17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 71वां जन्मदिन है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उनके जन्मदिन पर बड़ा जलसा करने वाले हैं। इस दिन कोविड-19 वैक्सीनेशन का बड़ा अभियान चलाया जाना है। एक वक्त था जब CM नीतीश कुमार PM नरेंद्र मोदी के नाम से चिढ़ जाते थे। मोदी के कारण ही नीतीश ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) छोड़ा था।
ऐसे खास बन रहे हैं नीतीश
हाल के दिनों में नीतीश कुमार ने मोदी के खास बनने के लिए दो फैसले लिए हैं। पहला ओम प्रकाश चौटाला के पिता पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल की जयंती पर उन्होंने चौटाला के कार्यक्रम में जाने से मना कर दिया। दूसरा नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर बिहार में टीकाकरण महोत्सव आयोजित करने का ऐलान किया।
कभी मोदी का कड़ा विरोध करते थे नीतीश
एक वक्त था जब नीतीश कुमार नरेंद्र मोदी के नाम पर ऐसे चिढ़ते थे जैसे किसी में उनकी दुखती रग पर हाथ रख दिया हो। मामला उस समय का है जब 2010 में बाढ़ के बाद नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर बिहार को पांच करोड़ रुपए की सहायता राशि दी थी। इसका विज्ञापन अखबार में छापा गया था। तब नीतीश कुमार भड़क गए थे और उन्होंने उस पैसे को लौटा दिया था।
उसी समय पटना में BJP के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जब सभी नेता जुटे थे तो, CM नीतीश कुमार ने अपने आवास पर भोज का निमंत्रण दिया था। विज्ञापन वाले मसले को देखते हुए नीतीश कुमार ने भोज कैंसल कर दिया। वक्त के साथ यह तल्ख़ियां और बढ़ती रही।
मोदी के नाम पर रिश्ता भी तोड़ा था
बिहार में BJP-JDU साथ में तो थे, लेकिन नरेंद्र मोदी के नाम पर नीतीश कुमार बिफर जाते थे। 2013 में जब नरेंद्र मोदी को भाजपा ने राष्ट्रीय प्रचार समिति का अध्यक्ष बना दिया गया तो नीतीश कुमार ने अपना आपा खो दिया। BJP के अपने 17 साल के रिश्ते को एक झटके में तोड़ दिया। नीतीश ने RJD का बाहर से समर्थन लेकर सरकार चलाने लगे। उस समय नीतीश कुमार ने कहा था कि मिट्टी में मिल जाऊंगा लेकिन, BJP के साथ नहीं जाऊंगा।
20 महीने में ही फिर भाजपा के साथ आए थे नीतीश
फिर वह भी वक्त आ गया जब देश में लोकसभा का चुनाव हुआ। 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में NDA ने पूर्ण बहुमत पाया। नीतीश कुमार की पार्टी JDU महज 2 सीटों पर सिमट कर रह गई। तब नीतीश कुमार ने नैतिकता का हवाला देकर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उसी समय जीतन राम मांझी बिहार के मुख्यमंत्री बने थे। लगभग 9 महीने मुख्यमंत्री की कुर्सी से अलग रहे नीतीश कुमार 2015 में फिर से मुख्यमंत्री बने और उसी साल विधानसभा चुनाव में RJD के साथ मिलकर सरकार बनाई, जिसमें तेजस्वी यादव उप मुख्यमंत्री बने थे।
यह रिश्ता भी बहुत दिनों तक नहीं चला, महज 20 महीने में ही RJD से रिश्ता तोड़ कर नीतीश कुमार फिर से BJP के साथ आ गए। JDU- BJP ने मिलकर सरकार बना ली। तब से लेकर अब तक BJP के साथ नीतीश कुमार के रिश्ते बने हुए हैं। छिटपुट मौकों को छोड़ दिया जाए तो कोई बड़ा विवाद नहीं हुआ है।