नवरात्रि के आठवें दिन सोमवार को मां महागौरी की पूजा की जा रही है। सुबह से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है। माता के जयकारों से पूरा मंदिर परिसर गूंज उठा। लोगों ने पूरे विधि-विधान और वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच मां दुर्गा के आठवें स्वरुप मां महागौरी की आराधना की।
मां महागौरी का रंग अंत्यत गोरा है। इनकी चार भुजाएं हैं और मां बैल की सवारी करती हैं। मां का स्वभाव शांत है। इनकी पूजा करने से सभी व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
महागौरी माता का अलौकिक स्वरूप
महागौरी माता दुर्गा की आठवीं शक्ति देवी हैं। इनका स्वरूप अत्यंत सौम्य है। मां गौरी का ये रूप बेहद सरस‚ सुलभ और मोहक है। देवी महागौरी का अत्यंत गौर वर्ण हैं। धार्मिक मान्यता है कि अपनी कठिन तपस्या से मां ने गौर वर्ण प्राप्त किया था। तभी से इन्हें उज्जवला स्वरूपा महागौरी‚ धन–ऐश्वर्य प्रदायिनी‚ चौतन्यमयी त्रैलोक्य पूज्य मंगला‚ शारीरिक‚ मानसिक और सांसारिक ताप का हरण करने वाली माता महागौरी के नाम से जानी गयी। इनके वस्त्र और आभूषण आदि भी श्वेत ही हैं। इनकी चार भुजाएं हैं। महागौरी का वाहन वृष है। देवी के दाहिने ओर के उपर वाले हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है। बाएं ओर के उपर वाले हाथ में डमरू और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है। इनका स्वभाव अति शांत है।
देवी की पूजा से मधुर होंगे वैवाहिक जीवन
शारदीय नवरात्र के अष्टम पूजा में देवी महागौरी की पूजा करने से सभी प्रकार पाप नष्ट हो जाते है‚ जिससे मन और शरीर शुद्ध एवं पवित्र हो जाता है। देवी महागौरी भक्तों को सदमार्ग की ओर ले जाती है। इनकी पूजा से अपवित्र व अनैतिक विचार भी नष्ट होते हैं। जगत जननी के इस सौम्य रूप की पूजा करने से मन की पवित्रता बढती है। जिससे सकारात्मक ऊर्जा‚ एकाग्रता में वृद्धि तथा सर्व कष्ट से मुक्ति मिलती है। महागौरी कि पूजा से शीघ्र विवाह का वरदान तथा वैवाहिक जीवन भी मधुर हो जाता है। रामचरितमानस के अनुसार माता सीता ने भगवान श्रीराम को पाने हेतु इसी देवी की आराधना की थी प् ज्योतिष शास्त्र में इनका संबंध शुक्र नामक ग्रह से माना गया है।
महागौरी की आराधना से दूर होते कष्ट
माता जगदम्बा के आठवें रूप महागौरी की पूजा करने से ग्रह दोष दूर होते हैं। इस देवी के स्मरण व पूजन मात्र से श्रद्धालुओं को व्यापार‚ दांपत्य जीवन‚ सुख–समृद्धि‚ धन आदि में वृद्धि होती है। ऐसे लोग जो अभिनय‚ गायन‚ नृत्य आदि के क्षेत्र में हैं उन्हें देवी की पूजा से विशेष सफलता मिलती है। यह माना जाता है कि उनकी पूजा से त्वचा संबंधी रोगों का भी निवारण होता है।
महागौरी देवी मंत्र
श्वेत वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिरू।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा
दुर्गाष्टमी 2022 पूजा विधि
इस दिन मां दुर्गा के साथ उनके आठवें स्वरूप महागौरी माता का आशीर्वाद पाने के लिए सबसे पहले लकड़ी की चौकी पर या मंदिर में महागौरी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। फिर चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर महागौरी यंत्र रखें और यंत्र की स्थापना करें। इसके बाद पुष्प लेकर मां का ध्यान करें। अब मां की प्रतिमा के आगे दीपक चलाएं और उन्हें फल, फूल, नैवेद्य आदि अर्पित करें और देवी मां की आरती उतारें। वहीं यदि आप पूरी नवरात्रि के व्रत रखते हैं तो अष्टमी को हवन जरूर करवाना चाहिए।
नवरात्रि अष्टमी 2022 मुहूर्त
नवरात्रि महा अष्टमी तिथि की शुरुआत- 02 अक्टूबर, शाम 06 बजकर 47 मिनट से
अष्टमी तिथि समाप्त – 03 अक्टूबर, शाम 04 बजकर 37 मिनट पर
महा अष्टमी पूजा का महत्व
नवरात्रि में अष्टमी तिथि के दिन पूजा करने से शादी-विवाह में आ रही रुकावटें दूर होती हैं। साथ ही महागौरी की पूजा से दांपत्य जीवन सुखद बना रहता है और पारिवारिक कलह भी खत्म हो जाता है। ऐसी मान्यता है कि माता सीता ने श्री राम की प्राप्ति के लिए देवी महागौरी की ही पूजा की थी।
महा अष्टमी पूजा का महत्व
नवरात्रि में अष्टमी तिथि के दिन पूजा करने से शादी-विवाह में आ रही रुकावटें दूर होती हैं। साथ ही महागौरी की पूजा से दांपत्य जीवन सुखद बना रहता है और पारिवारिक कलह भी खत्म हो जाता है। ऐसी मान्यता है कि माता सीता ने श्री राम की प्राप्ति के लिए देवी महागौरी की ही पूजा की थी।
षष्ठी को ही खोल दिया गया बंगाली अखाड़ा पूजा पंडाल का पट
इधर, पटना में लोग कई जगह पर बंगाली समाज के तौर तरीके से मां दुर्गा की आराधना करते हैं। मुख्य रूप से बंगाली अखाड़ा कालीबाड़ी में बंगाली पद्धति से विशेष पूजा की जाती है। यहां पर पंडाल के पट छठे दिन ही खोल दिए जाते हैं। इसके बाद श्रद्धालु मां के दर्शन करते हैं। यहां 130 साल से एक ही थीम पर प्रतिमा निर्माण चला आ रहा है। कारीगर की चौथी पीढ़ी है, जो यहां पर मूर्ति बना रहे हैं। हर साल मां दुर्गा के मूर्ति एक जैसी ही होती है।
दुर्गा मंदिरों में सुबह से भक्तों की भीड़ है. बिहार के प्रमुख शक्तिपीठ थावे वाली के दरबार में भी भक्तों की भारी भीड़ जुटी है. रात के दो बजे से मंदिर के बाहर लंबी कतारें लगीं हैं. बेकाबू भीड़ के आगे पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था फेल हो गई. वहीं प्रशासन की ओर से सुरक्षा में लापरवाही भी बरती जा रही है. आरती के बाद गोपालगंज के थावे मंदिर में भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई. कई महिला श्रद्धालु निकास गेट पर दबकर जख्मी हो गईं. हालांकि पुजारियों ने स्थिति को तुरंत संभाल लिया.
स्काउट के बच्चों के भरोसे मंदिर की सुरक्षा
थावे मंदिर सुरक्षा को लेकर पहले से संवेदनशील है. नवरात्रि में यहां होने वाली भीड़ के मद्देनजर मजिस्ट्रेट और पुलिस अधिकारियों की तैनाती की गयी है, लेकिन सोमवार की सुबह में आरती के वक्त तक कोई भी पदाधिकारी और मजिस्ट्रेट मंदिर की सुरक्षा में नजर नहीं आया. लिहाजा स्काउट गाइड के 40 छात्रों के भरोसे रविवार की देर रात से ही मंदिर की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गयी है. इस कारण मंदिर में काफी देर तक अफरातफरी की स्थिती बनी रही.
महाअष्टमी पर किया गया भव्य श्रृंगार
महाअष्टमी के मौके पर मां महागौरी की पूजा हो रही है. मां थावे वाली की दिव्य श्रृंगार की गयी है. माता की श्रृंगार यहां के माली कलकता फूल भंडार के संचालक अशोक कुमार द्वारा की जाती है. वैसे तो सालों भर यहां माता का श्रृंगार किया जाता है, लेकिन नवरात्र में विदेशी और देसी फूलों से भव्य श्रृंगार किया जा रहा है, जो भक्तों को खूब लूभा रहा है.