जिस दिन से राहुल गांधी ने कन्यकुमारी से ‘भारत जोड़ो पद यात्रा’ शुरू की है‚ उस दिन से भाजपा के प्रवक्ता‚ उसकी आईटी सेल और उसके नेता राहुल गांधी का मजाक उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। और इनका साथ दे रहा है इनका ‘गोदी मीडिया’। बावजूद इसके राहुल की यात्रा हर दिन सफलता के नये सोपान तय कर रही है। भाजपा का आंकलन था कि केरल के बाहर निकलते ही यह यात्रा फुस्स हो जाएगी पर उनकी आशा के विपरीत दक्षिण भारत के राज्यों में राहुल गांधी को जनता का जो भारी प्यार और समर्थन मिला है‚ उसने भाजपा नेतृत्व को कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया है।
पिछले आठ साल से राहुल गांधी को ‘पप्पू’ बताने वाली भाजपा हिंदी प्रदेशों में राहुल की यात्रा को मिल रहे भारी समर्थन से विचलित हो गई है। यहां यह उल्लेख करना जरूरी है कि इस यात्रा की सफलता इस बात की गारंटी नहीं देती कि इस लोकप्रियता को राहुल गांधी वोटों में बदल पाएंगे। अगर वे ऐसा कर पाए तो निश्चित रूप से यह उनकी ऐतिहासिक विजय होगी। अगर नहीं भी कर पाए तो भी लोगों के बीच लगातार पैदल चल कर और हर वर्ग के लोगों से आत्मीयता से मिल कर राहुल गांधी ने वो हासिल कर लिया है‚ जिसे आज तक देश के गिने–चुने नेता ही हासिल कर पाए थे। उस oष्टि से राहुल का कद बहुत बढ़ गया है। भाजपा की चिंता का बड़ा कारण यह भी है कि जो जनता राहुल को सर आंखों पर बिठा रही है‚ वो वही जनता है जिसने २०१४ और २०१९ में नरेन्द्र मोदी को सर आंखों पर बिठाया था।
पर गत आठ वर्षों में देश में फैली भारी बेरोजगारी‚ सुरसा सी बढ़ती महंगाई और मध्यमवर्गीय व्यापारियों और कारखानेदारों की तबाही ने उसी जनता को निराश और हताश कर दिया है। अब उसे भाजपा शासन में राहत मिलने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही। जनता की इसी नब्ज को पहचान कर मौके देख कर पाला पलटने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेतृत्व ने अब अचानक राहुल गांधी की यात्रा की प्रशंसा करना शुरू कर दिया है। अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी महंत आचार्य सत्येंद्र दास ने राहुल गांधी को उनकी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के लिए पत्र लिखकर शुभकामनाएं भेजी हैं। इस पत्र से राजनीतिक गलियारों में नई चर्चा शुरू हो गई है। हालांकि ऐसा करने वाले वे अकेले नहीं हैं। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरि और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ सदस्य चंपत राय ने भी शुभकामनाएं दी हैं।
सवाल यह उठ रहा है कि ऐसी शुभकामनाओं के पीछे क्या संदेश छुपा हो सकता हैॽ महंत आचार्य सत्येंद्र दास ने अपने पत्र में कहा‚ ‘आपकी भारत जोड़ो यात्रा मंगलमय हो। आपका जो देश जोड़ने का ख्वाब है‚ वो पूर्ण हो‚ जिस लक्ष्य को लेकर आप चल रहे हैं‚ उसमें आपको सफलता मिले। आप स्वस्थ रहें‚ दीर्घायु रहें। देश के हित में जो भी कार्य कर रहे हैं‚ वह सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय है। इसी मंगल कामना के साथ शुभ आशीर्वाद। प्रभु रामलला का आशीर्वाद आप पर बना रहे।’ चंपत राय ने तो राहुल गांधी की इस यात्रा को प्रशंसनीय तक कह डाला। इतना ही नहीं‚ उन्होंने सभी को यात्रा कर भारत का अध्ययन करने को कहा।
उल्लेखनीय है कि १९८४ में जब इंदिरा गांधी की हत्या की गई थी तो संघ के बड़े नेता नाना जी देशमुख ने कांग्रेस के प्रति सहानुभूति जताई थी। यहां तक कि १९८४ के लोक सभा चुनाव में राजीव गांधी को मिली आशातीत सफलता के पीछे संघ के स्वयंसेवकों की बड़ी भूमिका रही थी। इसी तरह जब विश्वनाथ प्रताप सिंह बोफोर्स मामले को लेकर हल्ला मचा रहे थे तब भी संघ ने उनका समर्थन किया था। अन्ना हजारे के आंदोलन में भी संघ समर्थन में था। जब भी कोई दल‚ भले ही वो संघ की विचारधारा से मेल न रखता हो‚ राष्ट्रीय पटल पर ताकत के साथ उभरने लगता है‚ तो संघ फौरन उसका समर्थन कर देता है। सवाल है कि ऐसे में इन बयानों से क्या संघ केंद्र की भाजपा सरकार को आईना दिखा रहा हैॽ
बढ़ती हुई महंगाई और बेरोजगारी को लेकर संघ और भाजपा के बीच जो वैचारिक दूरी आई है‚ वह भी किसी से छुपी नहीं है। इसलिए ऐसे बयानों को मात्र व्यंग्य की दृष्टि से देखा जाना ठीक नहीं होगा और इसीलिए इन संदेशों को मात्र शुभकामना संदेश भी नहीं समझा जाना चाहिए। गौर इस बात पर भी की जा सकती है कि भाजपा नेता राहुल की यात्रा को ‘भारत तोड़ो यात्रा’ बता रहे हैं। वहीं चंपत राय के बयान को लें तो उन्होंने इस बात को स्पष्ट कर दिया है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने यात्रा की आलोचना नहीं की है लेकिन भाजपा नेता लगातार राहुल की यात्रा को विफल बता रहे हैं। अगला सवाल यह है कि भाजपा नेता संघ से अलग बातें क्यों कर रहे हैंॽ इसका तर्क यह दिया जा सकता है कि केंद्र में भाजपा सरकार चला रही है‚ और सरकार का पक्ष लेना भाजपा नेताओं की मजबूरी है। यदि राहुल गांधी या किसी भी दल का कोई भी नेता भारत को ‘जोड़ने’ के लक्ष्य से कन्याकुमारी से कश्मीर तक पैदल यात्रा करता है‚ तो इसके विरोध में केवल वही दल आएगा जो भारत को ‘जोड़ने’ के खिलाफ हो। दिन–रात एक ही दल और उसके नेता की चारण भाटों की तरह प्रशंसा और गुणगान करने वाला मीडिया आज राहुल गांधी की इतनी सफल ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर कोई विस्तृत रिपोर्टिंग नहीं कर रहा पर जैसे ही ये बयान आए तो राहुल की यात्रा को मीडिया में जगह मिलने लगी है।
कांग्रेस के विरोधी दल पिछले कई वर्षो से राहुल गांधी को ‘पप्पू’ सिद्ध करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे थे। भाजपा समेत सभी विरोधी दल इस बात का कोई जवाब नहीं दे रहे कि जिसे वे अब तक पप्पू कह कर प्रचारित करते रहे‚ वह हर दिन‚ हर मोड़ पर बड़ी बेबाकी से मीडिया का सामना करता आ रहा है। ऐसी हिम्मत पिछले बरसों में इस देश के कई बड़े नेता एक बार भी नहीं दिखा पाए। अगर उन नेताओं में सच्चाई और नैतिक बल है‚ तो वे प्रेस से इतना डरते क्यों हैंॽ कुल मिलाकर राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने भाजपा के सामने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। शायद इसीलिए संघ एक बीच का रास्ता अपनाने पर मजबूर हुआ है।