देखिए भगवान भरोसे देश का चलना तो कोई नई बात नहीं है। जब भी सरकार से या कानून–व्यवस्था से लोगों का भरोसा उठता है‚ वे कहने लगते हैं कि देश भगवान भरोसे चल रहा है। ऐसे में आस्तिक होना आवश्यक हो जाता है। भरोसा बनाए रखना जरूरी होता है। सरकार पर न रहे तो भगवान तो है ही। ऐसा पहले कभी–कभार होता था‚ अब अक्सर होने लगा है। तो देश का भगवान भरोसे चलना तो कोई नई बात नहीं है। नई बात है एनएसई यानी शेयर बाजार का बाबा भरोसे चलना। एक जमाने में सट्टे तो बाबाओं के भरोसे लगते ही थे। यह एक तरह से गडा हुआ खजाना बताने जैसा ही चमत्कार होता था। सट्टे का नंबर बताने वाले बाबाओं का तब बडा जलवा था। वैसे भी लोग शेयर और सट्टे में ज्यादा फर्क करते नहीं। बल्कि कुछ लोग तो इसे एक ही मानते हैं। ऐसे में शेयर बाजार का किसी बाबा के भरोसे चलना कोई नई बात तो नहीं लगती। इधर तो बाबाओं के भरोसे पूरी राजनीति ही चल रही है। कभी सत्ताधारियों के बाबा होते थे। अब बाबा खुद सत्ताधारी हैं। वैसे ही जैसे पहले सत्ताधारियों के सेठ होते थे भामाशाह टाइप के‚ उनके अपने माफिया होते थे। अब तो खुद सेठ और माफिया ही सत्ताधारी हैं।
वैसे भी चुनाव जीतने के लिए बाबाओं के चरणों में नेता का लंबलेट होना कोई नई बात नहीं है। इधर एक नामी बाबा की जेल से छूट सिर्फ इसलिए हुई बताते हैं कि उनमें चुनाव जिताने का दम है। फिर चाहे बेशक‚ वे हत्या और रेप के मामले में ही जेल में बंद क्यों न हों। फतवे सिर्फ मस्जिदों से ही नहीं दिए जाते‚ डेरों से भी दिए जाते हैं। जैसे हर नेता की एक पार्टी होती है‚ वैसे ही हर नेता का बाबा भी होता है। नेता बिना पार्टी के तो हो सकता है‚ निर्दल होते ही हैं‚ लेकिन नेता बिना बाबा के नहीं हो सकता। देखिए जनाब‚ बाबाओं का आकर्षण ऐसा है कि बडे–बडे नेता तक बाबा बनने को लालायित हैं‚ और बाबा हैं कि नेता बनने को लालायित। कभी एक सत्ताधारी पार्टी को बाबा लोगों की पार्टी कहा जाता था यानी वह ऐसे लोगों की पार्टी थी जो नेताओं के बच्चे थे और बचकाने फैसले लेते थे। लेकिन अब पार्टियां बाबा लोगों से हैं। तो जब राजनीति बाबाओं से चल रही हो और देश को बाबा लोग ही चलाने लगें‚ तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। इस मामले में बाबा जन‚ भगवान को रिप्लेस कर सकते हैं। वैसे भी किसी शायर ने कहा ही है‚ जो तुम से पहले गद्दीनशीं था‚ उसे भी अपने खुदा होने का इतना ही यकीं था। ऐसे में यह कहने में नई बात तो नहीं होनी चाहिए कि बाबा अर्थव्यवस्था भी चला रहे हैं। जब बाबा व्यापार चला सकते हैं तो भैया एनएसई यानी अर्थव्यवस्था भी चला ही सकते हैं। नहीं क्याॽ