बिहार के राजनीतिक गलियारों में इन दिनों एक बार फिर यह जुमला चल पड़ा है कि ऐसा कोई सगा नहीं जिसे …..ने ठगा नहीं। इस जुमले का प्रयोग जो भी नेता कर रहे हैं वो अपने प्रिय विरोधी नेता का नाम जोड़ दे रहे हैं। अब इसे पलटी प्रवृत्ति का गवाह तो हर दशक रहा है। अब इसे राजनीति की भाषा में धार बदलने की बात कर लें या ठगने जैसे अलंकार से सुशोभित करें। मसला इतना भर है कि जिस भरोसा की डोर पकड़ कर बैठे हैं, वह डोर हाथ से निकल गई।
चौधरी देवी लाल और समाजवादी धारा
किसान नेता के रूप में देवी लाल की राजनीति को परवान मिल रहा था। वर्ष 1987 में हरियाणा के सीएम बनते ही रसूखदार नेताओं में उनकी गिनती होने लगी। लोकदल के बैनर तले देवी लाल का रुतबा पूरे देश में बढ़ने लगा। किसान नेता का अक्श था जो उन्हें देश भ्रमण को विवश करता था। तब शरद यादव देवी लाल के करीब थे और लालू यादव और नीतीश कुमार शरद यादव के। इस सच का गवाह तत्कालीन समाजवादी धड़ा भी है। देश भ्रमण के नाम पर इनकी राजनीति का कद बढ़ भी रहा था। लेकिन इस राजनीति का एक विचित्र सत्य यह भी था कि जाट फॉरवर्ड जाति से आते थे, पर इनकी राजनीति पिछड़ों के गोलबंदी के साथ थी। इन्हीं पिछड़ों की गोल बंदी के घेरे में लालू, नीतीश और शरद भी थे।
1989 वीपी सिंह बनाम देवी लाल
फिर एक समय आया जब कांग्रेस से विमुख हो कर राजनीति के अखाड़े में एक अलग भाव ले कर बीपी सिंह आए। कांग्रेस को उखाड़ फेंकने की मुहिम चली। जिसमें देवी लाल, बीपी सिंह, शरद यादव, लालू यादव सब जुटे। पूरे देश भर में कांग्रेस के खिलाफ मुहिम चली। और वीपी सिंह उसके नायक बने।
पीएम का प्रस्ताव और चंद्रशेखर का ट्विस्ट
1989 में पीएम हटाओ का सफल मुहिम भले एक नया इतिहास बन रहा हो, पर इसके साथ एक और इतिहास बन रहा था। हुआ यह जब सांसदों के साथ पीएम के उम्मीदवार चयन को लेकर चर्चा हो रही थी, वरीय नेता चंद्रशेखर कुछ अलग इतिहास बना रहे थे। उन्होंने प्रधानमंत्री के लिए देवी लाल का नाम प्रस्तावित कर दिया। बैठक में हलचल सी मच गई। लेकिन तब कमान देवी लाल ने संभाली और कहा कि मुझ ताऊ ही रहने दो। प्रधानमंत्री की कुर्सी वीपी सिंह को मुबारक हो। वे डिप्टी पीएम बने और अपने मन मुताबिक कृषि मंत्री भी बने। और नीतीश कुमार कृषि राज्य मंत्री बने।
वर्ष 1990, ओम प्रकाश चौटाला और मेहम विधानसभा चुनाव
वर्ष 1990 वीपी सिंह की सरकार के सामने मेहम विधानसभा चुनाव में हुई धांधली एक बड़ा मुद्दा बन कर सामने आया। देवी लाल के बेटे ओम प्रकाश चौटाला 1990 में मुख्यमंत्री बन गए थे और मेहम विधानसभा चुनाव लड़ रहे थे। इस चुनाव में काफी शिकायत भी मिली। इसको लेकर देवी लाल और वीपी सिंह में मतभेद भी पैदा हुआ।
लालू प्रसाद और वीपी सिंह की वाह खास मुलाकात
राजनीतिक गलियारों का यह वो खास समय था, जब देवी लाल और वीपी सिंह के बीच मतभेद को लालू प्रसाद ने हवा दी थी। कहा जाता है कि तब लालू प्रसाद ने ही वीपी सिंह को देवी लाल के ऊपर कार्रवाई को लेकर उकसाया। कहा जाता है कि देवी लाल को डेप्युटी प्राइम मिनिस्टर के पद से हटाया गया। तब लालू प्रसाद के बारे में कहा जाता है कि जो व्यक्ति दिल्ली एयरपोर्ट से सीधे देवीलाल के यहां जाया करता था, वो उस दिन दिल्ली एयरपोर्ट से सीधे वीपी सिंह के आवास चले गए और देवीलाल के विरुद्ध राजनीति कर गए।
9 अगस्त 1990 और 7अगस्त 1990
फिर वह दिन भी आया जब 9 अगस्त 1990 को रैली का आयोजन देवी लाल ने किया तो शरद, रामविलास, लालू और नीतीश, सभी वीपी के साथ खड़े थे। और कहा जाता है कि इन्हीं सब समाजवादी नेताओं के कहने पर वीपी सिंह ने मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू की। और इसके लागू करने का तात्कालिक कारण था देवी लाल की रैली को असफल करना। और यही हुआ भी। 7 अगस्त 1990 को मंडल कमीशन लागू कर दिया गया। राजनीतिक गलियारों में तब एक चर्चा का विषय था कि 1990 में जब देवीलाल बिहार आए तो उनसे मिलने शरद यादव, रामविलास, लालू और नीतीश में से कोई नहीं मिलने गए। तब एक मात्र रामविलास सिंह जो लालू मंत्री परिषद के सदस्य थे, सिर्फ वही मिले थे।