आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में एक बार फिर बड़ा बदलाव हुआ है. केंद्र शासित प्रदेश के लिए गठित तीन सदस्यीय परिसीमन आयोग ( (delimitation commission) ने बृहस्पतिवार को प्रदेश में विधानसभा सीटों के पुनर्निर्धारण से संबंधित अपने अंतिम आदेश पर हस्ताक्षर कर दिये. आयोग ने आदेश पर हस्ताक्षर तब किए जब उसका कार्यकाल एक दिन बाद ही खत्म होने वाला है. जल्द ही इस आदेश की एक कॉपी और रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत की जाएगी. इस कॉपी में जम्मू-कश्मीर में निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या और उनके आकार का पूरा ब्यौरा शामिल होगा. जम्मू-कश्मीर की लोकसभा सीटों में भी परिसीमन आयोग ने फेरबदल किया है। अब कश्मीर व जम्मू दोनों संभागों के हिस्से ढाई-ढाई लोकसभा सीटें होंगी.
Jammu & Kashmir Delimitation Commission signs the final order for Delimitation of the Union Territory pic.twitter.com/zanO90eBKW
— ANI (@ANI) May 5, 2022
पहले जम्मू संभाग में उधमपुर डोडा, जम्मू तथा कश्मीर में बारामुला, अनंतनाग व श्रीनगर की सीटें थीं। नई व्यवस्था के तहत अनंतनाग सीट को अब अनंतनाग-राजोरी पुंछ के नाम से जाना जाएगा यानी जम्मू सीट से दो जिले राजोरी व पुंछ निकालकर अनंतनाग में शामिल कर किए गए। हर लोकसभा सीट में 18 विधानसभा सीटें होंगी। उधमपुर सीट से रियासी जिले को निकालकर जम्मू में जोड़ा गया। 7 सीटें बढ़ीं, इनमें 6 जम्मू व 1 कश्मीर में। विधानसभा में सदस्यों की संख्या 83 से बढ़कर 90 की गई। केंद्र शासित प्रदेश बनने से पहले विधानसभा में सीटों की संख्या 87 थी। जिसमें चार सीटें लद्दाख की थीं। लद्दाख के अलग होने से 83 सीटें रह गईं। जो बढ़ने के बाद 90 हो जाएंगी। परिसीमन आयोग ने सात सीटों में एक सीट कश्मीर और छह सीटें जम्मू संभाग में बढ़ाई हैं। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव अक्तूबर तक हो सकते हैं।
- कुल सीटें: 90
- कश्मीर संभाग : 47
- जम्मू संभाग: 43
- अनुसूचित जाति: 07
- अनुसूचित जनजाति : 09
- हर लोकसभा में 18 विधानसभा क्षेत्र।
PDP-नेशनल कॉन्फ्रेंस की राह कैसे होगी कठिन?
जम्मू कश्मीर परिसीमन आयोग की रिपोर्ट में जम्मू संभाग में 6 सीटें व कश्मीर संभाग में 1 विधानसभा सीट को बढ़ाया गया है। इस गणित को समझें तो यही फैक्टर राष्ट्रीय दलों के लिए एक बड़ा बोनस साबित हो सकता है। चूंकि मुस्लिम बाहुल्य कश्मीर क्षेत्र में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और नेशनल कॉन्फ्रेंस का दबदबा है। लेकिन अब जम्मू संभाग जहां घाटी के क्षेत्रीय दल कमजोर हैं, में विधानसभा सीटों की सख्या बढ़ने के साथ ही बीजेपी और कांग्रेस जैसे राष्ट्रीय दलों का पलड़ा भारी होने की संभावना है। इतना ही नहीं नए परिसीमन में कश्मीरी पंडितों और पीओजेके विस्थापितों को प्रतिनिधित्व के मौके बढ़ने के साथ ही माना जा रहा है इसका भी सीधा फायदा बीजेपी जैसे राष्ट्रीय दलों को ही जाएगा।
कश्मीरी पंडितों और विस्थापितों के लिए क्या-
90 विधानसभा सीटों में 43 जम्मू को और 47 कश्मीर क्षेत्र में रखी गई हैं। वहीं विस्थापित कश्मीरियों और माइग्रेंट के लिए अतिरिक्त सीटों की सिफारिश की गई है। जिसका मतलब है कि घाटी की नई विधानसभा में कश्मीरी पंडितों और पीओजेके (पाकिस्तान के कब्जे वाला जम्मू कश्मीर) विस्थापितों को प्रतिनिधित्व मिल सकता है।
लालचौक और वैष्णोदेवी के नाम नई विधानसभा सीट-
परिसीमन आयोग ने जम्मू और कश्मीर को परिसीमन के लिए एक ही इकाई के रूप में माना है। इस रिपोर्ट में पटवार मंडल सबसे निचली प्रशासनिक इकाई है जिसे तोड़ा नहीं गया है। सभी विधानसभा क्षेत्र संबंधित जिले की सीमा के भीतर ही रहेंगे। लालचौक और माता वैष्णोदेवी के नाम से भी नई विधानसभा सीटें रखी गई हैं। परिसीमन आयोग की रिपोर्ट गजट में भी प्रकाशित की गई है।
जल्द होंगे विधानसभा चुनाव-
परिसीमन आयोग की फाइनल रिपोर्ट के बाद जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव अक्टूबर तक हो सकते हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने फरवरी में कहा था कि परिसीमन की प्रक्रिया जल्द पूरी होने वाली है। अगले 6 से 8 महीने में विधानसभा के चुनाव होंगे। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव अमरनाथ यात्रा के बाद कराए जा सकते हैं क्योंकि यात्रा की सुरक्षा व्यवस्था के लिए केंद्रीय बल प्रदेश में पहले से ही मौजूद रहेंगे।