अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के आंकड़ों के हिसाब से भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है। मैंने चेक किया अपना स्टेटस तो वही स्टेटस है‚ मेरे नंबरों में कुछ इजाफा ना हुआ। जितने पैसे थे‚ उतने ही पैसे रहे जेब में। एक्सपर्ट लोग कहते हैं पैसे बढ़ते हैं‚ तो उनके बढ़ते हैं‚ जिनकी जेब में पहले ही पैसे होते हैं। पांच नंबर से हम एक दिन एक नंबर पर भी पहुंच जाएंगे‚ तो इसका मतलब यह ना होगा कि मेरा स्कूटर मर्सीडीज कार में बदल जाएगा‚ जिसके पास मर्सीडीज कार होगी‚ उसके पास रोल्स रोयस कार आ जाएगी। पैसे का यह सिद्धांत हमें समझ लेना चाहिए। पांच नंबर‚ एक नंबर‚ सबसे बड़ा होता है दो नंबर।
कई सरकारी अफसरों के यहां अरबों की संपत्ति बरामद होती है। कई वरिष्ठ सरकारी अफसरों की संपत्ति इतनी है कि पूरे पाकिस्तान की जीडीपी भी शरमा जाए। ऐसे सरकारी अफसरों की अर्थव्यवस्था दो नंबर की संपत्ति की वजह से एक नंबर की है‚ तब भी जब दुनिया में भारतीय अर्थव्यवस्था को पांचवे नंबर पर रखा जा रहा है। दो नंबर के रास्ते पर चलकर बंदा एक नंबर पर पहुंच जाता है‚ यह सिद्धांत कहीं पढ़ाया नहीं जाता। पर जो लोग अक्लमंद हैं‚ वो कोर्स के बाहर के आइटम पढ़ते हैं और लाइफ में आगे बढ़ जाते हैं। कोर्स तक पढ़ने वालों और कोर्स से बाहर पढ़ने वालों के बीच फर्क यह होता है कि कोर्स तक सीमित पढ़ाई करने वाले हद से हद उस कालेज में प्रोफेसर बन जाते हैं‚ जिस कालेज के अध्यक्ष वह विधायक जी होते हैं‚ जो दो नंबर के रास्ते से बहुत सारे कालेज कारखाने कमा चुके होते हैं। पाकिस्तान पूरा मुल्क ही दो नंबर का है‚ पर खींचतान कर कहीं से कुछ रकम ले ही आता है। श्रीलंका पाकिस्तान की तरह दो नंबरी नहीं कर पाता‚ तो श्रीलंका बहुतै परेशानी से गुजर रहा है। पाकिस्तान दो नंबर के रास्ते पर चलकर दुनिया का एक नंबर का आतंकी मुल्क बन गया है। एक नंबर की पोजीशन किसी भी फील्ड में हो‚ फायदा हो जाता है। पाकिस्तान एक साथ भिखारी नंबर वन और आतंकी नंबर वन मुल्क हो गया है। आतंक दिखाकर भीख मांगना बहुतै कलाकारी का काम है। पाकिस्तान के पास यह हुनर है।