सबका–साथ‚ सबका विकास’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का राजनीतिक–दर्शन है। यह दर्शन उन्हें माधव सदाशिव गोलवरकर‚ श्यामा प्रसाद मुखर्जी‚ दीनदयाल उपाध्याय‚ वीआर अम्बेड़कर‚ जयप्रकाश एवं लोहिया के विचारों से प्रेरित है। नरेन्द्र मोदी के व्यक्तिव निर्माण में परमपूज्य ड़ॉ. केशव बलिराम हेड़गेवार की अतुलनीय भूमिका रही है । आज इक्कीसवीं शताब्दी में भारतीय राजनीति जगत में नरेन्द्र मोदी को भीष्म पितामह माना जाता है । प्राचीन भारतीय चिंतक कौटिल्य की तरह नरेन्द्र मोदी को स्वदेशी चिन्तक मानना तर्क संगत है । सत्य है कि नरेन्द्र मोदी के व्य्त्विव में हमें गांधी का स्वराज‚ स्वदेशी‚ पंडि़त दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानववाद और लोहिया के समतावादी समाज की स्थापना का संघर्ष देखने को मिलता है । पंडि़त दीनदयाल उपाध्याय का एकात्मक मानव दर्शन वर्तमान संदर्भ में और अधिक प्रासांगिक है । उनके चिंतन का आधार वेदों में वर्णित चतुर्पुरूषार्थ और समस्त प्राणियों में परमात्मा के अंश का एकात्म–भाव है । इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर उन्होंने राष्ट्र की प्रगति का ढांचा तैयार किया। जिसमें प्रत्येक मनुष्य और प्राणी को अपनी कृति‚ प्रकृति के अनुरूप विकास का अवसर प्राप्त हो । नरेन्द्र मोदी इसी दृष्टिकोण से प्रेरित होकर बगैर जाति‚ धर्म‚ वर्ग और लिंग के भेदभाव के सबको विकास का अवसर प्रदान करने के लिए प्रयासरत और प्रत्यनशील है । यह सत्य है कि वर्ततमान समय में नरेन्द्र मोदी गरीबों के मसीहा हैं ।
भारत एक विकासशील देश है । आजादी के बाद प्रत्येक पंच वर्षीय योजना में यह वकालत की जाती रही है कि गरीबी एवं बेरोजगारी को दूर करना है ‚ लेकिन आज आजादी की लंबी यात्रा के बाद भी हम इन उद्श्यों को पूरा नहीं कर सके हैं। इसके पीछे कई कारण रहे हैं ‘ नेहरू विकास मॉड़ल’ अपेक्षित सफलता नहीं प्रदान कर पाया। नेहरू की नीतियों को उन्ही के उत्तराधिकारियों द्वारा अप्रासांगिक बना दिया गया। सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों को पंडि़त नेहरू ने आधुनिक भारत का मंदिर कहा था‚ जबकि पीवी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह ने उसी के विनिवेश करने का कार्य शुरू किया । नेहरू विकास मॉड़ल जो समाजवाद से प्रेरित था‚ से भारत के विकास में अपेक्षित सफलता नहीं मिली । वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विकास का एक नया मॉड़ल प्रस्तुत किया। नरेन्द्र मोदी ने ‘ आत्मानिर्भर भारत’ की । आज विश्व में आत्मनिर्भर शब्द के मायने पूरी तरह बदल गए है । अर्थ केंद्रित वैश्वीकरण बनाम मानव केंद्रित वैश्वीकरण की चर्चा आज प्रबल है । विश्व के सामने भारत का मूलभूत चिंतन आशा की किरण बनकर सामने है । वह भारत की संस्कृति‚ भारत के संस्कार‚ आत्मनिर्भरता की बात करते हैं। उस आत्मनिर्भरता की बात करते है। जिसकी आत्मा ‘ वसुधैव कुटुम्बकम’ है । विश्व एक परिवार है भारत जब आत्मनिर्भरता की बात कहता है तो आत्म–के्द्रिरत व्यवस्था की वकालत नहीं करता है। यही अन्तर है नेहरू मॉड़ल एवं मोदी मॉड़ल में। नरेन्द्र मोदी भारत की आत्मनिर्भरता में सुधार के सुख सहयोग और शांति की चिन्ता करते है । यहां नरेन्द्र मोदी ने स्पष्ट किया है कि जो संस्कृति जय जगत में विश्वास करनी हो‚ जो जीव मात्र का कल्याण चाहती हो‚ जो पूरे विश्व को परिवार मानती हो‚ जो अपनी आस्था में माता भूमि पुत्रों अहं पृथिव्या की सोच रखती हो‚ जो पृथ्वी को मां मानती हो‚ वह संस्कृति‚ वह भारत भूमि जब आत्मनिर्भर बनती है तो उससे सुखी विश्व की संभावना भी सुनिश्चित होती है । मोदी विकास मॉड़ल में मानव जाति के कल्याण की बात कही गई है ।
आज भारत विश्व कल्याण की राह पर अग्रसर है । भारत का इतिहास सदियों से गौरवपूर्ण रहा है । इसे सोने की चिडि़यां कहा जाता था । आज वक्त बदल गया है । विकास के लिए नयी राहें खोजी जा रही हैं। एसी परिस्थिति में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का संकल्प लिया है‚ जो हमारे देश के लिए शुभ संकेत है । नरेन्द्र मोदी ने १३० करोड़ देशवासियों को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिया है । उनका मानना है कि आज हमारे सामने विकास के लिए साधन है‚ सामर्थ्य है और हमारे पास दुनियां का सबसे बेहतरीन टैलेन्ट है । अतः हम बेस्ट प्रोड़क्ट्स बनायेंगे‚ अपनी क्वॉलिटी और बेहतर बनायेंगे। सप्लाई चेन को आधुनिक बनायेंगे और आत्मनिर्भर भारत की कल्पना को साकार करेंगे। मोदी का कहना है कि आत्मनिर्भर भारत की भव्य इमारत पांच पिलर पर खड़ी होगी। पहला पिलर इकॉनोमी‚ एक ऐसी इकॉनोमी जो इंक्रिमेंटल चेंज नहीं‚ बल्कि क्वांटक जंप लाए ‚ दूसरा पिलर – इंफ्रास्ट्रक्चर‚ एक ऐसा इन्फ्रास्ट्रक्चर जो आधुनिक भारत की पहचान बने । तीसरा पिलर हमारा सिस्टम–एक ऐसा सिस्टम जो शताब्दी की रीति नीति नहीं बल्कि २१ वीं सदी के सपनों को साकार करने वाली टेक्नेलॉजी ड्रिवन व्यवस्था पर आधारित हो । चौथा पिलर–हमारी ड़ेमोग्राफी । दुनिया की सबसे बड़ी ड़ेमोक्रेसी में हमारी वाइबरैंट ड़ेमोग्रेफी हमारी ताकत है । आत्मनिर्भर भारत के लिए हमारी ऊर्जा का स्त्रोत है । पांचवां पिलर है– डि़मांड़ हमारी अर्थव्यवस्था में डि़मांड़ और सप्लाई का जो चक्र है‚ जो ताकत है उसे पूरी क्षमता से इस्तेमाल किए जाने की जरूरत है । देश में डि़मांड़ बढाने के लिए डि़मांड़ को पूरा करने के लिए हमारी सप्लाई चेन के हर स्टेक होल्ड़र का सशक्त होना जरूरी है । हमारी आपूर्ति की उस व्यवस्था हो हम मजबूत करेंगे‚ जिसमें मेरे देश की मिट्टी की महक हो‚ हमारे मजदूरों के पसीने की खूशबू हो। नरेन्द्र मोदी विकास में आत्मनिर्भर भारत के संकल्प का मजबूत आधार हैं । आत्मनिर्भर भारत के लिए रिफॉर्म की प्रतिबद्धता के साथ भारत का आगे बढ़ना अनिवार्य है ।
नरेन्द्र मोदी पहले प्रधानमंत्री है जिन्होंने महान भारतीय चिन्तक कौटिल्य के विचार और दृष्टि को समझने का प्रयास किया । इन्होंने स्पष्ट कहा कि यह सब आत्मनिर्भरता‚ आत्मबल और आत्म विश्वास से ही सम्भव है । कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भी हमें विकास का यही मंत्र दिखाई पड़ता है । नरेन्द्र मोदी का कहना है कि आत्मनिर्भरता ग्लोबल सप्लाई चेन में कड़ी प्रतिस्पर्धा के लिए भी देश को तैयार करती है । आज समय की मांग है कि भारत हर स्पर्धा को जीते और ग्लोबल सप्लाई चेन में बड़ी भूमिका निभाए ।
श्री मोदी ने आत्मनिर्भर भारत के लिए कुटीर उद्योग‚ गृह उद्योग और मंझौले उद्योग के विकास पर बल दिया है । साथ ही इन्होंने किसान‚ श्रमिक‚ प्रवासी मजदूर‚ पशुपालक‚ मछुआरे आदि के विकास पर भी ध्यान के्द्रिरत किया है । उन्होंने किसान को भी सशक्त बनाने की वकालत की है । मोदी अर्थव्यवस्था में एक बड़े सुधार की भी बात करते है । इन्होंने सुधार के दायरे को व्यापक बनाने की बात की है । यह सुधार खेती से जुड़े पूरे सप्लाई चेन में होंगी ताकि किसानों की स्थिति मजबूत हो सके । ये सुधार टैक्स सिस्टम‚ उत्तम इनफ्रास्ट्रक्चर‚ समर्थ मानव संसाधन और मजबूत वित्तीय व्यवस्था के निर्माण के लिए होंगे । ये सुधार व्यापार को प्रोत्साहित करेंगे । निवेश को बढायेंगे और मेक इन इंडि़या के संकल्प को मजबूत करेंगे।
कोरोना संकट की घड़ी में मोदी ने जोरदार शब्दों में वकालत किया कि आत्मनिर्भरता हमें सुख और संतोष देने के साथ सशक्त भी करता है । २१वीं सदी को भारत की सदी बनाने का हमारा दायित्व‚ आत्मनिर्भर भारत के संकल्प से ही पूरा होगा । इस दायित्व को १३० करोड़ देशवासियों की प्राण शक्ति से ही ऊर्जा मिलेगी । आत्मनिर्भर भारत का यह युग हमारे लिए नूतन प्रण भी होगा। नूतन पर्व भी होगा । नई संकल्प शक्ति लेकर हमें आगे बढ़øना है । अब आचार‚ विचार‚ कर्मठता की पराकाष्ठा हो‚ कर्तव्य भाव से सराबोर हो‚ कौशल की पूंजी हो तो आत्मनिर्भर भारत बनने से कौन हमें रोक सकता है । हम भारत को आत्मनिर्भर भारत बना सकते हैं। हम भारत को आत्मनिर्भर बनाकर रहेंगे ।