प्रशांत किशोर (prashant kishor) के अगले कदम को लेकर जो सस्पेंस बना हुआ था, उसे उन्होंने आज खत्म कर दिया. चुनावी रणनीति बनाने वाले प्रशांत किशोर ने ऐलान किया है कि वह फिलहाल कोई राजनीतिक पार्टी नहीं बना रहे हैं. इसके साथ PK ने बताया है कि वह बिहार में राजनीतिक बदलाव के लिए 3 हजार किलोमीटर की पदयात्रा करेंगे, यह पदयात्रा चंपारण से शुरू होगी.
प्रशांत किशोर ने आज बिहार के पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस की. वह बोले कि 30 साल के लालू और नीतीश के राज के बाद भी बिहार देश का सबसे पिछड़ा और गरीब राज्य है. विकास के कई मानकों पर बिहार आज भी देश के सबसे निचले पायदान पर है. बिहार अगर आने वाले समय में अग्रणी राज्यों की सूची में आना चाहता है तो इसके लिए नई सोच और नए प्रयास की जरूरत है.
ने कहा कि 2 अक्टूबर से वह पश्चिम चंपारण से पदयात्रा शुरू करेंगे। प्रशांत किशोर ने कहा कि पिछले 3 दशक बिहार में लालू यादव और नीतीश कुमार का राज रहा है। पहले 15 साल लालू जी और अभी पिछले करीब 15 साल से नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री हैं। लालू जी और उनके समर्थकों का मानना है कि 15 साल के शासन में सामाजिक न्याय का शासन चला। उनका कहना है आर्थिक और सामाजिक रूप से जो पिछडे थे उनको उनकी सरकार ने आवाज दिया। 2005 से जब नीतीश जी की सरकार है तब से उनके समर्थकों का मानना है उनकी सरकार ने आर्थिक विकास और दूसरी सामाजिक पहलूओं पर ध्यान दिया है और विकास किया है।
प्रशांत किशोर फिलहाल नहीं बनाएंगे नई पार्टी
पटना में पीके ने कहा कि ‘अगर कोई पार्टी बनेगी तो इसमें सभी का योगदान होगा। मैं 2 अक्टूबर से चंपारण से 3000 किलोमीटर की यात्रा शुरू करूंगा। मैं व्यक्तिगत पदयात्रा करूंगा, 3000 किलोमीटर के बाद यात्रा करूंगा। जैसा कि मीडिया में सरकुलेट किया जा रहा है कि आज मैं कोई राजनीतिक पार्टी बनाने जा रहा हूं, राजनीतिक दल बनाने जा रहा हूं, लेकिन मैं ऐसा कुछ नहीं करने जा रहा।’
चुनाव रणनीतिकार के तौर पर ख्याति अर्जित करने वाले प्रशांत किशोर उर्फ PK ने सक्रिय राजनीति में दूसरी पारी शुरू करने का ऐलान कर चुके हैं. उन्होंने JDU के साथ पहली पारी की शुरुआत की थी, लेकिन वह सफल नहीं रहे थे और जल्द ही अपने पुराने पेशे का रुख कर लिया था. एक बार फिर से उन्होंने सक्रिय राजनीति में लौटने का ऐलान किया है. कांग्रेस की न के बाद प्रशांत किशोर ने इसकी घोषणा की. उन्होंने बिहार में ‘जन सुराज’ अभियान शुरू करने की बात कही है. प्रशांत किशोर गुरुवार को इस संबंध में अपनी रणनीति के बारे में बड़ी घोषणा कर सकते हैं. सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रशांत किशोर नई राजनीतिक पार्टी का गठन करेंगे? यदि उन्होंने नया राजनीतिक दल गठित करने की योजना बनाई है तो क्या वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव को सियासी चाल में पीछे छोड़ पाएंगे?
प्रशांत किशोर की घोषणा ने बिहार की राजनीति में उबाल ला दिया है. तकरीबन सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त की हैं. दरअसल, बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव प्रदेश के दो शक्तिशाली वोट बैंक का प्रतिनिधित्व करते हैं. बिहार में जातिगत राजनीति की जड़ें इतनी गहरी हैं कि उसकी तह तक पहुंच कर उसे उखाड़ पाना कतई आसान नहीं है. ऐसे में एक बड़ा सवाल यह भी उठता है कि प्रशांत किशोर ने यदि राजनीतिक दल गठित करने का फैसला किया है तो फिर उनका वोट बैंक क्या होगा? फिलहाल ये सब बातें भविष्य के गर्भ में हैं और वक्त के साथ ही इससे पर्दा उठेगा. साथ ही समय के ही साथ यह भी तय होगा कि प्रशांत किशोर का ‘जन सुराज’ अभियान सामाजिक होगा या फिर राजनीतिक. कुछ तबकों में यह भी कहा जा रहा है कि हो सकता है कि प्रशांत किशोर जन सुराज अभियान के जरिये राजनीतिक पार्टी बनाने से पहले ग्राउंड वर्क कर रहे हों!
कांग्रेस से नहीं बनी बात
प्रशांत किशोर के कांग्रेस में जाने की अटकलें काफी तेज थीं. बताया जाता है कि प्रशांत किशोर की कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से इस मसले पर चर्चा भी हुई थी, लेकिन बात नहीं बन सकी. इसके बाद प्रशांत किशोर ने अपने दम पर राजनीति में लौटने की घोषणा कर दी. इससे देश के साथ ही बिहार के सियासी गलियारों में भी हलचल मच गई. इसके बाद पीके ने जन सुराज अभियान चलाने की घोषणा कर दी. ऐसे में अटकल यह भी लगाई जा रही है कि क्या यह राजनीतिक दल गठित करने के पूर्व की तैयारी है? बहरहाल, जो भी हो प्रशांत किशोर ने सक्रिय राजनीति में दोबारा से लौटने की घोषणा कर सबको चौंका जरूर दिया है.
JDU में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष से लेकर बात बिहार की
प्रशांत किशोर 2018 में जेडीयू में शामिल हो गए थे. नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया था. साथ ही उन्हें युवा कैडर को सक्रिय करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. साल 2019 के पटना विश्वविद्यालय में हुए छात्र संगठन के चुनावों में उन्हें जेडीयू के छात्र विंग की उपस्थिति दर्ज कराने में मदद करने का श्रेय दिया गया. प्रशांत किशोर को साल 2020 में जेडीयू से निष्कासित कर दिया गया था. जेडीयू से निकाले जाने के बाद पीके ने ‘बात बिहार की’ अभियान शुरू कियाा था. तमाम प्रयासों के बाद भी उनका यह अभियान धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में चला गया.
पीके की 5 अहम घोषणाएं
1. पीके ने कहा कि मेरा पहला काम हजारों लोगों के साथ जन सुराज के बारे में चर्चा करना। जरूरी हो तो उनको इस विकास में भागीदार बनाना मेरा मकसद।
2. बड़ी संख्या में लोग यदि मिलकर ये समझें कि किसी विकास के लिए यदि पार्टी की जरूरत है, तो वे पार्टी बनाएं। ऐसे में ये पीके की पार्टी होगी यह जरूरी नहीं। यह हम सब की पार्टी होगी।
3. पीके ने कहा कि बिहार के लोगों से उनका व्यू पॉइंट लेना। उनकी अपेक्षा और आकंक्षा को समझना जरूरी है। इसके लिए 2 अक्टूबर को चंपारण गांधी आश्रम से 3 हजार किमी की पदयात्रा करूंगा।
4. ये तीन हजार किलोमीटर की यात्रा मैं मोटे तौर पर 8 माह से 1 साल के बीच करूंगा। इस दौरान हर तबके और हर परिवेश के लोगों से मिलूंगा। हम बिहार की जनता से मिलकर उन्हें ‘जन सुराज’ से जोड़ने का प्रयास करेंगे। फिर आगे जो बिहार के लिए किया जा सकता है। उसे अपने प्रोग्राम में शामिल करेंगे।
5. मैं आश्वासन देना चाहता हूं कि मैं बिहार की बेहतरी के लिए मैं पूरी तरह से मेरी पूरी क्षमता के साथ काम करने के लिए तत्पर हूं। मेरा पूरा फोकस बिहार के लोगों से जाकर मिलता, उन्हें जन सुराज से जोड़ना है।