भारत के दो तगड़े़ झटके देते ही बेमतलब की जिद पर अड़े़ ब्रिटेन की अक्ल ठिकाने आ गई और उसने भारत की कोविशील्ड को मान्यता दे दी है। इसका मतलब है कि अब भारत से टीके का दोनों खुराक लेकर जाने वाले लोगों को ब्रिटेन पहुंचते ही क्वारंटीन में नहीं रहना पड़े़गा। इसके साथ ही भारत और ब्रिटेन के बीच आखिरकार कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर जारी अप्रिय विवाद का पटाक्षेप हो गया है। इस तरह आगामी ११ अक्टूबर से ब्रिटेन पहुंचने वाले भारतीय क्वारंटीन की शर्त से मुक्त हो गए हैं जो कोविशील्ड की दोनों खुराक ले चुके हैं। दोनों देशों में कोविशील्ड को लेकर कई दिनों से विवाद चल रहा था। जब ब्रिटेन ने अपनी सीमाएं पिछले महीने पूरी दुनिया के लोगों के लिए खोलीं तो पूरी तरह टीकाकृत लोगों को क्वारंटीन से छूट दे दी लेकिन अजब फैसला लेते हुए कोविशील्ड को मान्यता नहीं दी‚ जो भारत में इस्तेमाल की जा रही है। ब्रिटेन के इस कदम को भारत में बेहद अपमानजनक समझा गया। फैसले की तीखी आलोचना हुई और भारत में इसे साम्राज्यवादी और औपनिवेशिक भावना से ग्रस्त माना गया। ब्रिटेन की इस नीति पर भारत ने कड़़ी आपत्ति जताई। विदेश सचिव हर्ष „ाृंंगला ने ब्रिटिश नीति को भेदभावपूर्ण बताते हुए जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी थी। ब्रिटेन इस पर भी नानुकुर करता रहा तो भारत ने १ अक्टूबर को जवाबी कार्रवाई करते हुए ब्रिटेन से आने वाले हर यात्री पर १० दिन का अनिवार्य क्वारंटीन लागू कर दिया‚ फिर चाहे उसने वैक्सीन ली हो ना नहीं। इसी हफ्ते भारत ने अपनी महिला और पुरुष हॉकी टीमों को कोविड का खतरा बताते हुए अगले साल बर्बिंघम में होने वाले कॉमनवेल्थ खेलों में भेजने से इनकार कर दिया था। लगातार दबाव के बीच गुरु वार को ब्रिटेन ने आखिरकार नीति में बदलाव की घोषणा की। ब्रिटिश अधिकारियों ने सफाई देते हुए कहा कि मुद्दा वैक्सीन नहीं थी बल्कि भारत में वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट जारी करने की प्रक्रिया थी और उच्च स्तर पर वार्ता के बाद दोनों देशों ने एक दूसरे के प्रमाणपत्रों को मान्यता दे दी। यूरोपीय संघ के साथ भी कोविशील्ड को लेकर भारत का विवाद हो चुका है। जुलाई में जब यूरोपीय संघ ने मान्य टीकों की सूची जारी की थी तो उसमें कोविशील्ड नहीं था। विवाद कोविशील्ड़ के निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) को यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी द्वारा मान्यता न देने के कारण हुआ था‚ एजेंसी के मुताबिक उसे एसआईआई का कोई अनुरोध नहीं मिला था।