युरोप के देश नीदरलैंड़ (हालैंड़) में १७ वीं सदी में पैदा हुए बर्बादी के हालात का हवाला देते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने लोगों को क्रिप्टोकरेंसी (आभासी मुद्रा) के फेर में न फंसनेे की सख्त हिदायत दी है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की नजर में क्रिप्टोकरेंसी की कीमत ट्यूलिप से भी कम है। दुनिया में डिजिटल करंसी को लेकर जारी जोरदार आकर्षण पर केंद्रीय बैंक के मुखिया की राय है कि क्रिप्टोकरेंसी वित्तीय स्थिरता के लिए बहुत बडा खतरा है। वित्तीय नीति को लेकर हुई बैठक के बाद उपकी यह राय सामने आई। केंद्र सरकार इसी महीने पारित बजट में डिजिटल करंसी को कर के दायरे में ले आई है‚ जिसे निवेशकों ने क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता देने की दिशा में उठाया गया कदम माना। दास ने इस धारणा को झटका देते हुए क्रिप्टोकरेंसी को एक ट्यूलिप से भी सस्ता बताया। दास का इशारा नीदरलैंड़ के ट्यूलिपमेनिया की तरफ था जहां १७वीं सदी में लोग ट्यूलिप के फूलों को लेकर बेहद दीवाने हो गए थे। तब निवेशकों ने बड़़ी मात्रा में ट्यूलिप खरीदने शुरू कर दिए और उनकी कीमतें चढ़ने लगीं। एक फूल की कीमत एक आम आदमी की सालभर की कमाई से भी ज्यादा हो गई थी। एक फूल खरीदना एक घर लेने से भी ज्यादा महंगा हो गया। एकाएक जब यह ज्वार उतरा तो निवेशक बर्बाद हो गए। क्रिप्टोकरेंसी पर भारत का रु ख अभी तक स्पष्ट नहीं है। पिछले साल क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पेश हुआ था‚ लेकिन लागू नहीं किया गया। इसी महीने पेश बजट में वित्त मंत्री ने ऐलान किया कि भारत अगले साल अपनी डिजिटल करेंसी पेश करेगा। इससे डिजिटल इकोनॉमी को बढ़ावा मिलेगा। क्रिप्टोकरेंसी पर भारत सरकार की नजर शुरुआत से ही टेढ़ी रही है। साल २०१८ में तो केंद्रीय बैंक ने क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध ही लगा दिया था‚ जिसे बाद में सर्वोच्च अदालत ने हटा दिया था और तब से भारत में क्रिप्टोकरेंसी का बाजार तेजी से बढ़ा है। आज भारत में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने वालों की संख्या लाखों में है। माना जाता है कि भारत में चार खरब रु पये की कीमत की क्रिप्टोकरेंसी बाजार में मौजूद है। सरकार और रिजर्व बैंक को इस बारे में दुविधा को जल्द दूर करना चाहिए कि ताकि भारतीय निवेशकों को दुनिया के साथ चलने का मौका मिले और वे निवेश के किसी लाभ से वंचित न रह जाएं।
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