धर्म के मर्म को बहुत कम लोग समझते हैं। किसी की आस्था का सम्मान और सहिष्णुता इसकी मूल शिक्षा है। धर्म के राजनीतिकरण ने इसकी परिभाषा बिगाड़ दी है। धर्म की आड़ में धर्मांधधता हावी है। इसके संकुचन की मिसालें कुछ घटनाओं में तलाशी जा सकती हैं। वो चाहे रामनवमी जुलूस पर हमला हो‚ ईदगाह पर भगवा फहराना हो‚ जेएनयू में मांसाहार परोसने पर हुई झड़प हो‚ मुंबई में राज ठाकरे की पार्टी मनसे का मस्जिदों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल के खिलाफ अभियान हो या नोएडा में देर रात जागरण के नाम पर बज रहे लाउडस्पीकर बंद करवाने गए पत्रकार पर हमला हो। दरअसल‚ पांचों घटनाओं में धर्म का मर्म गायब है। असहिष्णुता हावी है। सबसे पहले रामनवमी जुलूस पर हमले की चर्चा करते हैं। जाहिर है जिन्होंने ने भी इस प्रकार के कृत्य को अंजाम दिया उन्हें दूसरे धर्मों के सम्मान का पाठ नहीं सिखाया गया। सवाल है ऐसी हरकतें करते क्यों हैॽ इसका सीधा जवाब तो नहीं है। ऐसे लोगों को शरारती तत्व कह कर भी छोड़ना उचित नहीं। ऐसे तत्वों को धर्मांध की श्रेणी में रखा जाएगा। जो धर्म के नाम पर अंधे हो चुके हैं। इसी तरह रामनवमी जुलूस के दौरान बिहार के मुजफ्फरपुर में ईदगाह पर भगवा फहराने वालों को भी यही लग रहा होगा कि उन्होंने कोई बहुत बड़ा काम कर दिया; मैदान मार लिया। रामनवमी के ही दिन देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय जेएनयू में मांसाहार परोसने पर दो छात्र समूहों के बीच हिंसक झड़प हुई। दक्षिणपंथी छात्र संगठनों का कहना है कि उन पर वामपंथी छात्रों ने हमला किया। इसमें एक बिंदु यह भी है कि क्या किसी विशेष दिन एक समुदाय की भावनाओं का ख्याल करते हुए मांसाहर को छोड़ा नहीं जा सकताॽ दूसरा पक्ष भी है कि क्या जिस पक्ष को आपत्ति थी क्या वो इसे नजरअंदाज नहीं कर सकता थाॽ जब सवाल प्रतिष्ठा का बन जाए तो हल अंधे कुएं में चला जाता है। इसी तरह का मामला मस्जिदों में लाउडस्पीकर का है। आदर्श स्थिति तो यह होगी कि सभी प्रकार के प्रार्थनास्थलों में लाउडस्पीकरों का प्रयोग बंद हो। हम कथित तौर पर अपने धर्म की धुन में इतने मगन रहते हैं कि अगर कोई धुन को मद्धिम भी करने का आग्रह करे तो हमलावर हो जाते हैं। ग्रेटर नोएडा में पत्रकार के साथ हुई घटना इसका उदहारण है। कानून से इतर‚ जब तक भावनाओं का सम्मान करने की सहिष्णु संस्कृति को हम मजबूत नहीं करेंगे तब तलक ऐसी घटनाएं हमें चिढ़ाती रहेंगी।
हमारे पास दंगाइयों का इलाज है उनको घुटने के बल चलने पर मजबूर कर देंगे….
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि हमारे पास दंगाइयों का इलाज है. हम उनको घुटने के बल चलने...