सुप्रीम कोर्ट में आज 9 नए जजों ने पदभार संभाल लिया है. चीफ जस्टिस एनवी रमना ने आज सुबह सभी को पद की शपथ दिलाई. जो 9 लोग आज सुप्रीम कोर्ट जज बने हैं, उनमें से 8 हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस या जज हैं. उनके अलावा एक वरिष्ठ वकील भी सीधे सुप्रीम कोर्ट जज नियुक्त हुए हैं.
आमतौर पर चीफ जस्टिस के कोर्ट रूम में होने वाला यह कार्यक्रम इस बार कुछ अलग था. नए जजों का शपथ ग्रहण कार्यक्रम सुप्रीम कोर्ट के नए भवन में बने सभागार में हुआ. इस ऑडिटोरियम में 900 लोगों के बैठने की व्यवस्था है. साथ ही पहली बार जजों के शपथ ग्रहण कार्यक्रम का दूरदर्शन पर सीधा प्रसारण भी किया गया.
किन किन जजों ने ली शपथ?
जस्टिस ए एस ओका
जस्टिस विक्रम नाथ
जस्टिस जे के माहेश्वरी
जस्टिस हिमा कोहली
जस्टिस बी वी नागरत्ना
जस्टिस बेला त्रिवेदी
जस्टिस सी टी रविंद्रकुमार
जस्टिस एम एम सुंदरेश
और वरिष्ठ वकील पी एस नरसिम्हा.
इन जजों में से भविष्य में जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बी वी नागरत्ना और पी एस नरसिम्हा भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने की संभावना हैं. अब तक सुप्रीम कोर्ट में कोई भी महिला चीफ जस्टिस नहीं हुई है. सितंबर 2027 में जस्टिस नागरत्ना के रूप में भारत को पहली महिला चीफ जस्टिस मिल सकती है. सुप्रीम कोर्ट में करीब 2 साल बाद हुई नई नियुक्तियों के बाद जजों के कुल 34 पदों में से 33 इन नियुक्तियों के बाद भर गए हैं.
दरअसल पिछले हफ्ते ही जस्टिस आरएफ नरीमन के रिटायर होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में जजों के 9 पद खाली थे. उनके रिटायर होने के बाद जस्टिस एलएन राव कॉलेजियम में शामिल हो गए थे. सूत्रों के मुताबिक, कॉलेजियम सदस्यों के बीच वैचारिक मतभेद होने की वजह से नामों पर सहमति नहीं बन पा रही थी, जिस वजह से नियुक्तियां अटकी हुई थीं. बुधवार को जस्टिस नवीन सिन्हा भी रिटायर हो गये हैं. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में खाली पड़े जजों के पदों की संख्या 10 हो जाएगी. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में जजों की तय संख्या चीफ जस्टिस समेत 34 है. अब जस्टिस नवीन सिन्हा के रिटायरमेंट के बाद जजों की संख्या 24 रह जाएगी.
बार से सीधे बने जज बने
सुप्रीम कोर्ट में वकीलों को सीधे जज बनाने की शक्ति संविधान के अनुच्छेद 124 से आती है. इसके अनुसार वह व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट में जज बन सकता है. जो कम से कम पांच साल हाईकोर्ट के जज रहे हों या हाईकोर्ट में कम से कम 10 साल वकालत की हो या राष्ट्रपति की राय में प्रमुख न्यायविद हो, लेकिन सु्प्रीम कोर्ट में अब तक तीसरी श्रेणी के लोगों को जज नहीं बनाया गया है. जो भी वकील सीधे जज बने हैं वह दूसरी श्रेणी यानी वकालत पेशे से ही आते हैं.