पूर्व केंद्रीय मंत्री लालू प्रसाद की पार्टी राजद और कांग्रेस के बीच बिहार विधान परिषद की दो दर्जन से अधिक सीटों के चुनाव को लेकर नए सिरे से नोंक–झोंक शुरू हो गयी है। बिहार विधानसभा की दो सीटों के लिए पिछले साल अक्टूबर में हुए उपचुनाव के समय विपक्षी दलों के महागठबंधन का नेतृत्व कर रही राजद द्वारा एकतरफा उम्मीदवार घोषित किए जाने का कांग्रेस ने कड़़ा विरोध किया था और यह कहते हुए कि २०२४ में लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव अकेले अपने दम पर लड़़ेगी‚ राजद से अलग हो गई थी। पांच दलों के महागठबंधन ने २०२० के बिहार विधानसभा चुनाव में ११० सीटें जीती थीं जो बहुमत से १२ से कम थी। इसके लिए काफी हद तक कांग्रेस को दोषी ठहराया गया था जिसने ७० सीटों पर चुनाव लड़़ा था लेकिन केवल १९ पर ही जीत सकी थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने उपचुनाव में आसानी से दोनों सीटों पर जीत हासिल कर ली‚ इसके बाद कांग्रेस और राजद के बीच हालांकि आरोप–प्रत्यारोप का दौर खत्म हो गया था‚ लेकिन लालू के राजनीतिक उत्तराधिकारी माने जाने वाले उनके छोटे पुत्र तेजस्वी यादव के बिहार विधान परिषद की इन सीटों को लेकर हाल में की गयी टिप्पणी के बाद दोनों दलों के बीच नोंक–झोंक का सिलसिला फिर से शुरू हो गया। बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव से विधान परिषद की इन सीटों पर चुनाव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि राजद इन सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़़ेगी। महागठबंधन में शामिल वामपंथी दलों के बारे में पूछे जाने पर हालांकि तेजस्वी ने उन्हें विश्वास में लिए जाने की बात कही थी पर जब कांग्रेस के बारे में सवाल करने पर उन्होंने कहा‚ ‘हमने यह स्पष्ट कर दिया है कि हम राष्ट्रीय स्तर पर उनका समर्थन करते हैं।’
बिहार विधान परिषद में कांग्रेस सदस्य प्रेम चंद्र मिश्रा ने कटाक्ष किया‚ “तेजस्वी यादव एक बड़़े नेता हैं। उन्हें हमें बताना चाहिए कि वह बिहार में किसकी मदद करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा‚ ‘राजद के साथ गठबंधन के कारण कांग्रेस को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। लेकिन उसने अपनी चुनावी संभावनाओं से अधिक भाजपा के नेतृत्व वाले राजग के वैचारिक विरोध को महत्व दिया है। तेजस्वी यादव अगर इतना आश्वस्त हैं तो क्या वे घोषणा कर सकते हैं कि राजद २०२४ का लोकसभा चुनाव अपने बलबूते पर लड़़ना चाहती है।’ २०१९ के लोकसभा चुनाव में राजग ने बिहार में जीत हासिल की थी और राजद एक भी सीट नहीं जीत पायी थी जबकि कांग्रेस एक सीट पर कब्जा करने में सफल रही थी। महागठबंधन में उथल–पुथल के बीच‚ बिहार में सत्ताधारी राजग ने अपने स्वयं के सीट बंटवारे के फार्मूले को अंतिम रूप दे दिया है पर सत्तारूढ गठबंधन में अभी भी खींचतान जारी है।
बिहार में सत्ता में शामिल विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख और राज्य में मंत्री मुकेश सहनी ने कहा‚ ‘राजग में शामिल भाजपा का १२ सीटों पर चुनाव लड़़ना और जदयू का ११ सीटों पर संतोष करना‚ केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस के लोजपा गुट के लिए एक सीट छोड़़ना दर्शाता है कि वे मेरे बारे में ज्यादा नहीं सोचते।’ सहनी ने कहा‚ ‘लेकिन मैं दिखाऊंगा कि निषाद समुदाय क्या करने में सक्षम है। वीआईपी सभी २४ सीटों पर चुनाव लड़़ेगी।
राजग में शामिल दलों से चर्चा कर होना चाहिए था विधान परिषद चुनाव के लिए सीटों का बंटवाराः मांझी
हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा (हम) के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने राज्य विधान परिषद चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दलों के बीच बिना चर्चा के सीटों के बंटवारे पर नाराजगी जताते हुए सोमवार को कहा कि राजग में शामिल सभी दल के नेताओं को इस पर आपस में चर्चा करनी चाहिए थी। श्री मांझी ने कहा कि बिहार विधान परिषद चुनाव में सीटों के बंटवारे के मुद्े पर राजग में शामिल सभी नेताओं के बीच चर्चा होनी चाहिए थी‚ लेकिन ऐसा नहीं किया गया। यदि चर्चा भी होती तो उनकी पार्टी अपने लिए कोई सीट नहीं मांगती। सभी की सहमति पर हम अपनी सहमति दे देते। लेकिन हम लोगों की अनदेखी की गई‚ जो सही नहीं है। श्री मांझी ने कहा‚ ‘पार्टी जब राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ महागठबंधन में थी‚ तो वहां भी हमसे बिना कोई बात किए लोग खुद निर्णय ले लेते थे। यही वजह है कि हम महागठबंधन से अलग हो गए। अभी राजग द्वारा विधान परिषद चुनाव को लेकर हमसे कोई राय नहीं ली गई। यह सुनने में आया है कि इस चुनाव में ४० से ५० हजार रुपये लेकर वोट खरीदा जा रहा है। हमारे पास ऐसा कोई उम्मीदवार नहीं है‚ जो इतना रुपया दे सके। विधायक और सांसद के चुनाव में भी हमलोग कोई पैसा खर्च नहीं करते हैं। हमलोग जनता के प्यार से जीतते हैं।’ पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा गरीबों की पार्टी है। ऐसे में यदि हमें एक सीट मिलती भी तो हम चुनाव नहीं लड़ते‚ क्योंकि हमारी पार्टी पैसे देकर वोट लेने में सक्षम नहीं है। जो लोग चुनाव लड़ना चाहते हैं‚ वे लोग पैसे के माध्यम से वोट बनाने में लगे हुए हैं।
आने वाले बजट से उम्मीदों को लेकर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में श्री मांझी ने कहा कि बजट में महंगाई को रोकने का प्रयास किया जाना चाहिए। सभी लोग यही उम्मीद रखते हैं कि बजट में सामानों के दाम नहीं बढें‚ क्योंकि गरीब‚ मजदूर और मध्यम वर्ग के लोगों के समक्ष महंगाई आज सबसे बड़ी समस्या है। इसके अलावा वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सहित कई तरह के टैक्स से व्यापारी परेशान हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी पार्टी केंद्र सरकार से यह मांग करती है कि बजट में महंगाई पर नियंत्रण करने की दिशा में काम करें। उन्होंने कहा कि पूरे देश में युवाओं की संख्या बिहार में सबसे ज्यादा है। यह संभव नहीं है कि सभी को रोजगार दिया जा सके‚ लेकिन बिहार के युवाओं के नियोजन की प्रक्रिया अविलंब पूरी होनी चाहिए। अभी तरह–तरह की बातें आ रही है। सरकार नियोजन में क्या कर रही है‚ पता नहीं‚ लेकिन हर हाल में युवाओं को नियोजित करना चाहिए ताकि युवाओं को रोजगार मिले। श्री मांझी ने कहा कि केंद सरकार को मजदूरों के प्रति भी ध्यान देना चाहिए‚ क्योंकि जो संगठित मजदूर हैं वे तो हड़ताल कर अपनी मांग पूरी करा लेते हैं‚ लेकिन जो असंगठित हैं‚ उनकी स्थिति दिन पर दिन दयनीय होती जा रही है।