बिहार के बक्सर में संत समागम में बीजेपी ने एक तीर से कई निशानें साधे। पहला-नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के जाति के वोटबैंक को काटने के लिए राम नाम को आगे किया। दूसरा- मंच से अपने विकास कार्यों को गिनाकर यह बताने की कोशिश की कि बिहार में जो भी काम हुए हैं, वो केंद्र की बीजेपी सरकार ने किया है।
बिहार के बक्सर में 8 नवंबर से 15 नवंबर तक अंतरराष्ट्रीय संत महासमागम हुआ। आठ दिन तक चले इस संत समागम में आसपास के 10 से अधिक जिलों के लोगों को ले जाने और लाने के लिए बसें लगाई गई थीं। हर दिन एक लाख लोगों को लाया गया। उनके खाने और रहने तक की व्यवस्था की गई है।
पहले जानिए वहां का नजारा क्या था… सड़क पर गाड़ियों का लंबा जाम…कतार में लोग चलते चले जा रहे थे। सड़क से सटे 17 एकड़ में बना यज्ञ स्थल भी ठसाठस था। एक लाख से अधिक की भीड़ विचलित करने वाली थी…क्योंकि बड़े-बड़े साउंड सिस्टम से एक साथ दो तरह की आवाजें आ रही थी, कभी जिंदाबाद के नारे तो कभी मंत्रोचार सुनाई दे रहा था।
भीड़ भी दो हिस्सों में बंट रही थी, कुछ यज्ञ स्थल की परिक्रमा तो कुछ नितिन गडकरी की सभा की तरफ बढ़ रहे थे। विश्वामित्र की धरती बक्सर के अहिरौला में एक ही कैंपस में दो अलग-धार्मिक तो दूसरे में BJP के मिशन 2024 की झलक दिख रही थी।
17 एकड़ में दो बड़े कार्यक्रम
भोजपुर-बक्सर राष्ट्रीय राजमार्ग पर अहिरौली में सड़क से सटे लगभग 17 एकड़ की फसल को साफ करके कार्यक्रम स्थल तैयार किया गया। किसानों को फसल के हिसाब से मुआवजा देकर तैयार हुए कैंपस में दो भव्य प्रवेश द्वार बनाए गए। दोनों से एंट्री एक ही स्थान पर हो रही थी। पहले एक बड़ा मंच बनाया गया जो सांस्कृतिक और राजनीति कार्यक्रमों का मिक्स प्लेस बना। थोड़ी ही दूर पर प्रवचन के लिए बड़ा पंडाल बना है जो प्रवचन के साथ समय समय पर नेता नगरी के लिए था।’

इसके बाद भंडारा के लिए बड़ा पांडाल बनाया गया और सामने बड़ा यज्ञ स्थल जहां एक साथ हजारों लोगों के परिक्रमा की व्यवस्था बनाई गई। श्री लक्ष्मी महायज्ञ त्रीदंण्डी स्वामीजी महाराज के शिष्य जगतगुरु रामानुजाचार्य श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी के सानिध्य में चल रहा है जबकि सनातन संस्कृति समागम श्रीराम कर्मभूमि न्यास की तरफ से बक्सर के सांसद केंद्रीय मंत्री अश्वनी चौबे की अुगवाई में चल रहा है।
कथा का ऐसा मंच जहां कभी व्यास तो कभी दिखे नेता
अहिरौली में सनातन संस्कृति समागम में ऐसा मंच बनाया गया था जहां कभी नेता तो कभी कथा व्यास दिखते थे। सोमवार को जहां सुबह से कथा चल रही थी, अलग अलग प्रवचनकर्ता कथा से लोगों को मंत्रमुग्ध कर रहे थे। वहीं शाम 4 बजते ही पूरा मंच राजनेताओं से भर गया। प्रवचन रोका गया और मंच पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के साथ कई नेता सवार हो गए। नितिन गडकरी ने रामजानकी परियोजना से यूपी बिहार का कनेक्शन बताया तो सांसद अश्विनी चौबे प्रधानमंत्री को विकास पुरुष बताने से नहीं थक रहे थे। बात रामराज की भी चली, लेकिन इसमें राजनीति की झलक साफ देखने को मिली।
यूपी और बिहार में बक्सर का प्रभाव
बक्सर में आयोजित होने वाला कार्यक्रम बिहार ही नहीं यूपी में भी बड़ा इफेक्ट दिखाएगा। श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ और संत समागम में देश के अलग अलग राज्यों से संतों और कई बड़े नेताओं के साथ अधिक संख्या में उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों का आना हुआ। आयोजन में लगे लोगों की बात करें तो एक दिन में एक लाख लोगों का खाना बन रहा है। आयोजक यह भी बताते हैं कि इसमें अधिक संख्या में यूपी के लोग प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं। ऐसे में कार्यक्रम से प्रभावित होने वालों की संख्या अधिक मानी जा रही है।

त्रिदंण्डी स्वामी की आस्था को लेकर आए लोगों को संत समागम में नेताओं के बोल भी आकर्षित कर रहे हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रम और नेताओं के मंच को ऐसा सजाया गया है कि लोगों को आकर्षण यहां भी कम नहीं है। ऐसे में माना जा रहा है कि बक्सर का इफेक्ट दोनों राज्यों में पड़ेगा।
यह आगामी लोकसभा चुनाव में 2024 के लिए बड़ा प्लान माना जा रहा है, क्योंकि यहां से यूपी और बिहार को साधने के लिए नेता बार-बार अयोध्या से सीतामढ़ी के विकास का दावा कर रहे हैं। इसमें रामजानकी प्रोजेक्ट को विशेष रूप से पेश किया जा रहा है।
बक्सर से मिशन मुझमें राम…
बक्सर में आयोजित संत समागम में सनातन संस्कृति समागम में आर एस एस के मोहन भागवत ने नए मिशन की शुरुआत की है। इसमें ‘मुझमें राम.. मिशन’ के तहत आतंकवाद से मुक्त भारत के लिए राम राज्य की बात की जाएगी। संतों के मंच से बक्सर के सांसद केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा कि यह मिशन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी के सपनों को पूरा करने वाला है। अयोध्या से लेकर जनकपुर तक के विकास के दावों के साथ केंद्रीय मंत्री ने इस मिशन को बिहार से पूरे देश में जन-जन तक पहुंचाने की बात कर रहे हैं।
जानिए बिहार से मिशन 2024
बक्सर में आयोजित संत समागम में जुट रहे नेताओं की तैयार बता रही है कि मिशन 2024 पर काम शुरू हो गया है। संगठन के 10 से अधिक राज्यों के बड़े कार्यकर्ता बक्सर आए। दिल्ली, केरल, झारखंड, यूपी, बंगाल और महाराष्ट्र तक से संघ के कार्यकर्ताओं का बक्सर आना 2024 की तैयारी की कड़ी बताया जा रहा है।
कथा के मंच पर संघ के कार्यकर्ताओं के साथ केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, संघ के बड़े कार्यकर्ता प्रदीप राय, भाजपा के कई राज्यों के संगठन मंत्री, कपिल खन्ना, नागेंद्र त्रिपाठी के साथ भाजपा के नेताओं का आना जाना लगा है। कथा के मंच से बोलने वाले नेता धर्म संस्कृति के साथ विकास के दावों को भी गिना रहे हैं। राम और सीता की धरती के विकास की बात के साथ मोदी सरकार की सफलता की बात की जा रही है।
बक्सर के चुनाव का बड़ा कारण
बिहार के साथ यूपी में भी त्रिदंडी स्वामी से जुड़े भक्तों की संख्या लाखों में है। भक्त त्रिदण्डी स्वामी की पुण्य तिथि या अन्य आयोजनों पर बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। उनके शिष्य जीयर स्वामी द्वारा कार्तिक पूर्णिमा से बक्सर के अहिरौली में आयोजित श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ में भी दोनों राज्यों के श्रद्धालुओं की भारी भीड़ है। हर दिन एक लाख से अधिक लोगों की भीड़ इकट्ठा हो रही है।
बिहार का बक्सर यूपी से सटा है, सामान्य दिनों में भी यूपी के लोगों का यहां आना जाना होता है। दोआबा क्षेत्र तो ऐसा है कि यूपी और बिहार पूरी तरह से एक में बसता है। कार्यक्रमों या विशेष अवसरों में यहां आवागमन की संख्या बढ़ जाती है। बक्सर से मिशन की शुरुआत के पीछे बड़ा कारण दोनों राज्यों को साधना है। बक्सर में 6 विधानसभा सीट है। इसमें ब्रह्मपुर, बक्सर, डुमराव, राजपुर, दिनारा और रामगढ़ है।
बक्सर की गतिविधियों से यूपी का बलिया और गाजीपुर भी काफी प्रभावित हो रहा है। इन इलाकों के लोग भी यज्ञ में शामिल होने आए हैं। बक्सर के इस कार्यक्रम से यूपी की लोक सभा सीट बलिया, सलेमपुर, घोसी और गाजीपुर लोकसभा सीट पर प्रभाव पड़ेगा। बात विधान सभा में प्रभाव की करें तो यूपी की रसड़ा, बेल्थरा रोड, सिकंदरपुर, बासडीह, फेफना, बलिया नगर, बैरिया, जखनिया, सैदपुर, गाजीपुर सदर, जंगीपुर और जमानिया के लोगों पर कहीं न कहीं से आयोजन प्रभावित करेगा।
विश्वामित्र की धरती क्यों है बक्सर
बक्सर का नाम अपभ्रंश है। सतयुग में इसका नाम सिद्धाश्रम था। त्रेता में इसका नाम वामनाश्रम हुआ और द्वापर में वेगगर्वा कहा गया। त्रियुग में इसका नाम व्यागसग्र हुआ जो अब अपभ्रंश होकर बक्सर हो गया। यह क्षेत्र ऋषियों की तपोभूमि और यज्ञ भूमि है। बक्सर में राक्षसों के प्रकोप के कारण ऋषियों का यज्ञ पूजन सफल नहीं हो पाता था। राक्षसों के कारण भार्गव, उदालक, गौतम और महर्षि विश्वामित्र ऋषि भी परेशान हो गए थे। सैकड़ों ऋषि मुनियों की राक्षसों ने हालत खराब कर दी थी। इस कारण से ऋषियों ने महर्षि विश्वामित्र से राक्षसों से मुक्ति का आग्रह किया। इस पर विश्वामित्र ने अयोध्या से भगवान श्रीराम और लक्षमण को बक्सर में अपने आश्रम में लाया।
गंगा नदी से सटे राम रेखा घाट पर ही महर्षि का आश्रम है, जहां भगवान राम और लक्ष्मण ने गुरु के कहने पर राक्षसों से ऋषियों को मुक्ति दिलाई थी। बक्सर में ही भगवान ने ताड़का सुर के साथ अन्य राक्षसों का वध किया था जिसके बाद यह क्षेत्र राक्षसों के कुप्रभाव से हमेशा के लिए मुक्त हो गई। इंद्र की गलती के कारण ऋषि गौतम ने माता अहल्या को श्राप दे दिया था। बक्सर के अहिरौली में जहां यज्ञ का आयोजन कराया गया उसी क्षेत्र में श्राप के कारण अहिल्या पत्थर बन गई थी। भगवान श्रीराम के स्पर्श के बाद वह फिर स्त्री बनी। इस कारण से इस क्षेत्र में अहिल्या माता की उपासना होती है और क्षेत्र को अहिरौली या अहिल्या क्षेत्र कहा जाता है। बक्सर अपने आप में इतिहास है और यहां से यूपी बिहार के लोगों की बड़ी आस्था है। इस आस्था के कारण ही श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के साथ सनातन संस्कृति के कार्यक्रम में लोगों की भीड़ के बीच मिशन का शुभारंभ किया गया।
संतों के मंच से विकास के दावे
संतों के मच विकास के दावों का पिटारा खोला जा रहा है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अयोध्या से लेकर जनपुर के विकास के दावों के साथ आतंकवाद मुक्त भारत के लिए लोगों को राम के आदर्शों पर चलने की बात कही। केंद्रीय मंत्री ने संतों के मंच से पीएम मोदी को विकास के लिए जिम्मेदार बताया और कहा कि मोदी जी के नेतृत्व में ही भारत विश्व गुरु बनेगा। ऐसे दावों पर
नेताओं के जय जयकार भी हो रही है। भीड़ से जिंदाबाद के नारे भी लग रहे हैं। अयोध्या और जनकपुरी के मध्य में स्थित महार्षि विश्वामित्र की तपोभूमि से ही लोगों को विकास की याद दिलाई जा रही हैं।
धार्मिक आयोजन के बीच संतों के मंच से नितिन गडकरी ने बक्सर से लेकर बिहार के 13 हजार करोड़ की परियोजनाओं की बात की। इसके साथ ही आदर्श राम राज्य के लिए नए मॉडल की बात की जिसमें विकास और विज्ञान के सहारे देश को आगे ले जाने का दावा किया। दियारा क्षेत्र से विकास के दावों के बीच केंद्रीय मंत्री ने बिहार और यूपी की कई परियोजनाओं को गिनाया। इससे लोगों को बिहार से यूपी में यानि राम और सीता से जोड़ने का प्रयास किया गया।
2024 के लिए रामजानकी परियोजना का मॉडल
2024 के पूर्व ही रामजानकी परियोजना के तहत अयोध्या से जनकपुर तक सड़क पूरी हो जाएगी। इस बड़े मॉडल को लेकर नितिन गडकरी ने बताया कि राम जानकी मार्ग दो हजार करोड़ का 236 किलोमीटर निर्माण कर रहे हैं। रामजानकी मार्ग परियोजना के तहत 213 करोड़ के सड़क मार्ग का निर्माण हो रहा है। बिहार में रामजानकी मार्ग परियोजना के तहत 223 किलो मीटर की सड़क परियोजना का काम नेपाल सीमा तक हो रहा है। यह 2023 में पूरा हो जाएगा। यह सब इसलिए कर रहे हैं कि प्रभु रामचंद्र का आचार विचार संस्कार लोगों तक पहुंचे। केंद्रीय मंत्री का कहना है कि जब लोग वहां पहुंचेंगे तो आचार विचार उनके अंदर आएगा। भगवान राम और मां सीता की भूमि का विकास इसीलिए किया जा रहा है। अयोध्या से जनकापुर के रास्ते को आसान बनाने के दावों के साथ आस पास की सड़कों को लेकर भी दावे किए जा रहे हैं। इसे 2024 का नया मॉडल बताया जा रहा है।
भय-भूख के साथ आंतकवाद की बात
संतों के मंच से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने देश में भय, भूख और आतंकवाद से मुक्ति दिलाने की बात की। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भगवान राम का जो राम राज्य था, वह राम राज्य निर्माण करना हमारा संकल्प है। यह संकल्प पूरा करने के लिए ज्ञान विज्ञान और अन्य माध्यमों से ज्ञान आना चाहिए। विज्ञान की ताकतों से विश्व में प्रथम प्रमाण का राष्ट बनना है। आत्म निर्भर भारत
बनना है। आतंरिक शक्ति को मजबूत बनाना है। विश्व गुरु बनने के बाद ही राम राज्य की स्थापना होगी। संस्कार यज्ञ जीवन को बदलने के लिए हैं। 21 वीं सदी भारत के प्रभुत्व की होगी। बक्सर से श्री राम और रामायण को जगाने को लेकर संतो का समागम हो रहा है।
बक्सर के विधायक ने कहा यज्ञ का राजनीतिकरण
बक्सर के विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी का कहना है कि जीयर स्वामी के सानिध्य में श्री लक्ष्मी नरायण महायज्ञ कराया जा रहा है। लेकिन दुर्भाग्य है कि इस धार्मिक आयोजन का राजनीतिकरण कर दिया गया है। यज्ञ स्थल से नेताओं के लिए मंच और कथा के मंच से नेताओं का भाषण दुर्भाग्यपूर्ण है। यह धार्मिक आयोजन है और श्री राम चंद्र की प्रथम कर्मस्थली पर ऐसे आयोजन में सभी को राजनीति से दूर रहकर धर्म का काम करना चाहिए था। लोगों की सेवा सत्कार के साथ इस आयोजन की सफलता को लेकर काम करना चाहिए था, लेकिन कार्यक्रम में बड़े बड़े नेताओं को बुलाकर कथा के मंचा से विकास के दावे कराना उचित नहीं है।
इस धार्मिक मंच से आतंकवाद और पाकिस्तान की बात की जा रही है। बक्सर विधायक का कहना है कि यह 2024 को साधने की तैयारी की जा रही है। भाजपा जिस तरह से देश के अलग अलग राज्यों में कोई न कोई मुद्दा लेकर चलती है, ऐसे ही बिहार और यूपी को राम और सीता की भूमि पर विकास का दावा कर साधने की तैयारी है। बिहार में भाजपा के सत्ता से बाहर होने के बाद अब ऐसे कार्यक्रम से 2024 मॉडल तैयार किया जा रहा है।
विधायक मुन्ना तिवारी का कहना है कि धार्मिक आयोजन का राजनीतिकरण होने का साधु-संतों ने भी विरोध किया है। आरोप है कि भाजपा विरोध से हंगामा करना चाहती है, यही कारण है कि लोग आयोजन की सफलता पर ध्यान दे रहे हैं। भोलानाथ ओझा का कहना है कि धर्म के मंच से सिर्फ और सिर्फ धर्म की बात होनी चाहिए। जहां धर्म की बात हो वहां पार्टी शून्य हो जानी चाहिए। यज्ञ धर्म जाति के साथ हर भेद भाव को मिटाता है, इसमें राजनीतिक किया जाना गलत है।
आम लोगों को भी नहीं भाई धर्म के साथ राजनीति
खीरी के अरुण कुमार सिंह बताते हैं कि यह पूरी तरह से गलत है। जिस उद्देश्य जिस विचार से यज्ञ हो रहा है, फोकस उसी पर होना चाहिए। बक्सर के धर्मेंद्र पांडे का कहना है कि राम और सीता की बात की जा रही है। मंच से विकास और राम राज्य की बात की जा रही है लेकिन यहां राम के नाम पर भी कोई विकास नहीं किया गया है। भगवान राम बक्सर के 5 गांवों में घूमे थे, लेकिन इन गांवों में भी कोई विकास नहीं किया गया है। यहां न तो विश्वामित्र का मंदिर बनाया गया और न ही अहल्या का मंदिर बना है।
अगर विकास किया गया होता तो रोजगार को लेकर भी बड़ी संभावना होती। चरित्र वन में विश्वामित्र का एक स्थान तक नहीं बनाया गया है। अब जब चुनाव करीब आया तो नया मॉडल तैयार किया जा रहा है। इस नए मॉडल में भगवान राम की मूर्ति की बात की जा रही है। पूरा बक्सर देख ऐसा नहीं लगेगा कि यहां भगवान राम आए थे, कहीं भी किसी प्रमुख स्थान का विकास नहीं किया गया है।
कुमार अरुण बताते हैं बक्सर में विकास के नाम पर कुछ नहीं हुआ है। विकास और भगवान राम के नाम पर यहां कुछ नहीं है। यज्ञ में नेताओं का आना राजनीति के अलावा कुछ नहीं है। श्याम कुमार सिंह भी बताते हैं कि यज्ञ में राजनीति ठीक नहीं है। विकास को लेकर नेताओं और जनप्रतिनिधियों को ध्यान देना चाहिए। भगवान राम और विश्वामित्र के नाम पर कुछ भी नहीं है। बाहर से आने वालों को काफी समस्या होती है। यहां के ऐतिहासिक स्थलों की काफी शर्मनाक है।