सीमांचल की राजनीति पर हर किसी की नजर है। देश के गृह मंत्री अमित शाह बिहार आने वाले हैं। वे 23 सिंतंबर को पूर्णिया और 24 सितंबर को किशनगंज में जनसभा को संबोधित करेंगे। कहा यह जा रहा है कि वे यहीं से 2024 के लोकसभा चुनाव का बिगुल फूकेंगे।
भाजपा का आरोप है कि नीतीश कुमार की पार्टी जदयू, लालू-तेजस्वी की पार्टी राजद के साथ ही कांग्रेस पार्टी, मुस्लिम तुष्टिकरण करके देश को खतरे में डाल रही है। दूसरी तरफ भाजपा विरोधी पार्टियों को एकजुट करने के लिए नीतीश कुमार ने तीन दिन की दिल्ली यात्रा की और 10 नेताओं के साथ मुलाकात की। वे मिशन 2024 पर हैं कि इस बार नरेन्द्र मोदी या भाजपा को केन्द्र से बेदखल करना है।
दो मकसद से हो रही राजनीति
भाजपा दो मकसद के साथ सीमांचल में तेज कदम चल रही है। पहला है कि वहां किस तरह से मुसलमानों के वोट बैंक को बांटा जाए और हिन्दू वोट बैंक का पोलाराइजेशन किया जाए। अभी भाजपा की नजर 2024 के चुनाव पर है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि भविष्य की राजनीति यह है कि सीमांचल के इलाकों से नया केन्द्र शासित प्रदेश बनाया जाए। अंदरखाने की राजनीति यह है कि इससे बिहार में मुस्लिम वोट बैंक टूट कर अलग हो जाएगा, लालू-नीतीश की राजनीति कमजोर हो जाएगी और पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की राजनीति कमजोर हो जाएगी।
संभावना इसकी है कि बिहार के सीमांचल के इलाकों और पश्चिम बंगाल के सीमांचल के इलाकों को मिलाकर केंद्र शासित प्रदेश बनाया जा सकता है। इन इलाकों में बड़ी संख्या में घुसपैठ की भी बात सामने आती रही है। भाजपा इसे देश की सुरक्षा पर खतरा बता कर आगे काम कर सकती है। सीमांचल में किशनगंज, कटिहार, अररिया, पूर्णिया चार लोकसभा क्षेत्र हैं। पश्चिम बंगाल में कूच बिहार, अलीपुर द्वार, सिलीगुड़ी, दार्जिलिंग, दिनाजपुर, मालदा के इलाके आते हैं।
अब जदयू साथ नहीं, इसलिए भाजपा को यहां खुद को साबित करना होगा
अभी भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व सीमांचल के रास्ते बिहार को साधने की कोशिश में है। अमित शाह के दौरे से पहले केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति, राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग की सदस्य अंजू बाला, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय का सीमांचल दौरा हो चुका है। सीमांचल में ओवैसी की पार्टी ने अपना थोड़ा दबदबा दिखाया जरूर, लेकिन उसके पांच में से चार विधायक हाल में एआईएमआईएम छोड़ राजद में शामिल हो गए। यानी राजद की सीमांचल में ताकत बढ़ गई है।
2019 के लोकसभा चुनाव में किशनगंज को छोड़ दें तो सीमांचल की ज्यादातर सीटों पर एनडीए का कब्जा (पूर्णिया, कटिहार और अररिया में एनडीए की जीत और किशनगंज में कांग्रेस की) रहा, लेकिन अब भाजपा को अपने दम पर सीमांचल में साबित करना है कि उसकी भी ताकत है। 2020 के विधानसभा चुनाव में सीमांचल में भाजपा का प्रदर्शन संतोषजनक दिखा था। सीमांचल में कमल ने 7 सीटों पर जीत हासिल की थी। पूर्णिया, कटिहार, अररिया, फारबिसगंज आदि में भाजपा के विधायक हैं। किशनगंज में ठाकुरगंज विधानसभा सीट पर भाजपा की पहले कई बार जीत हुई है, लेकिन अभी किशनगंज में भाजपा के हाथ खाली हैं।
किशनगंज में सबसे ज्यादा मुस्लिम वोटर
सीमांचल लोकसभा इलाके पर गौर करें तो इसमें किशनगंज लोकसभा क्षेत्र में सबसे अधिक 67 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं। इसके बाद कटिहार में 38 फीसदी, अररिया में 32 फीसदी, पूर्णिया में 30 फीसदी वोटर हैं। बिहार में मुसलमान वोटर 16 फीसदी के आसपास माने जाते हैं। विधानसभा क्षेत्रों की बात करें तो 243 में 36 सीटें ऐसी हैं, जहां मुसलमान वोटर किसी की जीत-हार में निर्णायक हो जाते हैं।
भाजपा सीमांचल में सीएए, एआरसी, बांग्लादेशी घुसपैठ, रोहिंग्या का मुद्दा उठा सकती है
आईएसआई, पीएफआई आदि संगठनों की गतिविधियां सीमांचल के इलाके में दिखती रही हैं। इसलिए इस बात की उम्मीद की जा रही है कि भाजपा सीमांचल में सीएए, एनआरसी, बांग्लादेशी घुसपैठ और रोहिंग्या का मुद्दा दमदार तरीके से उठा सकती है। भाजपा के प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल कहते हैं सीमांचल में आतंकी गतिविधियां होती रही हैं।
केन्द्र सरकार चाहती है कि देश की सुरक्षा में बिहार का सीमांचल बाधक नहीं बने। जब गृह मंत्री उन इलाकों में जाएंगे तो उससे बड़ा मैसेज जाएगा। साथ ही सीमांचल काफी पिछड़ा हुआ है। अमित शाह के आने से इन पिछड़े क्षेत्रों के विकास का रास्ता खुलेगा। हमारी चिंता में देश की सुरक्षा बड़ी है।
इस पर राजद के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन कहते हैं कि अमित शाह माहौल बिगाड़ने आ रहे हैं। चूंकि जनता से जुड़े सवाल बेरोजगारी, महंगाई या अन्य मौलिक समस्याएं जो जनता के सामने हैं उसके लिए तो कभी कुछ किया नहीं। हर मोर्चे पर विफल रहे। एक सूत्री कार्यक्रम भाजपा का रहता है कि माहौल बिगाड़े और भावनाएं उभार कर राजनीतिक लाभ लें, लेकिन अब बिहार के लोग समझ चुके हैं।
नए नेताओं की तलाश भाजपा कर सकती है, मुसलमानों के लिए योजना भी ला सकती है- ध्रुव कुमार
राजनीतिक विश्लेषक ध्रुव कुमार कहते हैं कि भाजपा ने देश भर में 144 लोकसभा सीटों को टारगेट किया है। इसमें वैसी सीटें भी हैं जहां वे पराजित भी होते रहे हैं। अमित शाह बिहार के मुस्लिम बहुल इलाके में नए नेताओं की तलाश भी कर सकते हैं। भाजपा हिन्दुत्व के एजेंडे को छोड़ेगी नहीं।
बनारस के बुनकरों के लिए भाजपा ने योजनाएं लायीं उसी तरह बिहार के सीमांचल के लिए भी योजना ला सकती है। आप याद करें भाजपा कि केन्द्र सरकार ने मुसलमान महिलाओं के हित में तीन तलाक को खत्म करने वाला कानून लाया था। इसके बाद मुसलमान महिलाओं ने भाजपा को वोट किया था।
सीमांचल में लोकसभा की इन सीटों पर 2019 में किसको हराकर कौन जीता था
1. पूर्णिया में जदयू के संतोष कुशवाहा ने कांग्रेस के उदय सिंह को हराया था। 2. कटिहार में जदयू के दुलाल चंद गोस्वामी ने कांग्रेस के तारिक अनवर को हराया था। 3. अररिया में भाजपा के प्रदीप सिंह ने राजद के सरफराज आलम को हराया था। 4. किशनगंज में कांग्रेस के मो. जावेद ने जदयू के महमूद अशरफ को हराया था।