टोक्यो पैरालंपिक्स में भारत के कृष्णा नागर ने इतिहास रचते हुए देश को पांचवां गोल्ड मेडल दिलाया. कृष्णा नागर ने रविवार को बैडमिंटन की पुरुष एकल (एसएच-6) स्पर्धा के फाइनल में हांगकांग के चू मन काई को हराकर गोल्ड जीता. शनिवार को एसएल-3 इवेंट में प्रमोद भगत द्वारा पुरुष एकल में खिताब जीतने के बाद यह टोक्यो पैरांलपिक्स में बैडमिंटन में देश का दूसरा गोल्ड मेडल है. इससे पहले टोक्यो पैरालंपिक्स में रविवार को नोएडा के डीएम सुहास एल यतिराज ने सिल्वर मेडल अपने नाम किया था.
मैच के दौरान कृष्णा नागर ने शानदार प्रदर्शन किया. उन्होंने 21-17, 16-21 और 21-17 से मैच अपने नाम कर लिया. यह मुकाबला 43 मिनट तक चला. कृष्णा ने सेमीफाइनल में ब्रिटेन के क्रिस्टन काॅम्ब्स को हराकर फाइनल में जगह बनाई थी.
कृष्णा नागर पहले गेम में अपने प्रतिद्वंद्वी से आगे रहे, लेकिन दूसरे गेम में हांगकांग के चू मन काई ने बराबरी करते हुए यह गेम जीत लिया. हालांकि कृष्णा ने हार नहीं मानी. उन्होंने तीसरा और आखिरी गेम जीतकर गोल्ड पर कब्जा जमाया.
पहले गेम की शुरुआत में ही नागर ने कुछ गलतियां की और जल्द ही काई ने 16-11 की बढ़़त बना ली. हालांकि भारतीय खिलाड़ी ने वापसी की और स्कोर को 15-16 कर दिया. हालांकि इस गेम में उन्होंने एक और अंक गंवाया और 15-17 से पिछड़ गए. हालांकि इसके बाद उन्होंने जबरदस्त वापसी की और अपने प्रतिद्वंद्वी को लगातार हैरान किया और पहले गेम को 21-17 से जीत लिया.
दूसरा गेम भी पहले जैसा ही रहा, जब चू मन काई ने बढ़त बना ली थी. हालांकि इस गेम में कृष्णा वापसी नहीं कर सके और इसे गंवा बैठे.
वहीं तीसरे और अंतिम गेम में कृष्णा नागर ने शानदार प्रदर्शन किया और शुरू में ही 5-1 की बढ़त बना ली. हालांकि काई ने एक समय पर 13-13 से मुकाबले को बराबरी पर ला दिया. बावजूद इसके कृष्णा ने कोई कसर नहीं छोड़ी और 21-17 से गेम जीता.
Noida DM सुहास ने सिल्वर मेडल जीत रचा इतिहास, बैडमिंटन में तीसरा पदक
टोक्यो पैरालंपिक में भारत का सुनहरा सफर रविवार को भी जारी रहा. नोएडा के डीएम सुहास एल यतिराज ने परुष बैडमिंटन सिंगल्स की स्पर्धा में सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास बना दिया. हालांकि एसएल4 क्लास फाइनल में सुहास फ्रांस के लुकास माजूर से नजदीकी मुकाबले में हारकर स्वर्ण पदक से चूक गए, लेकिन उन्होंने कांटे की टक्कर दी. माजूर ने सुहास को 15-21, 21-17, 21-15 से हराया. इसके साथ ही नोएडा के 38 वर्षीय डीएम सुहास पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने वाले पहले आईएएस अधिकारी भी बन गए हैं. सुहास की इस उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी बधाई दी है. गौरतलब है कि टोक्यो पैरालंपिक में बैडमिंटन में यह भारत का तीसरा पदक है. मौजूदा पैरालंपिक में भारत ने अब तक 18 पदक जीते हैं. भारत के खाते में अब 4 स्वर्ण, 8 रजत और 6 कांस्य पदक हैं. यह पैरालंपिक के इतिहास में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. इसके पहले 2016 के रियो पैरालंपिक में भारत ने 2 स्वर्ण सहित 4 पदक जीते थे.
ऐसा रहा सुहास का फाइनल मैच
अगर फाइनल की बात की जाए तो पहले गेम में फ्रांसीसी खिलाड़ी लुकास माजूर ने शानदार शुरुआत कर स्कोर 6-3 कर दिया था. इसके बाद सुहास ने आक्रामक खेल का प्रदर्शन किया और गेम अंतराल के समय 11-8 की बढ़त ले ली. फिर सुहास ने लगातार अंक बटोर कर स्कोर 17-12 पर ला दिया. हालांकि लुकास मजूर ने तीन प्वाइंट जरूर हासिल किए, लेकिन यह गेम जीतने के लिए नाकाफी थे. अंततः सुहास ने पहला गेम 20 मिनट में जीतकर 1-0 की बढ़त ली. दूसरे गेम में भी मजूर ने शानदार शुरुआत कर 8-6 की बढ़त ली. फिर सुहास ने लगातार पांच प्वाइंट हासिल कर स्कोर को 11-8 पर लाए. हालांकि माजूर शानदार वापसी कर 16-16 की बराबरी करने में सफल रहे. इसके बाद मजूर ने दो और अंक हासिल कर स्कोर 18-16 कर दिया. अंततः दूसरे गेम को लुकास मजूर ने 22 मिनट में जीतकर मैच में बराबरी कर ली. तीसरे गेम में दोनों खिलाड़ियों ने रोमांचक मुकाबला पेश किया. गेम अंतराल के समय सुहास 11-10 की मामूली बढ़त पर थे, लेकिन बाद में अपनी लय बरकरार नहीं रख पाए और माजूर ने लगातार अंक लेकर तीसरे गेम को 21 मिनट में जीत लिया. इस तरह सुहास गोल्ड के अपने सपने से महज एक कदम दूर रह गए.
आईएएस से पहले कंप्यूटर इंजीनियर की पढ़ाई की सुहास ने
आईएएस सुहास मूलतः कर्नाटक के रहने वाले हैं और उनके घुटनों में थोड़ा सा विकार है. कंप्यूटर इंजीनियर की बढ़ाई करने वाले सुहास ने कोर्ट के भीतर और बाहर कई उपलब्धियां हासिल की है. इसके साथ ही वह 2007 बैच के आईएसएस अधिकारी भी हैं. फिलहाल 2020 से सुहास नोएडा के जिलाधिकारी बतौर तैनात हैं. सिर्फ खेल ही नहीं सुहास ने कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में भी सार्थक योगदान दिया है. एनआईटी कर्नाटक से कंप्यूटर इंजीनियर के रूप में स्नातक सुहास नोएडा से पहले प्रयागराज, आगरा, आजमगढ़, जौनपुर, सोनभद्र जिलों में जिलाधिकारी पद की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं.