तवांग में चीन की कुटिल चाल समझने और उसका मुंहतोड़़ जवाब देने के बाद उस इलाके में भारत को सख्त रवैया अपनाना ही था। चीन को उसी की भाषा में जवाब देने में ही समझदारी है। बार–बार चीन की साजिश को नजरअंदाज करना देश के लिए बड़़ी मुसीबत बन सकता है। लिहाजा‚ चीन बॉर्ड़र पर (तवांग) भारतीय वायुसेना का युद्धाभ्यास चीन को यह बताने को काफी है कि भारत चीन की हर साजिश और करतूत का मजबूती से जवाब देगा। यही वजह है कि सरकार ने इस युद्धाभ्यास में राफेल‚ सुखोई समेत देश के लगभग सभी फ्रंटलाइन फाइटर जेट को अपनी ताकत दिखाने को कहा है। इसमें भारत के सभी फ्रंटलाइन एयरबेस और कुछ एडवांस लैंडिंग ग्राउंड्स का भी इस्तेमाल किया जाएगा। चीन भारत पर दबाव बनाने के वास्ते रह–रहकर इस तरह की करतूतों को अंजाम देता रहता है। तवांग पर पिछले दिनों हुई मुठभेड़़ की एक अहम वजह चीन की शी जिनपिंग सरकार और कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ जनता का भारी आक्रोश भी माना जा रहा है। चीन की जनता का ध्यान भटकाने के लिए चीन सरकार ने इस तरह की हरकत की है। यह जानते हुए कि भारत ने हाल के वर्षों में अपनी कूटनीति से लेकर विदेश नीति और सैन्य नीति में व्यापक बदलाव किया है। अब वह समझाने से ज्यादा क्रिया के खिलाफ प्रतिक्रिया देने में यकीन रखता है। गलवान की घटना और उससे पहले ड़ोकलाम में चीन की सेना के खिलाफ लंबे समय की सैनिक टुकडि़़यों की तैनाती इसका उदाहरण हैं। इतना कुछ होने के बावजूद चीन अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहा है। भारत भी उसकी इन हरकतों पर नजर बनाए हुए है‚ फिर भी कुछ कमियों को हमें दूर करना होगा। तवांग में जिस तरह ६०० से ज्यादा चीनी सैनिक पूरी तैयारी के साथ इकट्ठा हुए थे‚ उसे पहले ही भांप लेने की कुशलता हमें जाननी होगी। किसी भी तरह की लापरवाही या ढिलाई से मामला बिगड़़ सकता है। इसलिए हमें वायुसेना की ताकत को समय–समय पर परखने की महती जरूरत है। अच्छी बात है कि फ्रांस से करार के तहत खरीदे गए रफाल विमान का अंतिम बेड़़ा भी गुरुवार को भारत आ गया। स्पष्ट है कि चीन की मंशा को लेकर किसी भी तरह की गफलत नहीं पालने में ही भलाई है। भारतीय युद्धक विमानों के गरजने से यकीनन चीन को यह बात समझ में आ जानी चाहिए कि अब भारत बदल चुका है।
नासिक मिलिट्री कैंप में धमाका, दो अग्निवीरों की मौत
नासिक आर्टिलरी सेंटर में एक दुखद घटना में नियमित प्रशिक्षण सत्र के दौरान हुए विस्फोट में दो अग्निवीरों की जान...