क्या बिहार की हवा जहरीली है ? ये सवाल इन दिनों इस लिये उठ रहा है क्योंकि बिहार में कई शहरों की हवा दूषित हो गई है. हालात ऐसे हैं कि राजधानी पटना के साथ बिहार के 6 ऐसे शहर हैं जो देश के टॉप 10 प्रदूषित शहरों की सूची में हैं. दिल्ली जैसे शहर जहां गैस चैम्बर जैसी स्थिति बताई जा रही है, की तुलना में बिहार के शहरों का एयर क्वालिटी इंडेक्स उससे भी ज्यादा है. दिल्ली का एयर क्वलिटी इंडेक्स जहां 341 है वहीं मोतिहारी का 425, सीवान का 414, बेतिया का 408, दरभंगा का 397, बेगूसराय 390 , बक्सर, 387, सहरसा 367 जबकि पटना में 280 एयर क्वलिटी इंडेक्स रिकॉर्ड किया गया है.
बिहार में वायु प्रदूषण की इस खराब हालत की सबसे वजह पराली जलाने और ठंढ के कारण बढ़ते धुंध बतायी जा रही है. बिहार सरकार ने पराली जलाने को लेकर सख्त निर्देश जारी किए है और लोगों से नहीं जलाने की अपील भी की है लेकिन इसका असर नहीं होता हुआ दिखाई पड़ रहा है. बिहार में वायु प्रदूषण की खराब होती स्थिति लोगों के स्वास्थ्य पर खतरनाक असर कर रहा है.
देश की राजधानी दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण की खबरें चिंता का विषय बनी हुई हैं. लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि बिहार का कटिहार शहर प्रदूषण के मामले में दिल्ली से भी आगे है. कटिहार का AQI फिलहाल दिल्ली से ज्यादा गंभीर स्थिति में है. केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड (CPCB) के द्वारा जारी रिपोर्ट में कटिहार को देश का सबसे अधिक प्रदूषित शहर बताया गया है, जबकि दिल्ली दूसरे स्थान पर है. कटिहार का एयर क्वालिटी इंडेक्स मंगलवार तक 342-345 पहुंच गया और जबकि 250 से अधिक एक्यूआई स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है.
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक के मुताबिक देश भर में प्रदूषित शहर के मामले में मोतिहारी पहले स्थान पर है। मोतिहारी का सूचकांक 425 है। वहीं दिल्ली जो अभी गैस चेम्बर में तब्दील हो चुकी है, उसका सूचकांक 341 है। राज्य के छह शहरों में जिसकी हवा खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। उसमें मोतिहारी, बेतिया, दरभंगा, बक्सर, बेगूसराय, छपरा, कटिहार, पूर्णिया, सहरसा, दरभंगा शामिल हैं। यहां की हवा इतनी दूषित हो चुकी है कि अब सांस लेना मुश्किल हो गया है। इससे सांस के मरीजों को मुश्किल होने लगी है।
सुपर डस्ट मानक से हुआ 7 गुना अधिक
पीएम 2.5 यानी श्वसन योग्य महीन धूलकण(सुपर डस्ट) का मानक है 60 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर। तय मानक से अधिक धूलकण अगर हवा में जमा है तो उसे प्रदूषित हवा माना जाता है। मोतिहारी समेत जिन शहरों की हवा बहुत खराब हो चुकी है उसमें कटिहार, बेगूसराय, छपरा, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर और सीवान, दरभंगा का सूचकांक 350 से अधिक है। पटना का 280 है। इन शहरों में पीएम 10 और पीएम 2.5 यानी महीन और मोटे धूलकण की मात्रा मानक से सात गुना अधिक हो चुकी है। जिसके कारण परिवेशीय वायुमंडल पूरी तरह से दूषित हो चुका है।
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि तापमान में गिरावट और ठंड के कारण धूलकण समेत अन्य प्रदूषण के तत्व वायुमंडल में ज्यादा ऊंचाई तक नहीं जा पाता है। जिसके कारण धुंध जैसी स्थिति बनती है। जाड़े के मौसम के कारण वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ जाती है। जैसे ही तापमान में बढ़ोतरी होती है वायु प्रदूषण कम होने लगता है। तापमान कम होने से धूलकण और अन्य प्रदूषण के कण वायुमंडल के निचले स्तर में जिसे परिवेशीय वायुमंडल कहते हैं वहां जमा होने लगते हैं। ऐसे में अधिकतम 50 मीटर की ऊंचाई तक धुंध और कण पदार्थ जमे रहते हैं। जिसके कारण प्रदूषण की समस्या बढ़ जाती है। पिछले कुछ दिनों में तापमान में कमी आने के कारण धूलकण वायुमंडल की निचली परत में मानक से सात गुना अधिक सुपर डस्ट यानी महीन धूलकण जमे हुए हैं।
सीवान में प्रशासन की तमाम सख्ती के बावजूद पराली जलाने की घटनाएं बढ़ी हैं। विशेषकर गुठनी, सिसवन व रघुनाथपुर व दरौली समेत कई प्रखंडों में खुलेआम पराली जलाई जा रही है। इसी का असर प्रदूषण के स्तर पर दिख रहा है। सांस से संबंधित दमा व अस्थमा के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। शहर के चित्रगुप्त नगर मुहल्ले में सबसे अधिक प्रदूषण का स्तर पाया जा रहा है। यही नहीं, फसल अवशेषों के जलाने से मिट्टी का तापमान बढ़ने की वजह से मिट्टी में उपलब्ध सूक्ष्म जीवाणु व केंचुआ आदि मर रहे हैं।
देश भर के टॉप 10 प्रदूषित शहर
शहर सूचकांक
मोतिहारी 425
बेतिया 408
दरभंगा 397
बेगूसराय 390
बक्सर 387
सहरसा 367
गुरुग्राम 358
जींद 345
दिल्ली 341
ग्वालियर 330
पटना 280
पीएमसीएच के विशेषज्ञ डॉक्टर पंकज हंस का कहना है कि वायु प्रदूषण के जो हालात होते जा रहे हैं उससे शरीर के कई अंग प्रभावित होते हैं. सबसे पहले आंख प्रभावित होती है. आंखों में जलन शुरू हो जाती है. त्वचा में इचिंग जैसी समस्या हो सकती है. प्रदूषण ज्यादा होने से सबसे ज्यादा लंग्स प्रभावित होता है, वहीं हर्ट अटैक की समस्या भी उत्पन्न होती है. लोगों के प्रजनन क्षमता पर भी ये असर करता है. लोगों के बचाव के लिए डॉक्टर पंकज हंस ने बताया कि लोग घर से बाहर जब भी निकलें तो कोशिश करें की फुल बांह की कमीज पहनकर निकलें.
लोग मास्क का प्रयोग जरूर करें. मास्क का इस्तेमाल सिर्फ कोरोना के लिए नहीं बल्कि वायु प्रदूषण से बचने के लिए भी करें. फल, सब्जियां, मीट-मछली खाते हैं तो अच्छी तरह से धोकर ही खाना चाहिए. गाड़ी के धुआं से जितना बच सके लोगों को बचना चाहिए.