राजद विधायक तेजप्रताप यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की समाज सुधार यात्रा को बिहार बिगाड यात्रा बताया है। उन्होंने कहा है कि बिहार में हत्या बढ रही है‚ शराब खुलेआम बिक रही है‚ लेकिन नीतीश सरकार इस पर लगाम नहीं लगा पा रही है। तेजस्वी ने कहा कि नीतीश से अब बिहार नहीं संभल रहा है‚ उन्हें अब इस्तीफा दे देना चाहिए। वहीं‚ तेजप्रताप ने किन्नरों की मौत पर कहा कि आज किन्नरों की ही नहीं बल्कि हर वर्ग में लोगों की सरेआम हत्या हो रही है। उन्होंने जीतन राम मांझी के विवादित बयान और उन पर भाजपा नेताओं द्वारा की गयी आपत्तिजनक टिप्पणी को भी गलत बताया है। उन्होंने कहा कि नेताओं को ऐसे बयान नहीं देना चाहिए। इससे समाज में द्वेष फैलता है। उन्होंने कहा कि बोलने के लिए सभी आजाद हैं‚ लेकिन समाज तोडने वाले बयान नहीं देना चाहिए। तेजप्रताप ने बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर कहा कि बिहार में जब राजद की सरकार थी तो बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग की थी। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने विशेष राज्य के दर्जे के लिए कुछ नहीं किया। बिहार को विशेष पैकेज भी नहीं मिला
प्रदेश राजद ने कहा कि नीतीश कुमार २२ दिसंबर से समाज सुधार यात्रा पर निकल रहे हैं‚ उससे पहले जेड़ीयू को यह स्पष्ट करना चाहिए कि नीतीश कुमार कौन–सा और किस तरह के समाज के लिए सुधार करना चाहते हैं‚ जबकि यात्रा से पहले तो उन्होंने अपने अधिकारियों और नेताओं को ही नहीं सुधारा है। शराबबंदी को लेकर एनड़ीए गठबंधन और पार्टी के अंदर ही गहरे मतभेद हैं। उक्त बातें राजद प्रवक्ता एजाज कहीं। उन्होंने कहा कि बच्चे नशीले पदार्थों का सेवन करते हुए पटना की सड़कों पर देखे जा सकते हैं और उनको रोकने के लिए सरकार की कोई निगाह नहीं है। और न ही रोकने की दिशा में कोई कार्रवाई नही की जा रही है
जहां एक ओर एनड़ीए गठबंधन के नेता हम पार्टी के जीतन राम मांझी ने उजागर किया कि किस तरह से शराबबंदी कानून में बड़ा अड़चन अधिकारियों और नेताओं को ही बता रहे हैं‚ वहीं दूसरी ओर जनता दल यू के विधायक भागलपुर के जदयू सांसद पर ही शराब बेचने का आरोप लगाते हैं और सरकार की ओर से इस दिशा में कोई जांच नहीं होती है। काराकाट के सांसद पर शराब माफिया के साथ पार्टी करते हुए दिखते हैं‚ लेकिन इस पर भी पार्टी की ओर से कोई पूछताछ नहीं की जाती है। जिन महिलाओं के नाम पर मुख्यमंत्री जी शराबबंदी कानून का क्रेडि़ट ले रहे हैं आज शराबबंदी के नाम पर सबसे ज्यादा उन्ही महिलाओं को पुलिस के द्वारा प्रताड़ना का शिकार होना पड़ रहा है। जहां पटना‚ मोतिहारी सहित अन्य जिलों में जिस तरह से बिना महिला पुलिस के शराब की खोज मे पुलिस ने महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है‚ क्या यह उचित हैॽ क्या ऐसे ही समाज सुधार हो सकता हैॽ
राजद प्रवक्ता एजाज ने आगे कहा कि बिहार में छोटे–छोटे बच्चे नशीले पदाथोंर् का सेवन करते हुए पटना के विभिन्न सड़कों पर देखे जा सकते हैं‚ और उनको रोकने के लिए सरकार की कोई निगाह नहीं है‚ और न ही रोकने की दिशा में कोई कार्रवाई नही की जा रही है। एजाज ने कहा कि सरकार के मुखिया नीतीश कुमार अपना चेहरा समाज सुधार के नाम पर चमकाने के लिए कर्मचारियों‚ जीविका दीदियों‚ आशा तथा अन्य लोगों का सहारा लेकर ही सभा का प्रोग्राम बनाया है। यह फिजूलखर्ची के अलावा कुछ नहीं है। दरअसल बिहार में विकास और शिक्षा तथा रोजगार के प्रति सरकार का कोई ध्यान नहीं है इसलिए इसको भटकाव की दिशा में ले जाने के लिए नीतीश कुमार समाज सुधार यात्रा के नाम पर सरकारी खजाना लुटा कर वाहवाही लेना चाहते हैं जबकि बेरोजगार नौजवान रोजगार के लिए दर–दर भटक रहे हैं ।
भाकपा–माले राज्य सचिव कुणाल ने मंगलवार को बयान जारी कर कहा है कि भाजपा जैसी सांप्रदायिक–विभाजनकारी ताकतों के साथ गलबहियां करके नीतीश कुमार आखिर कौन–सी समाज सुधार यात्रा करने वाले हैं। नफरत फैलाना‚ हिंदू–मुस्लिम के नाम पर समाज को विभाजित करना‚ वैज्ञानिक चिंतन को खत्म करके समाज में अंधविश्वास व पाखंड फैलाना‚ महिलाओं की आजादी को हर प्रकार से नियंत्रित करना आदि ही भाजपा के काम हैं। ऐसे में नीतीश कुमार की समाज सुधार यात्रा का दावा खोखला नहीं तो और क्या है। नीतीश कुमार कह रहे हैं कि इस यात्रा के जरिए शराब के दुष्प्रभावों से लोगों को अवगत कराया जाएगा। हमारी पार्टी बहुत पहले से यह मांग करती आई है कि शराब के दुष्प्रभावों से लोगों को अवगत कराने हेतु सरकार को सभी राजनीतिक–सामाजिक दलों का समर्थन लेना चाहिए और इसे एक सामाजिक जागरण का विषय बनाया जाना चाहिए। शराब की लत की जकड में पडे लोगों के लिए नशामुक्ति केंद्र व्यापक पैमाने पर खोलने चाहिए। राजनेता–प्रशासन–शराब माफिया गठजोड की जांच करानी चाहिए‚ लेकिन नीतीश कुमार इन सभी सुझावों से लगातार भागते रहे हैं। सामाजिक जागरण का विषय बनाने की बजाए सरकार ने शराबबंदी की आड में दलित–गरीबों पर हमला बोल दिया है। लाखों लोगों को उठाकर जेल में डाल दिया है। उन परिवारों के लिए किसी भी प्रकार के वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था नहीं की गई है। ऐसे में भला उन गरीब परिवारों को कैसे उबारा जा सकता है।