सीबीआई ने छापेमारी में शुक्रवार को राबडी आवास १० सर्कुलर रोड से बरामद हार्ड डिस्क को खंगालना शुरू कर दिया है। सीबीआई ने रेलवे में नौकरी के बदले जमीन घोटाला मामले में लालू यादव और उनके परिवार से जुड़े़ १६ ठिकानों पर शुक्रवार की सुबह से देर शाम तक छापेमारी की थी। नौकरी पाने वालों से लेकर नौकरी देने वालों के घरों को खंगाला था। दावा किया जा रहा है कि १६ घंटे तक चली जांच पडताल में सीबीआई टीम के हाथ कई महत्वपूर्ण सुराग लगे थे। सीबीआई सूत्रों की मानें तो जांच के दौरान जांच टीम को राबडी आवास १० सर्कुलर रोड से हार्ड डिस्क और कई अहम कागजात हाथ लगे थे।
नौकरी के एवज में इस तरह ली जमीन
सीबीआई सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक नौकरी देने के एवज में उनके या उनके परिवार के सदस्यों से जमीन लिखवाई गई। ये जमीन राबडी देवी‚ मीसा भारती‚ हेमा यादव और दिल्ली की एके इंफोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के नाम पर ५ सेल डीड और २ गिफ्ट डीड के जरिये हस्तांतरित की गई। जमीन का कुल रकबा १‚०५‚२९२ वर्गफुट है। वर्तमान में सर्किल रेट के हिसाब से इसकी कीमत ४ करोड ३९ लाख ८० हजार ६५० रुपये है। आरोप है कि जमीन के बदले रेलवे के अलग–अलग जोन में इनकी नियुक्ति की गई। अधिकतर जमीनों की खरीद भी कैश में दिखाई गई है।
राजकुमार मिथिलेश कुमार और अजय कुमार को नौकरी देने के नाम पर किशुन देव राय और उनकी पत्नी सोनमतिया देवी से छह फरवरी २००८ को महुआबाग की ३३७५ वर्गफुट जमीन राबडी देवी के नाम ट्रांसफर कराई गई। जमीन की कीमत ३.७५ लाख दिखाई गई है। इसके एवज में तीनों को सेंट्रल रेलवे‚ मुबंई में नौकरी मिली। संजय राय‚ धर्मंद्र राय‚ रवींद्र राय ने अपने पिता कामेश्वर राय की महुआबाग की ३३७५ वर्गफुट जमीन छह फरवरी २००८ को राबडी देवी के नाम पर रजिस्ट्री की। इसके एवज में इन्हें सेंट्रल रेलवे‚ मुंबई में ग्रुप–डी में नौकरी मिली।
किरण देवी नाम की महिला ने २८ फरवरी २००७ को बिहटा की अपनी ८०९०५ वर्गफुट (एक एकड ८५ डिसमिल) जमीन लालू प्रसाद की पुत्री मीसा भारती के नाम कर दी। इस जमीन के एवज में किरण देवी को ३.७० लाख रुपए और उनके पुत्र अभिषेक कुमार को सेंट्रल रेलवे मुंबई में नौकरी दी गई। हजारी राय ने महुआबाग की अपनी ९५२७ वर्गफुट जमीन १०.८३ लाख रुपए लेकर मेसर्स एके इंफोसिस के नाम लिख दी। इसके एवज में हजारी राय के दो भांजों दिलचंद कुमार‚ प्रेमचंद कुमार में से एक को पश्चिम सेंट्रल रेलवे‚ जबलपुर और दूसरे को पूर्वोतर रेलवे कोलकाता में नौकरी दी गई। जांच में पाया गया कि इस कंपनी की सारी संपत्ति पूरे अधिकार के साथ वर्ष २०१४ में लालू प्रसाद की बेटी और पत्नी को हस्तांतरित की गयी। लाल बाबू राय ने महुआबाग की अपनी १३६० वर्गफुट जमीन २३ मई २०१५ को राबडी देवी के नाम ट्रांसफर की‚ जिसके एवज में लाल बाबू को १३ लाख रुपए मिले। इसके पहले ही उनके पुत्र लालचंद कुमार को २००६ में उत्तर–पश्चिम रेलवे‚ जयपुर में नौकरी लग गई थी। ब्रजनंदन राय ने महुआबाग की अपनी ३३७५ वर्गफुट जमीन २९ मार्च २००८ को गोपालगंज निवासी ह्रदयानंद चौधरी को ४.२१ लाख लेकर ट्रांसफर की। बाद में यह जमीन ह्रदयानंद चौधरी ने लालू प्रसाद की बेटी हेमा यादव के नाम कर दी। जमीन जब तोहफे में दी गई उस वक्त सर्किल रेट ६२.१० लाख रुपये था। ह्रदयानंद चौधरी को पूर्व मध्य रेलवे‚ हाजीपुर में साल २००५ में ही नौकरी मिल गई थी। विशुन देव राय ने महुआबाग की अपनी ३३७५ वर्गफीट जमीन २९ मार्च २००८ को सीवान के रहन ेवाले ललन चौधरी के नाम ट्रांसफर की। ललन चौधरी ने यह जमीन हेमा यादव को २८ फरवरी २०१४ को तोहफे में दे दी। सीबीआई के मुताबिक इस तोहफे के बदले में विशुन देव राय के पोते पिंटू कुमार को पश्चिम रेलवे‚ मुंबई में नौकरी दी गई।