बॉम्बे हाईकोर्ट में आर्यन खान की जमानत याचिका पर चल रही मैराथन सुनवाई का आज तीसरा दिन है। एक बात तो बिल्कुल साफ है; सवाल यह नहीं कि उन्हें जमानत मिली या नहीं, या उन्हें जमानत मिलनी चाहिए या नहीं। यह एक कानूनी मसला है और अदालत में सबूतों और दलीलों के आधार पर फैसला होगा। लेकिन यह सवाल जरूर है कि क्या इस केस में आर्यन को सिर्फ इसलिए जेल की हवा खानी पड़ रही है क्योंकि वो सुपरस्टार शाहरूख खान के बेटे हैं?
इस पूरे मामले में यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या आर्यन के बहाने तमाम तरह के पुराने हिसाब-किताब बराबर किए जा रहे हैं। क्या इस केस में महाराष्ट्र के नेता और केन्द्र सरकार के अफसर पार्टी बन गए हैं। इस केस में एनसीपी और बीजेपी आमने-सामने है और दोनों के बीच आर्यन खान और उसके दोस्त पिस रहे हैं। ऐसे में ये सवाल बेहद प्रासंगिक हैं और इनके जवाब मिलने चाहिए।
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े ड्रग्स मामले की जांच कर रहे थे, लेकिन अब एनसीबी दिल्ली के वरिष्ठ अधिकारियों की एक टीम वानखेड़े के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच कर रही है। आर्यन खान के वकील अदालत में आर्यन की बेगुनाही के सबूत दे रहे हैं। वे कह रहे हैं की छापे के दौरान आर्यन के पास से कोई ड्रग्स बरामद नहीं हुआ। एनसीबी की तरफ से सबूत के तौर पर तीन साल पुराने व्हाट्सएप चैट पेश किए जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर समीर वानखेड़े अपने सीनियर्स के सामने अपने ऊपर लगे आरोपों को झूठा साबित करने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि समीर के खिलाफ प्रोफेशनल और पर्सनल दोनों तरह के इल्जाम हैं। आर्यन के वकील पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने अदालत से एनसीबी के अरेस्ट मेमो को देखने की गुजारिश की और यह साबित करने की कोशिश की कि जिस वक्त आर्यन खान को गिरफ्तार किया गया था उस वक्त उनके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय ड्रग माफिया की साजिश का आरोप नहीं लगाया गया था। उन्होंने अदालत को बताया कि इस आरोप को बाद में जोड़ा गया। मुकुल रोहतगी ने कहा कि आर्यन खान को गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया।
आर्यन और उसके दो दोस्तों अरबाज मर्चेंट और मुनमुन धमेचा को तीन अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था। ये लोग पहले ही 25 दिन हिरासत में बिता चुके हैं। दरअसल यह सुप्रीम कोर्ट के उस प्रसिद्ध फैसले के खिलाफ है जिसमें कहा गया-‘जमानत नियम होना चाहिए और गिरफ्तारी अपवाद होनी चाहिए’। वकील अमित देसाई ने हाईकोर्ट में सही कहा कि अब सब उल्टा हो गया है। जेल नियम और जमानत अपवाद हो गई है। NCB ने खुद माना कि आर्यन के पास से ड्रग्स बरामद नहीं हुई। तो सवाल यह है कि आर्यन का गुनाह क्या है? एनसीबी का इल्जाम कि आर्यन खान इंटरनेशनल ड्रग्स रैकेट का हिस्सा हैं, लेकिन इस तर्क की पुष्टि के लिए उसके पास कोई सबूत नहीं है।
तीन साल पुरानी व्हाट्सएप चैट दिखाई जा रही है और अब इन्हें वैरीफाई करना है। एनसीबी का तर्क है कि चूंकि आर्यन एक प्रभावशाली परिवार से ताल्लुक रखता है इसलिए उसे जेल में रखना जरूरी है ताकि वो सबूतों के छेड़छाड़ न कर दे, गवाहों को प्रभावित न कर दे। लेकिन इस केस में गवाह कौन हैं? एक गवाह जो फरार हो गया था उसे आज सुबह गिरफ्तार किया गया और दूसरे गवाह ने आरोप लगाया कि मामले की जांच कर रहे एनसीबी के कुछ अधिकारियों ने रिश्वत मांगी थी।
आर्यन केस में गवाह नंबर वन, प्रभाकर सैल ने खुद अपना वीडियो जारी करके और एफिडेविट देकर कहा कि शाहरूख खान से 25 करोड़ में डील होनी थी लेकिन अधिकारियों को पैसा नहीं मिला इसलिए आर्यन को लपेटा गया और उसे जेल भेज दिया गया। प्रभाकर सैल इस मामले में दूसरे गवाह किरण गोसावी का बॉडीगार्ड है। आर्यन की गिरफ्तारी के सारे वीडियो में किरण गोसावी दिख रहा है। प्रभाकर का दावा है कि आर्यन को लेकर सारी डीलिंग किरण गोसावी कर रहा था। मामला उजागर होते ही किरण गोसावी फरार हो गया लेकिन आज सुबह उसे पुणे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। प्रभाकर का दावा है कि आर्यन को छोड़ने के एवज में शाहरूख खान से 25 करोड़ मांगे जाने थे। यह डील 18 करोड़ में होनी थी और उसमें से 8 करोड़ समीर वानखेड़े को पहुंचाने थे। लेकिन शाहरूख की मैनेजर ने फोन उठाना बंद कर दिया इसलिए बात बिगड़ गई।
प्रभाकर के आरोपों की जांच एनसीबी कर रही है लेकिन प्रभाकर के बाद महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मलिक ने तो समीर वानखेड़े के खिलाफ इतने इल्जाम लगा दिए कि तुरंत जांच होना संभव भी नहीं है। नवाब मलिक रोजाना समीर वानखेड़े पर आरोप लगा रहे हैं। फिलहाल नवाब मलिक ये साबित करने में लगे हैं कि समीर वानखेड़े मुस्लिम हैं। उन्होंने आरक्षण का फायदा उठाने के लिए फर्जी जाति प्रमाणपत्र बनवाया और उसी के आधार पर सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास की।
अपने इल्जाम को साबित करने के लिए पहले नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े का बर्थ सर्टिफिकेट सार्वजनिक किया था और फिर बाद में नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े की पहली शादी का निकाहनामा पेश कर दिया। इसमें समीर वानखेड़े का नाम समीर दाऊद वानखेड़े लिखा है। इसके साथ ही वह ‘काजी’ भी सामने आया जिसने समीर का उनकी पहली पत्नी के साथ निकाह कराने का दावा किया। एनसीपी नेता नबाव मलिक ने दावा किया कि समीर वानखेड़े के खिलाफ उनके पास इतने सबूत हैं कि अगले छह महीने में उनकी नौकरी से छुट्टी हो जाएगी।
इंडिया टीवी के रिपोर्टर ने समीर के पिता ज्ञानदेव वानखेड़े से मुलाकात की। उन्होंने यह माना कि निकाहनामा सही है। निकाहनामे पर साइन भी उन्हीं के हैं लेकिन लेकिन वे यह नहीं बता सके कि उस पर समीर दाऊद वानखेड़े क्यों लिखा गया था। इंडिया टीवी के रिपोर्टर ने उस काजी को भी ढूंढ निकाला जिसके दस्तखत निकाहनामे पर हैं। उसने कहा कि निकाहनामा असली है। लड़का-लड़की दोनों मुसलमान थे। समीर के पिता का नाम दाऊद है। उनका पूरा परिवार मुसलमान था इसीलिए उन्होंने निकाह पढ़वाया था। अगर लड़के का परिवार हिन्दू होता तो शरिया में निकाह की इजाजत ही नहीं है। वे ऐसी शादी नहीं कराते।
ये अच्छी बात है कि समीर वानखेड़े के खिलाफ जो इल्जाम लगे हैं, एनसीबी ने बिना देर किए उनकी जांच शुरू कर दी है। महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक ने जो आऱोप लगाए वो गंभीर हैं। मलिक का आरोप है कि समीर वानखेड़े शादी करने के लिए मुसलमान बन गए औऱ सरकारी नौकरी पाने के लिए दलित होने का फजी सर्टिफिकेट बनवाया।
इतना ही नहीं नवाब मलिक ने जो चिट्ठी जारी की उसमें तो कहा गया कि समीर वानखेड़े जिनको पकड़ते हैं उनके घरों में नारकोटिक्स प्लांट करके रिकवरी दिखाते हैं फिर केस बंद करने के लिए करोड़ों रुपए मांगते हैं। इस केस में जिन लोगों को वानखेड़े ने गवाह बनाया उनके कनेक्शन बीजेपी से निकले इसीलिए ये मामला अब पूरी तरह सियासी हो गया।
अब यह मामला महाराष्ट्र की राज्य सरकार औऱ केंद्र सरकार के नेताओं के बीच टकराव का मामला बन गया है।आर्यन और उसके दोस्त क्रॉस फायर में फंस गए हैं। ऐसा लग रहा है जैसे नवाब मलिक ड्रग्स केस में अपने दामाद को गिरफ्तार करने वाले समीर वानखेड़े के पीछे पड़ गए हैं। नवाब मलिक आश्वस्त हैं कि वानखेड़े ने उनके दामाद को झूठे केस में फंसाया इसलिए अब वे किसी तरह से समीर वानखेड़े को जेल भेजना चाहते हैं। वहीं दूसरी ओर बीजेपी के नेता समीर वानखेड़े को बचाने में जुट गए हैं। ऐसा लग रहा है जैसे बीजेपी समीर वानखेड़े के साथ सिर्फ इसलिए खड़ी है क्योंकि महाराष्ट्र सरकार के एक बड़े मंत्री समीर वानखेड़े के खिलाफ हैं।
महाराष्ट्र में पिछले साल भर में ये तीसरा मौका है कि जो केस जांच एजेंसियों का विषय होना चाहिए था वो राजनैतिक दलों के बीच लड़ा जा रहा है। एक अफसर राज्य सरकार की प्रोटेक्शन लेता है तो दूसरा केंद्र सरकार की।
मुझे लगता है कि कानूनी मामलों में, क्रिमिनल केसेज में जब सियासत घुसती है तो फिर उसका खामियाजा सबको भुगतना पड़ता है। जांच एजेंसियों की छवि खराब होती है। न्यायपालिका पर कीचड़ उछलता है और न्याय मिलने में देर होती है।
शाहरूख के बेटे आर्यन के साथ यही हो रहा है इसीलिए उसके वकील अदालत में बार-बार कह रहे हैं कि उन्हें सियासी बयानों से कोई मतलब नहीं है। एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े पर लगे इल्जामात से उनका कोई लेना-देना नहीं है। वो तो क्रॉस फायर में फंस गए हैं। आर्य़न के वकील कहते हैं कि उनका केस अगर मैरिट के आधार पर सुना जाता तो अब तक आर्य़न को बेल मिल चुकी होती।