विदेशी कंपनियां व्यवसाय के लिए भारत आती हैं तो उन्हें भारत के कानूनों का पूरी तरह पालन करना चाहिए और भारतीय कानूनों के तहत होने वाले फैसलों का बिना नानुकुर किए पालन करना चाहिए। भारत सरकार को भी इन कंपनियों से निपटते समय अंतरराष्ट्रीय कानूनों के बारे में सतर्क रहना चाहिए ताकि केयर्न एनर्जी जैसे विवाद न हों। ब्रिटेन की पेट्रोलियम कंपनी केयर्न एनर्जी के साथ जारी कर विवाद में भारत सरकार को भारी झटका लगा है। समझा जाता है कि केयर्न एनर्जी ने एक फ्रांसीसी अदालत से भारत सरकार से हर्जाने की वसूली के लिए पेरिस स्थित २० भारतीय सरकारी संपत्तियों को जब्त करने का आदेश हासिल कर लिया है। दरअसल‚ एक मध्यस्थता अदालत ने दिसम्बर में भारत सरकार को आदेश दिया था कि वह केयर्न एनर्जी को ब्याज और जुर्माने की रकम मिलाकर १.७ अरब ड़ॉलर (१२‚५८० करोड़़ रुपए) लौटाए। भारत सरकार ने इस आदेश का पालन करने से इनकार कर दिया था। तत्पश्चात केयर्न एनर्जी ने भारत सरकार की संपत्तियां जब्त करके इस राशि की वसूली के लिए विदेश में अनेक न्यायालयों में अपील की थी। इस पर एक फ्रांसीसी अदालत ने भारत सरकार की संपत्ति जब्त करने का आदेश दे दिया। कोर्ट ने ११ जून को केयर्न एनर्जी को भारत सरकार की संपत्तियों का टेकओवर करने की इजाजत दी। सात जुलाई को इसकी कानूनी प्रक्रिया पूरी हो गई। इन संपत्तियों में ज्यादातर फ्लैट हैं जिनकी कीमत लगभग १७७ करोड़़ रुपये है। उधर भारत सरकार का कहना है कि उसे फ्रांस की किसी अदालत से कोई नोटिस‚ आर्ड़र या संदेश नहीं मिला है। सरकार तथ्यों की जांच कर रही है और कोई नोटिस मिला तो जानकारों से चर्चा कर आगे कदम उठाए जाएंगे। इससे पहले दिसम्बर‚ २०२० के दहेग कोर्ट ऑफ अपील के आदेश को खारिज करने के लिए सरकार ने २२ मार्च को अनुरोध किया है। भारत सरकार विवाद के सर्वमान्य और शातिपूर्ण समाधान के लिए केयर्न के पदाधिकारियों से खुलकर बातचीत के लिए तैयार है। ऐसे ही एक अन्य मामले में भारत सरकार देवास मल्टीमीडि़या के निवेशकों की कानूनी चुनौती का सामना कर रही है‚ जो एयर इंडि़या की विदेश स्थित संपत्तियों को जब्त कर अपना बकाया वसूलना चाहते हैं। इन विवादों का जल्द से जल्द निपटारा होना जरूरी है।
केयर्न विवाद:
ब्रिटेन की एनर्जी कंपनी केयर्न के साथ टैक्स विवाद को सुलझाने के लिए सरकार नियमों में बदलाव पर विचार कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक संभावित निपटारे के लिए केयर्न के साथ बातचीत हुई है और अगर जरूरी हुआ तो इसके लिए बजट में संशोधन किया जा सकता है। नीति नियामकों को आशंका है कि इस विवाद के लंबा खिंचने से अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के बीच देश की छवि खराब हो सकती है।
केयर्न एनर्जी ने गुरुवार को कहा कि फ्रांस के एक कोर्ट ने उसे पेरिस स्थित भारत सरकार की संपत्ति जब्त करने की इजाजत दे दी है। फ्रांसीसी अदालत के इस फैसले से वहां स्थित भारत सरकार की 20 संपत्तियां प्रभावित होंगी, जिनकी कीमत 2 करोड़ यूरो यानी 177 करोड़ रुपये से अधिक है। इसमें से कुछ संपत्ति पेरिस से सबसे महंगे इलाकों में हैं। इससे केंद्र सरकार अब इस मामले को जल्दी से जल्दी निपटाना चाहती है।
बजट में संशोधन
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘इस मुद्दे की कानूनी समीक्षा की जा रही है।’ एक अन्य अधिकारी ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो बजट में संशोधन किया जा सकता है। मध्यस्थता अदालत ने केयर्न को 1.7 अरब अमेरिकी डॉलर का हर्जाना वसूलने का अधिकार दिया था। इसकी वसूली के लिए कंपनी ने अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, सिंगापुर, मॉरीशस और कनाडा की अदालतों में भी भारत के खिलाफ केस कर रखे हैं।
समस्या यह है कि हेग के पर्मानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन ने टैक्स लगाने के सॉवरेन अधिकार पर ही सवाल उठाए हैं। सरकार किसी भी तरह के निपटारे से पहले जजमेंट के इस पहलू का समाधान चाहती है। वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को एक बयान में कहा था कि केयर्न एनर्जी के सीईओ और प्रतिनिधियों ने इस मुद्दे के समाधान के लिए सरकार से संपर्क साधा था। इस पर रचनात्मक बातचीत हुई है और सरकार देश के कानून के तहत इस विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए खुलकर बातचीत करने को तैयार है। केयर्न एनर्जी के एक प्रवक्ता ने कहा कि हम भारत सरकार के साथ शांतिपूर्ण समाधान के साथ इस मुद्दे को बंद करना चाहते हैं। इस बारे में इस साल फरवरी से सरकार को कई विस्तृत प्रस्ताव दिए हैं।
क्या है व्यवस्था
विवादों के निपटारे के लिए द्विपक्षीय कर संधियों में Mutual Agreement Procedure तहत व्यवस्था है लेकिन दो देशों की सरकारों के बीच एग्रीमेंट है। भारत ने 2018 में नोकिया के साथ कर विवाद को सुलझाने के लिए इस मैकेनिज्म का इस्तेमाल किया था। मुंबई के एक टैक्स एक्सपर्ट ने कहा कि सरकार मौजूदा लीगल फ्रेमवर्क के प्रावधानों का इस्तेमाल कर सकती है या एक अलग व्यवस्था बनाने पर विचार किया जा सकता है।
क्या है मामला
केयर्न ब्रिटेन की कंपनी है। उसने 2007 में भारत में अपनी कंपनी को सूचीबद्ध कराने के लिए आईपीओ पेश किया था। इससे एक साल पहले उसने केयर्न इंडिया के साथ भारत में अपनी कई इकाइयों का विलय किया था। लेकिन इससे इनके मालिकाना हक में कोई बदलाव नहीं हुआ था। केयर्न ने इसके लिए फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (FIPB) से इजाजत ली थी। भारत में टैक्स विभाग ने उसे कैपिटल गेंस टैक्स का नोटिस भेजा।
भारत में टैक्स डिपार्टमेंट ने 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक बकाये (Capital Gains Tax) के एवज में केयर्न इंडिया के 10 फीसदी शेयरों को अपने कब्जे में ले लिया। इस मामले की सुनवाई के बाद नीदरलैंड्स में हेग के आर्बिट्रेशन कोर्ट ने भारत सरकार के खिलाफ फैसला सुनाया। उसने ब्याज सहित यह रकम केयर्न को चुकाने का निर्देश दिया।