बिहार में अशोक स्तंभ और स्वास्तिक चिन्ह को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और एनडीए सरकार आमने-सामने है. तेजस्वी यादव ने बिहार विधानसभा परिसर में एक स्तंभ पर अशोक चक्र की जगह स्वास्तिक चिह्न लगाने पर गंभीर आपत्ति दर्ज करायी. अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर उन्होंने ये आपत्ति जतायी जिसके बाद अब विधानसभा अध्यक्ष ने इसका जवाब दिया है.
तेजस्वी यादव ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने विधानसभा के मुख्य द्वार के सामने बने स्तंभ में स्वास्तिक चिह्न का उपयोग कर धर्मनिरपेक्षता की छवि को ध्वस्त किया है. उन्होंने लिखा है कि बिहार विधानसभा भवन के शताब्दी समारोह की स्मृति में विधानसभा के मुख्य द्वार के सामने एक स्तंभ बन रहा है. आजादी के बाद देश का यह प्रथम ऐसा स्तंभ होगा, जिसमें अशोक चक्र नहीं है.
वहीं तेजस्वी के इस आरोप पर अब विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा ने कहा कि स्वास्तिक का चिन्ह कोई नया नहीं है, बल्कि यह बिहार के राजकीय चिन्ह में भी शामिल है. उन्होंने आरोप लगाया कि तेजस्वी यादव को इसकी समझ नहीं है, उन्हें पहले जानकारी हासिल करनी चाहिए. कहा कि स्वास्तिक का चिन्ह तमाम विधायकों के लेटर पैड पर भी होता है. उन्होंने कहा कि इसमें अशोक स्तंभ भी बनेगा.
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता का मतलब यह नहीं होता कि हम अपना धर्म भूल जाएं. सभी धर्मों को मानेंगे लेकिन अपने धर्म और प्रतिक चिन्हों को भी अगले पीढ़ी के लिए बचाकर रखना होता है. ये विवाद राष्ट्रवाद को कमजोर करती है. वहीं जदयू ने तेजस्वी यादव को नास्तिक तक बता दिया. पार्टी प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि चुनाव जीतने के लिए तमाम पूजा-पाठ करते हैं लेकिन बाद में स्वास्तिक से दिक्कत होती है. राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने इस भूल को सुधार कर अशोक स्तंभ बनाने की मांग की.