बिहार विधान सभा के दो सीट पर होने वाले उप चुनाव को लेकर बिहार की सियासत बेहद गर्म हो गई है. शायद ये पहला मौका है जब किसी उप चुनाव को लेकर चुनाव लड़ने वाली तमाम राजनीतिक पार्टियों ने इस कदर ताकत झोंकी है. राजद हो NDA या फिर कांग्रेस तमाम राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताक़त झोंक दी है क्योंकि दो सीट पर होने वाला उप चुनाव आने वाले समय में बिहार की सियासत को गहरे तौर पर प्रभावित कर सकता है.
बिहार की आगामी सियासत के लिहाज से यह जानना भी बेहद दिलचस्प है कि आखिर कैसे दो सीटों के चुनाव परिणाम बिहार की सियासी फिजां में हलचल तेज कर सकते हैं. जानिए वो पांच कारण जो उप चुनाव के परिणाम से बिहार की राजनीति को प्रभावित कर सकते हैं.
नीतीश के लव-कुश का लिटमस टेस्ट
नीतीश कुमार ने उपेन्द्र कुशवाहा को JDU में शामिल कर लव कुश समीकरण को अपने पाले में करने के लिए बड़ा दांव खेला था. माना जा रहा है उपेन्द्र कुशवाहा के JDU में आने के बाद लव-कुश समीकरण पर सबसे बड़ी दावेदारी JDU की हो गई है. लेकिन, तारापुर में लव कुश समीकरण दांव पर है. अगर JDU ये सीट निकाल लेती है तो JDU के लव-कुश समीकरण पर मुहर लग जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो राजनीति पलट भी सकती है.
भाजपा समर्थकों पर जदयू की नजर
तारापुर हो या कुशेश्वरस्थान, दोनों JDU की सिटिंग सीट है और इस वजह से JDU के ऊपर काफ़ी दबाव है. JDU को ये दोनो सीट जीतने के लिए भाजपा की मदद की सख्त जरूरत है क्योंकि दोनों सीटों पर कुछ ऐसी जातियां हैं जिसपर भाजपा की पकड़ मानी जाती है. खासकर सवर्ण वैश्य और अति पिछड़ा वोटर जिस पर राजद और कांग्रेस की नज़र भी टिकी हुई है, और उनके उम्मीदवार भी इसकी तस्दीक करते हैं. अगर भाजपा अपने मजबूत वोट बैंक को JDU के उम्मीदवार को ट्रांसफर कराने में सफल नहीं हुई तो JDU की मुश्किल बढ़ सकती है. साथ ही JDU और भाजपा के सम्बंध पर भी असर पड़ सकता है क्योंकि विधान सभा चुनाव में JDU ने आरोप लगाया था की भाजपा के वोटर JDU उम्मीदवार की तरफ शिफ्ट नहीं हुए थे.
तेजस्वी की A TO Z राजनीति की परीक्षा
RJD पर आरोप लगता रहा है कि राजद MY समीकरण की पार्टी है, लेकिन तेजस्वी यादव इन आरोपों को गलत बताते रहे हैं. कई बार ये कहा है कि राजद अब बदल चुका है और अब RJD A TO Z की पार्टी हो गई है. तारापुर और कुशेश्वरस्थान में राजद ने जो उम्मीदवार उतारे हैं तेजस्वी अपने उसी दावे को पुख्ता करते हुए दिख रहे हैं. अगर चुनाव परिणाम तेजस्वी के पक्ष में आया तो तेजस्वी यादव के दावे को आने वाले समय में और मजबूती मिल जाएगी जो बाकी पार्टियों के लिए मुसीबत बन सकती है.
कांग्रेस और राजद की दोस्ती दांव पर
बिहार में लंबे समय से राजद और कांग्रेस की दोस्ती रही है और दोनों गठबंधन कर चुनाव लड़ते रहे हैं. लेकिन, इस बार के उपचुनाव में राजद ने कांग्रेस को नाराज़ कर दोनों सीट पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं, जिससे कांग्रेस नाराज है. हालांकि राजनीतिक हलको में ये भी चर्चा है की राजद और कांग्रेस ने एक सोची समझी रणनीति के तहत ऐसा कदम उठाया है. लेकिन, बिहार कांग्रेस में एक धड़ा ऐसा है जो राजद से अलग होना चाहता है. अगर चुनाव परिणाम में जब कांग्रेस ठीक-ठाक मुकाबला करते नजर आयी और चुनाव परिणाम राजद और कांग्रेस के उम्मीद के मुताबिक नहीं आए तो आने वाले समय में राजद और कांग्रेस की दूरियां बढ़ सकती हैं. बता दें कि कन्हैया कुमार के कांग्रेस में आने के बाद राजद और कांग्रेस में तल्खी बढ़ गई हैं.
चिराग पासवान के सामने साख की चुनौती
चिराग़ पासवान के हाथ से लोजपा की कमान छिन चुकी है और उपचुनाव की दोनों सीटों पर चिराग की प्रतिष्ठा दांव पर है. दरअसल तारापुर चिराग के संसदीय सीट जमुई के अंतर्रगत आता है, वहीं कुशेश्वर स्थान में पासवान वोटर का रुख क्या रहता है, इस पर भी चिराग की आने वाली राजनीति बहुत कुछ निर्भर करती है. वजह यह भी है क्योंकि चिराग पासवान अक्सर यह दावा करते है कि पासवान वोटर उनके साथ हैं.