आज बिहार समेत पूरे देश में विजयदशमी का त्योहार मनाया जा रहा है. दुर्गा पूजा के अवसर पर श्रद्धालु अलग-अलग तरीके से माता रानी को प्रसन्न करने में जुटें हैं. वहीं मूर्ति विसर्जन से पहले बंगाली समुदाय के बीच विशेष रुप से सिंदूर खेला का प्रचलन है. तमाम बंगाली पूजा समितियों में महिलाएं सिंदूर खेला में शामिल होती हैं. पटना में भी बंगाली समुदाय की महिलाओं ने बड़े उत्साह के साथ सिंदूर खेला किया और मां दुर्गा का आशीर्वाद लिया.
बिहार समेत पूरे देश में विजयादशमी है का त्योहार मनाया जा रहा है. 9 दिनों तक माता के नौ स्वरूपों की पूजा के बाद आज विजयादशमी को धूमधाम से माता की विदाई होती है. लोग बड़ी श्रद्धा भाव के साथ माता की प्रतिमा का विसर्जन करते हैं. वहीं आज के दिन विसर्जन से पहले बंगाली समुदाय के बीच विशेष रुप से सिंदूर खेला का प्रचलन है. तमाम बंगाली पूजा समितियों में महिलाएं सिंदूर खेला में शरीक होती हैं.
नवरात्रि के बाद मां दुर्गा की प्रतिमा के विसर्जन के दिन पश्चिम बंगाल, बिहार और बांग्लादेश के कुछ इलाकों में सिंदूर खेला की परंपरा देखने को मिलती रही है. सुहागिन महिलाएं इस दिन पान के पत्ते से मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित करती हैं. उसके बाद एक दूसरे को सिंदूर लगाती हैं और एक-दूसरे को सौभाग्यवती होने की शुभकामनाएं देती हैं.
कहते हैं कि मां दुर्गा मायके से विदा होकर ससुराल जाती हैं तो सिंदूर से उनकी मांग भरी जाती है. मां दुर्गा को इस मौके पर पान और मिठाई भी खिलाई जाती है. मां दुर्गा के विसर्जन के दिन महाआरती से अनुष्ठान की शुरुआत होती है और मां को शीतल भोग चढ़ाया जाता है. इसमें कोचुर शाक, पंता भात और इलिश माछ को शामिल किया जाता है. पूजा के बाद प्रसाद वितरण किया जाता है.
पूजा में देवी के ठीक सामने दर्पण रखा जाता है और भक्त देवी दुर्गा के चरणों की एक झलक पाने के लिए दर्पण में देखते हैं. कहा जाता है कि जिसे मां दुर्गा के पैर दर्पण में दिख जाते हैं, उन्हें सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
मां की पूजा के बाद देवी बोरन करने का रिवाज है. इसमें विवाहित महिलाएं देवी को अलविदा कहने के लिए कतार में खड़ी होती हैं. उनकी थाली में सुपारी, पान का पत्ता, सिंदूर, आलता, अगरबत्ती और मिठाइयां होती हैं. महिलाएं पान का पत्ता और सुपारी लेकर मां के चेहरे को पोंछती हैं. इसके बाद मां को सिंदूर लगाया जाता है. इस दौरान महिलाएं माता को शाखां और पोला पहनाती हैं. मिठाई के अलावा पान-सुपारी चढ़ाया जाता है और इसके बाद मां विदा हो जाती हैं.
हर वर्ष सिंदूर खेला के लिए भव्य इंतजाम किया जाता है और इसमें काफी लोग जुटते हैं. लेकिन, इस बार कोरोना को देखते हुये और प्रशासन के निर्देशानुसार लोगों ने अधिक भीड़ न जुटाते हुए परंपरा का निर्वाह किया.
राजधानी पटना के सर्वजेनिन पूजा समिति की महिलाओं ने भी सिंदूर खेला किया और मां से आशीर्वाद लिया.पटना के लंगर टोली, कंकड़बाग, गर्दनीबाग समेत अन्य इलाकों में लोग सिंदूर खेला में शामिल होते हैं.
बंगाली समुदाय के लोग विसर्जन के दिन सिंदूर खेला की परंपरा को निभाते हैं.