देश में कोरोना के मामलों (Corona Cases in India) में आज फिर इजाफा देखने को मिला है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि बीते 24 घंटे में देश में कोरोना के 2,380 नए मामले सामने आए हैं। वहीं, इस दौरान कोरोना से 56 मरीजों की मौत भी हुई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि इस दौरान कोरोना वायरस के 1,231 मरीज डिस्चार्ज हुए हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, भारत में संक्रमण से 56 और लोगों की मौत के बाद मृतक संख्या बढ़कर 5,22,062 हो गई है. वहीं, देश में कोविड-19 के कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 13,433 पर पहुंच गई है, जो कुल मामलों का 0.03 प्रतिशत है. मंत्रालय के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में कोरोना मरीजों की संख्या में 1,093 की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. वहीं, मरीजों के ठीक होने की राष्ट्रीय दर 98.76 प्रतिशत है.
यहां चर्चा कर दें कि देश में सात अगस्त 2020 को संक्रमितों की संख्या 20 लाख, 23 अगस्त 2020 को 30 लाख और पांच सितंबर 2020 को 40 लाख से अधिक हो गई थी. संक्रमण के कुल मामले 16 सितंबर 2020 को 50 लाख, 28 सितंबर 2020 को 60 लाख, 11 अक्टूबर 2020 को 70 लाख, 29 अक्टूबर 2020 को 80 लाख और 20 नवंबर को 90 लाख के पार चले गए थे. देश में 19 दिसंबर 2020 को ये मामले एक करोड़ से अधिक हो गये थे. पिछले साल चार मई को संक्रमितों की संख्या दो करोड़ और 23 जून 2021 को तीन करोड़ के पार पहुंच गई थी. इस साल 26 जनवरी को मामले चार करोड़ के पार हो गए थे.
दिल्ली में कोरोना का कोहराम
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बुधवार को कोरोना संक्रमण के 1,009 नये मामले सामने आए, जो एक दिन पहले की तुलना में 60 प्रतिशत अधिक हैं. वहीं यहां संक्रमण से एक व्यक्ति की मौत हो गई. इस बीच अभिभावक परेशान हैं क्योंकि स्कूल खुले हैं और वहां संक्रमण बढ़ने का खतरा है. इस बीच, दिल्ली सरकार ने सार्वजनिक स्थान पर मास्क पहनना एक बार फिर अनिवार्य कर दिया है और इसका उल्लंघन करने पर 500 रुपये के जुर्माने की बात कही है.
कोरोना की चौथी लहर को लेकर बिहार में अस्पतालों को तैयार किया जा रहा है। बच्चों के इलाज को लेकर अस्पतालों को अलर्ट किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने PICU को लेकर अस्पतालों को विशेष निर्देश दिया है। राज्य के 11 जिलों में स्थापित पीकू को विशेष रूप से कोरोना को लेकर तैयार किया जा रहा है। इसके साथ ही अब मेडिकल एक्सपर्ट भी तैयार किए जा रहे हें, जिससे आपात स्थिति में भी इलाज में बाधा नहीं आए।
कोरोना को लेकर बढ़ी दहशत
दिल्ली के साथ देश के कई शहरों में कोरोना की रफ्तार तेज हो गई है। दिल्ली में संक्रमितों की संख्या में बच्चे अधिक हैं। ऐसे में चौथी लहर में बच्चों को लेकर विशेष तैयारी है। बच्चों की सेहत को लेकर बिहार में भी स्वास्थ्य विभाग तैयारी में जुट गया है। सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन यूनिट से लेकर बेड तक की व्यवस्था देखी जा रही है। कोरोना की तीसरी लहर में मामला हल्का पड़ा था और फिर सरकार निश्चिंत हो गई थी लेकिन संक्रमण का ग्राफ देश में बढ़ते ही कोरोना की चौथी लहर के खतरे को लेकर फिर से तैयारी हो रही है।
कोरोना के साथ दोहरी चुनौती
बिहार में स्वास्थ्य विभाग के सामने कोरोना के खतरे के साथ दोहरी चुनौती है। मौजूदा समय में एईएस और जेई का बड़ा खतरा है। 12 साल से कम उम्र के बच्चों को लेकर अस्पतालों में इलाज की विशेष व्यवस्था की जा रही है जिससे कोरोना के साथ साथ एईएस और जेई में भी लइाज हो जाए। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि अतिगंभीर, एईएस एवं जेई से पीड़ित बच्चों के तत्काल इलाज के लिए राज्य के 11 जिलों में स्थापित शिशु गहन देखभाल ईकाई (पीकू) को और भी सुदृढ़ किया जा रहा है। इलाज के लिए विशेषज्ञों से सलाह के लिए टेली मेडिसीन की सुविधा इन संस्थानों में प्रदान की जाएगी। पीकू में एईएस एवं जेई के साथ-साथ एक माह से 12 साल के अतिगंभीर पीड़ित बच्चों का भी उपचार किया जाएगा।
बनाई जा रही व्यवस्था
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि जिला अस्पताल स्तर पर स्थापित पीकू में कार्यरत शिशु रोग विशेषज्ञ, चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ एवं लैब टेक्निसियन को 16 अप्रैल से प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जो 25 अप्रैल तक अलग-अलग अस्पतालों में चलेगा। प्रशिक्षण के बाद टेली आईसीयू काउंसलिंग की सुविधा को सफलतापूर्वक चलाया जा सकेगा। शिक्षण के लिए 6 जिलों के जिला अस्पताल को चिह्नित किया गया है, इनमें 3 जिले क्रमशः जिला अस्पताल गोपालगंज में 16, समस्तीपुर में 18 और वैशाली में 19 अप्रैल को प्रशिक्षण हो चुका है। 21 अप्रैल को पूर्वी चंपारण, 22 अप्रैल को सीतामढ़ी और 25 अप्रैल को जिला अस्पताल मुजफ्फरपुर में प्रशिक्षण चलेगा।
गंभीर बीमारियों में बड़ी राहत
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि इस सुविधा शुरू हो जाने से न सिर्फ एईएस पीड़ित बच्चों का इलाज संभव होगा, बल्कि कई अन्य रोगों के कारण बच्चों में होने वाली मौतों को भी कम किया जा सकेगा। पीकू वार्ड में टेली आइसीयू काउंसलिंग की सुविधा उपलब्ध होने से बेहतर चिकित्सा के लिए बच्चों को कहीं बाहर रेफर नहीं करना पड़ेगा। एम्स, पटना से उक्त जिलों को शिशु टेली आईसीयू कंसलटेशन सेवा से जोड़ा जाएगा। अनुभवी व विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा टेली काउंसलिंग का प्रशिक्षण मिलने से ऐसे पीड़ित बच्चों को बेहतर चिकित्सा मिल पाएगी, जिससे अतिगंभीर परिस्थिति वाले बच्चों का उपचार जिले में संभव हो पाएगा।