मशहूर उद्यमी और टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री का बीते रविवार मुंबई–अहमदाबाद हाईवे पर एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। दुर्घटना का कारण तेज रफ्तार को बताया जा रहा है। खबरों के अनुसार मिस्त्री जिस मर्सडीज कार में सवार थे‚ दुर्घटना के समय उसकी स्पीड करीब १३० किलोमीटर प्रति घंटा थी। दुर्घटना के कई और कारण भी सामने आए हैं। जैसे कि जिस जगह पर यह हादसा हुआ उसकी चौड़ाई कम थी जिस कारण गाडि़यों के निकलने में दिक्कत आती है। इसके साथ ही गाड़ी में पीछे की सीट पर सवार दोनों लोगों ने सीट बेल्ट नहीं पहनी थी। यह स्पष्ट है कि सड़क सुरक्षा के नियम का पालन न करने से अक्सर ऐसी दुर्घटनाएं होती हैं जो जानलेवा साबित होती हैं। इसलिए सभी को जिम्मेदारी से गाड़ी चलानी चाहिए या उसमें सफर करना चाहिए।
दरअसल‚ वाहन को गति सीमा में चलाने की बात हो या गाड़ी चलाते हुए सीट बेल्ट पहनने की बात हो‚ प्रायः ऐसा देखा गया है कि इन नियमों का पालन केवल चालान से बचने के लिए ही होता है। विदेशों के मुकाबले हमारे देश में पीछे की सीट पर सवार लोग जिम्मेदारी से सीट बेल्ट पहने ऐसा चलन अभी देखने में नहीं आया है। ऐसा केवल कुछ चुनिंदा लोग ही करते हैैं‚ जबकि कार में पीछे बैठी सवारियों को भी अपनी सुरक्षा के लिए सीट बेल्ट पहननी चाहिए। आपात स्थिति में ब्रेक लगने पर पीछे बैठी सवारी को ज्यादा चोट लगने की आशंका होती है। भारत में केंद्रीय मोटर वाहन नियम की धारा ३८१ (१) के तहत‚ गाड़ी चलते वक्त आगे और पीछे की सीटों पर बैठे हुए यात्रियों का सीट बेल्ट लगाना अनिवार्य है। यह नियम अक्टूबर २००२ में लागू हुआ था। इसी कानून की धारा १२५ (१) के तहत सभी चार पहिया वाहन निर्माताओं के लिए फ्रंट और रियर सीट्स पर बेल्ट देना भी अनिवार्य किया गया है। साइरस मिस्त्री की मृत्यु के बाद सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी ने मीडिया से कहा कि उन्होंने एक आदेश जारी किया है‚ जिसके तहत अब से कार में पीछे बैठने वाले अगर सीट बेल्ट नहीं लगाएंगे तो उनका भी चालान होगा‚ परंतु जब तक नियमों को सख्ती से लागू नहीं किया जाएगा तब तक ऐसे नियमों का असर नहीं दिखेगा। गाड़ी की गति सीमा के उलंघन के मामलों में भी कुछ ऐसा ही देखा गया है। आज देश में कई जगह गाड़ी की गति सीमा के उल्लंघन को पकड़ने के लिए ट्रैफिक पुलिस ने स्पीड कैमरे लगा रखे हैं। जिन लोगों को इन कैमरों के लगे होने की जानकारी होती है‚ वे लोग चालान से बचने को कैमरे की रेंज में आने से पहले ही अपनी गाड़ी की स्पीड कम कर लेते हैं। पर फिर तेज स्पीड पकड़ लेते हैं। गंतव्य पर जल्दी पहुंचने की होड़ में लोग यह भी भूल जाते हैं कि तेज गति से चलने पर न सिर्फ इंधन की खपत अधिक होती है बल्कि वाहन की घिसाई भी अधिक होती है। इससे दुर्घटना होने की आशंका भी बढ़ जाती है। तेज रफ्तार से गाड़ी चलाने पर अक्सर जब ओवरटेक किया जाता है तो चालक की जजमेंट भी गलत हो जाती है जो दुर्घटना को अंजाम देती है। ऐसा ही कुछ मिस्त्री की गाड़ी चला रही अनायता पंडोले से भी हुआ। मिस्त्री का हादसा हो या २५ वर्ष पूर्व १९९७ में हुई ब्रिटेन की राजकुमारी डायना स्पेन्सर की कार दुर्घटना में मौत का मामला हो‚ इन दोनों में यही समानता है कि पीछे बैठी सवारियों ने सीट बेल्ट नहीं लगाई थी। जब भी कभी तेज गति से चल रही गाड़ी में टक्कर होती है या अचानक ब्रेक लगाई जाती है तो आगे बैठी सवारियों को सीट बेल्ट रोक लेती है। ऐसे में आगे बैठी सवारियों को कम चोट आती है। वहीं पीछे बैठी सवारियों को ज्यादा चोट लगती है। राजमार्गों और एक्सप्रेस वे जैसी सड़कों पर चलते समय यदि पीछे बैठी सवारियां भी सीट बेल्ट पहन कर यात्रा करें तो दुर्घटना के समय निश्चित रूप से चोट की आशंका कम होगी। आजकल की नई गाडि़यों में यदि आगे बैठी सवारियों ने सीट बेल्ट न पहनी हो तो गाड़ी में बीप की आवाज बजने लगती है। यह बीप तब तक बजती रहती है जब तक सवारी सीट बेल्ट न लगा ले।
भारत में लोग चालान और बीप की आवाज से छुटकारा पाने के लिए मजबूरन सीट बेल्ट लगा ही लेते हैं‚ लेकिन पीछे की सवारियों के लिए अभी ऐसा कुछ भी नहीं है। आजकल की गाडि़यों में सवारियों की सुरक्षा के लिए एयरबैग भी लगे होते हैं। मर्सडीज जैसी महंगी गाडि़यों में तो कई एयरबैग होते हैं। यह एयरबैग समय पर तभी खुलते हैं‚ जब यात्री सीट बेल्ट पहने हुए होते हैं। यदि किसी सवारी ने सीट बेल्ट नहीं लगा रखी तो एयरबैग देरी से खुलते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ था साइरस मिस्त्री के साथ। तेज गति से चल रही उनकी गाड़ी अनियंत्रित हुई और पुल की दीवार से जा भिड़ी। ऐसे में तेज गति‚ गलत जजमेंट‚ तंग सड़क और सीट बेल्ट का न पहनना ही कारण नहीं बल्कि गाड़ी चलाते हुए सावधानी न बरतना सबसे अहम कारण है। शायद इसीलिए कहा गया है कि ‘सावधानी हटी दुर्घटना घटी।