बिहार विधान परिषद चुनाव (Bihar MLC Chunav) के लिए तिथि की घोषणा हो चुकी है। सभी दलों ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। एनडीए से लेकर महागठबंधन तक में नाराजगी सामने आ चुकी है। एनडीए में वीआइपी ने तेवर कड़े कर दिए तो महागठबंधन में कांग्रेस और राजद की राहें अलग हो गईं। इस पर लोगों की नजरें राजद पर टिकी हुई है। राजद ने इस बार अपने माय समीकरण से अलग राह पकड़ी है। इससे उन्होंने राजद को हर वर्ग की पार्टी होने का संकेत भी दिया है।
तेजस्वी ने एमवाइ की जगह सामाजिक समीकरण का रखा ख्याल
24 सीटों पर होने वाले चुनाव में राजद ने M-Y समीकरण की जगह सवर्ण उम्मीदवारों को तरजीह दी। भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण और वैश्य उम्मीदवारों पर तेजस्वी यादव ने एक तरह से दांव लगाया है। कहा जा रहा है कि राजद ने सवर्ण वोटरों को साधने की कोशिश की है। सीपीआइ के साथ मिलकर राजद ने 24 उम्मीदवारों की जो सूची जारी की है उसमें यादव समुदाय के नौ प्रत्याशी हैं। इसी तरह भूमिहार पांच और राजपूत जाति के चार प्रत्याशी हैं। इसके अलावा ब्राह्मण, वैश्य, कुशवाहा को एक-एक टिकट दिया गया है। मुस्लिम समाज से तीन प्रत्याशी पार्टी ने उतारा है।
यादव के बाद सबसे ज्यादा भूमिहार
कहा जा रहा है कि पहली बार राजद ने पांच भूमिहार उम्मीवारों पर भरोसा किया है। इनमें पटना से कार्तिक मास्टर, पूर्वी चंपारण से बबलू देव, पश्चिमी चंपारण से सौरभ कुमार, मुंगेर से अजय सिंह और मुजफ्फरपुर से शंभू सिंह शामिल हैं। संख्या के हिसाब से देखें तो भूमिहारों की आबादी करीब छह फीसद है। इसी तरह ब्राह्मण 5.5 तो राजपूत की संख्या भी इतनी ही है।