सेंट्रल पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के मुताबिक सोमवार को राजधानी दिल्ली का एक्यूआई महज 44 रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि हवा का यही स्तर रहता है, तो स्वास्थ्य के लिहाज से कहीं जाने की जरूरत नहीं है, और यह स्थिति उम्र बढ़ाने का बड़ा कारक साबित हो सकती है।
दरअसल, बादल रिकॉर्ड बना रहे हैं। अक्टूबर में दिल्ली बारिश से बेतहाशा सराबोर हुई। इतनी कि सोलह साल का रिकॉर्ड टूट गया। अक्टूबर के इन दिनों में आम तौर पर 9.6 मिली. बारिश होती है, लेकिन अभी तक 121.7 मिली. बारिश हो चुकी है।
बीते साल अक्टूबर माह में 122.5 मिली. बारिश हुई थी, जो 1956 के बाद एक रिकॉर्ड था। संभवत: आगामी दिनों में यह रिकॉर्ड भी टूट जाए। दिल्ली-एनसीआर जैसे हालात कमोबेश पूरे उत्तर भारत में हैं। शहरों में मौसमी हालात खुशगवार भले लग रहे हों, लेकिन चिंता का सबब भी हैं। बेतहाशा बारिश के कारण बाजार से साग-सब्जियां गायब हो चुकी हैं।
खेत डूबने से सब्जियों की फसल खराब हो चुकी हैं। धान, बाजरा, ज्वार, मूंग, उड़द, तिल की कटाई का सीजन है। ये फसल या तो खेतों में कटी रखी हैं, या काटी जा रही हैं, लेकिन बारिश ने जैसे हालात पैदा कर दिए हैं, उससे इनका खेतों में सड़ना तय है। गन्ने को भी नुकसान हुआ है। सरसों की बुआई में बारिश ने विलंब कर दिया है। अगैती आलू तो इस बार बाजार में आ ही नहीं पाएगा। दिल्ली के आसपास लगातार कई दिनों से बारिश होने के कारण दिल्ली को सब्जियों की आपूर्ति पर असर पड़ा है।
दिल्ली की सब्जी मंडियों में अरबी जैसी कुछेक सब्जियों को छोड़कर कोई सब्जी नहीं मिल पा रही। कृषि उत्पाद महंगे होने की स्थितियां पैदा हो गई हैं। गेहूं की घरेलू बाजार में पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा रखी है।
सरकार का प्रयास है कि आम उपभोक्ता को खान-पान के उत्पादों की कमी न पड़ने पाए, लेकिन लगातार बारिश और फलस्वरूप हवा में शुद्धता के बीच चावल जैसे खाद्यान्नों का संकट पैदा होने का अंदेशा है। सरकार को गिरदावरी करके किसानों को राहत पहुंचानी होगी। उपभोक्ताओं को महंगाई के दंश से हर हाल में बचाना होगा।