कुछ महीनों की राहत के बाद वैश्विक महामारी कोविड़–१९ ने अपने खूनी पंजे फिर से फैलाने शुरू कर दिए हैं। जिस तरह से मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है‚ उससे सरकार की पेशानी पर बल पड़़ गए हैं। ड़र की बात इसलिए भी है क्योंकि दूसरी बार जब कोरोना ने सबसे ज्यादा शिकाए बनाए थे तो किसी को भी इस बात का रत्ती भर भी इल्म नहीं था कि कोरोना इतने लोगों को अपना शिकार बनाएगा। हालांकि पिछले साल अप्रैल–मई महीने के बाद के समय में विभिन्न स्रोतों से यह खबर आती रही कि कोरोना की तीसरी लहर या चौथी लहर का खतरा बरकरार है‚ मगर ऐसी कोई लहर आई नहीं। अलबत्ता‚ इसके पूरी तरह खत्म होने को लेकर भी भ्रांति है। कभी ऐसी खबरें आती हैं कि कोरोना अब निस्तेज हो गया है और समाप्ति की कगार पर है तो कोई कहता है कि यह बहरूपिया है और रूप बदलकर हमला करता है। अब जो खबर आई है‚ उससे इतना तो तय है कि इसके कमजोर होने की खबरें निराधार हैं। देश में एक बार फिर नये मरीज बढ़ने का ट्रेंड़ दिखने लगा है। ८ जून तक नये मरीजों की संख्या ७ हजार के पार हो गई जोकि २५–२६ मई को २ हजार के करीब थी। यानी महज १५ दिनों के अंतराल में ही नये मरीज साढ़े तीन गुना बढ़ गए हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि चार राज्यों–मध्य प्रदेश‚ राजस्थान‚ मिजोरम और मणिपुर को छोड़़कर देश के सभी राज्यों–केंद्र शासित प्रदेशों में नये मरीजों में बढ़ोतरी दर्ज हो रही है। चिंता की एक वजह संक्रमण की दर (टेस्ट पॉजिटीविटी रेट) का तेजी से बढ़ना है। देश में संक्रमण की दर १.४ फीसद हो गई है‚ जो पिछले हफ्ते १ फीसद से कम थी। सबसे ज्यादा चौंकाने वाला मामला केरल में दिखा जहां संक्रमण की दर ११ फीसद से पार हो गई है‚ जबकि महाराष्ट्र और गोवा में संक्रमण की दर ५ फीसद से ज्यादा हो गई है। कुल मिलाकर सरकार को सचेत रहने की दरकार है। देश के सभी अस्पतालों में कोरोना के समय की तैयारियां सुनिश्चित करनी होंगी। हो सके तो उन दिशा–निर्देशों का पालन एक बार फिर करने का संदेश सभी को दिया जाए। वेंटिलेटर और कोरोना को कमतर करने वाली दवा सभी अस्पतालों में बड़़ी मात्रा में रखे जाएं क्योंकि अगर तैयारी रहेगी तभी इसे रोका जा सकता है।
भाजपा नेताओं के साथ BJP के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने सुनी ‘मन की बात’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात की। इस दौरान साल 1975 में देश में इंदिरा सरकार द्वारा...