वाराणसी में ज्ञानवापी-शृंगार गौरी परिसर के सर्वेक्षण के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। शीर्ष अदालत मामले की सुनवाई सोमवार को वाराणसी की एक अदालत द्वारा जिला प्रशासन को परिसर के अंदर सर्वेक्षण के स्थान को सील करने के निर्देश के बाद करेगी, जहां सर्वेक्षण दल द्वारा कथित तौर पर एक ‘शिवलिंग’ पाया गया था।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और पीएस नरसिम्हा की पीठ वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के मामलों का प्रबंधन करने वाली प्रबंधन समिति अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद की याचिका पर सुनवाई करेगी।पीठ ने पिछले शुक्रवार को मुस्लिम पक्ष की याचिका पर धार्मिक परिसर के सर्वेक्षण के खिलाफ यथास्थिति का कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया था। हालांकि, CJI की अगुवाई वाली पीठ सुनवाई के लिए याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करने के लिए सहमत हो गई थी।
9 नवंबर 2019 के बाद एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में मंदिर- मस्जिद विवाद पर बड़ी सुनवाई होने जा रही है. खास बात ये है कि रामजन्मभूमि- बाबरी मस्जिद सुनवाई से अब ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Dispute) में सर्वे पर रोक लगाने की मांग कर रही याचिका पर सुनवाई करने वाले दोनों जजों का संबंध रहा है. बेंच की अगुवाई कर रहे जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ अयोध्या मामले की 40 दिनों तक सुनवाई कर फैसला देने वाले पांच जजों के पीठ में शामिल थे,जबकि जस्टिस पीएस नरसिम्हा इस मामले में बतौर वरिष्ठ वकील हिंदू पक्ष की ओर से पेश हुए थे. वो साल 1950 में पहली बार कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले गोपाल सिंह विशारद के उत्तराधिकारी राजेंद्र सिंह की तरफ से पेश हुए थे. उन्होंने दलील दी थी कि वो बगैर किसी बाधा के भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर पूजा करने का हकदार हैं. इसके अलावा विशारद ने भगवान राम की मूर्तियों को हटाने के खिलाफ स्थायी निषेधाज्ञा की भी मांग की थी, लेकिन 31 अगस्त 2021 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया. एक और खास बात ये है कि दोनों जज देश के मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ इसी साल नवंबर में CJI बनेंगे तो जस्टिस नरसिम्हा 2027 में CJI बनेंगे. जस्टिस चंद्रचूड़ का कार्यकाल दो साल का होगा जबकि जस्टिस नरसिम्हा 7 महीने के लिए CJI बनेंगे.
बता दें कि वाराणसी में ज्ञानवापी-शृंगार गौरी परिसर के सर्वे के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज अहम सुनवाई करेगा. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी. मस्जिद कमेटी ने अपनी याचिका में मस्जिद में सर्वे कराने के लोकल कोर्ट के आदेश को प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट का उल्लंघन बताया है और उसे चुनौती दी है. याचिका में सर्वे पर रोक लगाने की मांग की गई है. उधर वाराणसी कोर्ट में भी आज सुनवाई होनी है, जिसमें कोर्ट कमिश्नर को सर्वे रिपोर्ट सौंपना है. कोर्ट कमिश्नर को आज स्थानीय अदालत में अपनी रिपोर्ट सौंपनी है. लेकिन एडवोकेट कमिश्नर अजय प्रताप सिंह ने बताया है कि अभी 50 परसेंट ही रिपोर्ट तैयार हो पाई है लिहाजा आज अदालत में रिपोर्ट कंप्लीट करने के लिए दो-तीन दिन का समय मांगेंगे.
ज्ञानवापी-शृंगार गौरी मामले के 10 बिंदु
सोमवार को ज्ञानवापी मस्जिद में तीसरे और आखिरी दिन हुए सर्वे में हिन्दू पक्ष द्वारा दावा किया गया है कि मस्जिद परिसर के अंदर कुएं से शिवलिंग मिला है. इस पर निचली अदालत ने जिला प्रशासन को उस स्थान को सील करने का निर्देश दिया है जहां ‘शिवलिंग’ मिलने का दावा किया गया है.
वाराणसी कोर्ट में मंगलवार को ही कमिश्नर की रिपोर्ट पर सुनवाई होगी. तो वहीं इसी मामले पर दी गई 6 याचिकाओं पर इलाबाहाद हाईकोर्ट में 20 मई को सुनवाई होगी. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के कामकाज के लिस्ट के अनुसार, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और पीएस नरसिम्हा की पीठ वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के मामलों का प्रबंधन करने वाली समिति अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद की याचिका पर सुनवाई करेगी.
मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा शुक्रवार को पारित लिखित आदेश में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने याचिका को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया गया था. हालांकि, पिछले शुक्रवार को पीठ ने मुस्लिम पक्ष की याचिका पर धार्मिक परिसर के चल रहे सर्वेक्षण के खिलाफ यथास्थिति के किसी भी अंतरिम आदेश को पारित करने से इनकार कर दिया था.
ज्ञानवापी मस्जिद मामला: 17 अगस्त 2021 से शुरू हुआ ये विवाद आज सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. तब राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, मंजू व्यास, सीता साहू और रेखा पाठक ने अदालत में याचिका दायर कर मस्जिद परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी का नियमित दर्शन और पूजन की अनुमति मांगी थी.
8 अप्रैल 2022 को पांच हिंदू महिलाओं ने श्रृंगार गौरी की पूजा करने की मांग को लेकर याचिका दायर की थी. इस पर सिविल जज सीनियर डिविजन ने वकील अजय कुमार मिश्र को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया.
15 अप्रैल को कोर्ट कमिश्नर के सर्वे और अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के हाई कोर्ट में अर्जी देकर कार्रवाई रोकने की मांग के बाद 12 मई को कोर्ट ने 17 मई से पहले दोबारा सर्वे पूरा करने का आदेश दिया और कोर्ट कमिश्नर को बदलने से इनकार कर दिया.
14,15 और 16 मई को तीन राउंड का सर्वे हुआ. इस दौरान हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने का दावा किया. इसके बाद कोर्ट ने शिवलिंग वाले स्थान को सील करने का आदेश दिया. कोर्ट के आदेश पर डीएम ने वजु पर पाबंदी लगा दी और अब ज्ञानवापी में सिर्फ 20 लोग ही नमाज पढ़ पाएंगे.
मस्जिद कमेटी ने याचिका में वाराणसी की अदालत के मस्जिद में सर्वे के आदेश को प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट का उल्लंघन बताया है. अब सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की बेंच मामले की सुनवाई करेगी.
देश की तत्कालीन नरसिंम्हा राव सरकार ने 1991 में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट यानी उपासना स्थल कानून बनाया था. कानून लाने का मकसद अयोध्या राम जन्मभूमि आंदोलन के बढ़ती तीव्रता और उग्रता को शांत करना था. सरकार ने कानून में यह प्रावधान कर दिया कि अयोध्या की बाबरी मस्जिद के सिवा देश की किसी भी अन्य जगह पर, किसी भी पूजा स्थल पर दूसरे धर्म के लोगों के दावे को स्वीकार नहीं किया जाएगा.
इसमें कहा गया कि देश की आजादी के दिन यानी 15 अगस्त, 1947 को कोई धार्मिक ढांचा या पूजा स्थल जहां, जिस रूप में भी था, उन पर दूसरे धर्म के लोग दावा नहीं कर पाएंगे. इस कानून से अयोध्या की बाबरी मस्जिद को अलग कर दिया गया या इसे अपवाद बना दिया गया. क्योंकि ये विवाद आजादी से पहले से अदालतों में विचाराधीन था.