्थन करने वाले कुछ अन्य न्यूज चैनल भी सतर्क हो गए। वे न्यूज चैनल भी संतुलन बनाने की नीयत से कुछ धार्मिक व्यक्तियों‚ मनोवैज्ञानिकों‚ वैज्ञानिकों व अन्य संबंधित लोगों से चर्चा करते दिखाई दिए।
मनोविज्ञान के विशेषज्ञों‚ शंकराचार्य व कुछ संतों ने अपना तर्क देते हुए इस ‘चमत्कार’ को नहीं स्वीकारा। तो क्या ऐसे बाबा भी टीवी पर दिखाए जाने वाले रियलिटी शो की तरह‚ लोकप्रियता पाने के लिए‚ अंधविश्वास को चमत्कार का चोला पहना कर केवल जनता की भावनाओं के साथ खेलने के लिए ही ऐसा करते हैंॽ वैसे भी पुरानी कहावत है ‘पानी पीजे छान के‚ गुरु कीजे जान के।’ इसलिए टीवी पर आपको परोसी जा रही नकली भावुकता के प्रभाव से बचें और ऐसे शो को चैनल की मार्केटिंग स्किल मानकर शो की तरह ही देखें हकीकत की तरह नहीं।
मनमोहन सिंह सरकार में विदेश मंत्री रहे एसएम कृष्णा के खामियों से भरे में कार्यकाल में सबसे बड़़ी चूक थी कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में पुर्तगाल के विदेश मंत्री का भाषण पढ़ ड़ाला। लेकिन अब मोदी सरकार ने देश के लिए उनकी सेवाओं को देखते हुए उन्हें शीर्ष राष्ट्रीय सम्मान पद्म विभूषण से नवाजा है!