बिहार में अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर बीजेपी के विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने अपनी ही सरकार के मंत्रियों पर सवाल उठाया है. ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने कहा कि इसमें ज्यादातर बीजेपी के मंत्री शामिल हैं. इसमें खुलकर पैसा लिया गया है और एक-एक अफसर को 5-5 बार फोन किया गया कि आप आइए, पैसा दीजिए तब आपका ट्रांसफर होगा. बीजेपी विधायक की ओर से अपनी ही सरकार के मंत्रियों पर इस तरह के आरोप के बाद सरकार घिरती नजर आ रही है.
बीजेपी विधायक ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तबीयत खराब होने की वजह से उनसे मुलाकात नहीं हो सकी है. जैसे ही वे ठीक होंगे उनसे मिलकर ये सारी बातें उन्हें बताउंगा. इसमें जेडीयू के एक-आध ही शामिल हैं पर बीजेपी के ज्यादा हैं. नीतीश कुमार के कारण जेडीयू में इन सभी चीजों पर नियंत्रण है और जो एक मंत्री हैं जो कि बाहर से आए हैं वो अभी नीतीश को जान नहीं पाए हैं.
‘विपक्ष कुछ भी बोलता रहे पर सरकार पांच साल चलेगी’
बीजेपी के कौन-कौन मंत्री हैं इस सवाल पर जवाब देते हुए कहा, “मंत्रियों के नाम का खुलासा समय आने पर करेंगे, अभी इतना काफी है. मेरे पास ऐसे बहुत लोग आए थे जिनसे पैरवी के लिए उनसे पैसा लिया गया. पुराने एमएलए होने के कारण बहुत सारे अधिकारी भी हमारे संपर्क में हैं और उन्होंने भी यही बात बताई. एनडीए सरकार को इससे कोई खतरा नहीं, वो तो आगे के लिए और स्वच्छ और सतर्क हो जाएगी, भले विपक्ष कुछ भी बोलता रहे पर सरकार पांच साल चलेगी.”
मुख्यमंत्री को देना चाहिए इसका जवाबः मृत्युंजय तिवारी
इधर, बीजेपी विधायक के इन आरोपों के बाद अब विपक्ष भी हमलावर हो गया है. आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि सुशासन चाहे जितना ढोल पीटे लेकिन पोल खुल गई है. बीजेपी के विधायक ने भ्रष्टाचार की पोल खोलकर रख दी है. नेता प्रतिपक्ष जो लगातार आरोप लगा रहे थे कि चारों ओर भ्रष्टाचार है. ये अब सत्ताधारी दल के नेता और बीजेपी के विधायक भी कह रहे हैं, 80 फीसद भ्रष्टाचारी लोग सरकार में हैं. इसका जवाब मुख्यमंत्री को देना चाहिए. जिस तरह बीजेपी विधायक ने आरोप लगाया है ये गंभीर सवाल है और बिहार की जनता के गाढ़ी कमाई को लूटने वालो को इतनी छूट नहीं दी जाएगी.
समाज कल्याण मंत्री मदन साहनी ने की इस्तीफे की घोषणा
बता दें कि ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर बिहार सरकार के समाज कल्याण मंत्री मदन साहनी ने गुरुवार को इस्तीफे की घोषणा कर दी. मदन साहनी ने कहा कि घर और गाड़ी लेकर क्या करूंगा जब जनता की सेवा ही नहीं कर पा रहा हूं. जब अधिकारी मेरी सुनेंगे नहीं तो जनता की सेवा कैसे करूंगा. अगर जनता का काम नहीं कर सकता तो मंत्री बने रहने का कोई मतलब नहीं है.