राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बोलते कम हैं और कार्य ज्यादा करते हैं। देश का इतिहास बिहार का इतिहास है। आजादी के बाद आज जिस माहौल में हम सांसें ले रहे हैं‚ आखिर वह बनाया किसने हैॽ बिहार के आंकडे पर नहीं जाऊँगा। लेकिन इस राज्य को बनाया किसनेॽ तत्काल कोई कुछ टिप्पणी कर देता है। हम जिस धरती पर खडे हैं वह विद्वानों की धरती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उपलब्धि यही है कि इस मौके पर सत्ताधारी और विपक्षी दल के नेता मौजूद हैं। मुख्यमंत्री ने बिहार में दिल्ली के सेंट्रल हॉल की कल्पना की है। वह काबिले तारीफ है। उप सभापति शुक्रवार को बिहार विधान परिषद के एनेक्सी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बिहार विधान परिषद में दिए गये भाषण के प्रकाशित संग्रह का लोकार्पण कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि सृजन सबसे कठिन काम है। संसद में दिए गये मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भाषण पर आधारित भी एक पुस्तक प्रकाशित की गयी है। संसद के सदस्य के रूप में नीतीश कुमार के भाषणों का संकलन किया है। उसमें देखा है कि विचारों का दस्तावेज है और यह किताब कर्मों का दस्तावेज है। अपने समय की यह पुस्तक जीवंत रूप है। उन्होंने कहा कि १९८० के दशक से लेकर २००५ तक बिहार बीमारू राज्य में गिना जाता था। वहां से बिहार को सीएम नीतीश कुमार ने कैसे बाहर निकाला‚ बिहार का बदलाव कैसे हुआ‚ यह दस्तावेज इस पुस्तक में है। सरकार कोई काम को कैसे करती है वह सब इसमें है। सदन में नीतीश कुमार ने उन तमाम तथ्यों को रखा है। कोई चीज कल्पना में नहीं रहे‚ वह धरती पर उतर जाए‚ यह किताब यही दिखाती है।
उन्होंने कहा कि रेलवे में इंटरनेट टिकट कटवाने की शुरुआत नीतीश कुमार ने की। २००२ में क्या स्थिति थी। टिकट कटवाने के लिए हमने भी छुि^यां लीं। तत्काल टिकट की व्यवस्था किसने कीॽ १९९९ में नीतीश कुमार ने जैसलमेर रेल दुर्घटना के बाद नैतिकता के आधार पर पद छोड दिया‚ लेकिन २००४ में बिहार के ही दो नेता रेल मंत्रालय के लिए लड़़ने लगे। नीतीश कुमार ज्यादा बोलते नहीं‚ करते ज्यादा हैं। जो ज्यादा बोलता है वह करता कम है। ऐसी हमारी कहावतें हैं। बंटवारे के बाद बिहार और झारखंड कहा हैंॽ सत्ता माना जाता है कि काजल की कोठरी है। लेकिन पिछले ३०–४० साल के राजनीतिक जीवन में इससे बचे हुए हैं। वे असली समाजवादी हैं। बिहार की पहचान जाति से नहीं‚ बिहारी होने का गौरव नीतीश ने दिलाया। नीतीश कुमार से ज्यादा शायद ही किसी और ने किया। बिना कोई भेदभाव के वे काम करते हैं। उन्होंने हर वर्ग के लिए काम किये। मुख्यमंत्री ने २००५ में पहली बार बिहार की सत्ता में आने के बाद विद्यालय‚ अस्पताल और थाने में बेहतर कार्य किया। जिलों में इंजीनियरिंग कॉलेज बनाये। राज्य की भौतिक प्रगति की। आर्थिक ग्रोथ में जो देश का बोझ बना था वह २०११ तक पहुंच गया डबल डिजिट में। आर्थिक विकास दर में जब बिहार का आगे हुआ तो देश की विकास दर आगे ले जा रहे हैं। कोरोना काल में जिस तरह से बिहार ने बिना प्रचार–प्रसार के काम किया कि सदन में दूसरे राज्य के लोग भागे–भागे आये‚ पूछने लगे कि इतना कैसे हुआॽ
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बिहार विधान परिषद के कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह ने कहा कि परिषद में १५१ से लेकर १९५वें सत्र तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दिये गये भाषण का संकलन है। कार्यक्रम को बिहार विधान सभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा‚ उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी‚ उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद‚ शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी आदि ने संबोधित किया। संचालन ड़ॉ. रामवचन राय ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन उप नेता देवेशचंद्र ठाकुर ने किया।