लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में टूट प्रकरण अब लंबा खींचने वाला है। अपने चाचा पशुपति पारस के रुख को देखते हुए चिराग पासवान ने भी आक्रामक तेवर अख्तियार कर लिया है। पार्टी संसदीय दल के नेता बने हाजीपुर के सांसद पशुपति कुमार पारस खेमे ने चिराग पासवान को जहां पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया‚ वहीं चिराग खेमे ने पशुपति पारस समेत पांच सांसदों को तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित कर दिया। ॥ चिराग पासवान ने पार्टी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की वर्चुअल बैठक की‚ जिसमें कई राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष शामिल हुए। बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया कि जिन पांच सांसदों ने बगावत की है‚ उन्हें पार्टी से निष्कासित किया जाये। शेष सभी लोग संगठन में काम करते रहेंगे और संगठन को मजबूत करेंगे। इसके बाद चिराग पासवान ने पांच सांसदों पशुपति कुमार पारस‚ वीणा देवी‚ महबूब अली कैसर‚ चंदन सिंह और प्रिंस राज को तत्काल पार्टी से निष्कासित करने की घोषणा की। इन सभी सांसदों पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने और राष्ट्रीय नेतृत्व के खिलाफ साजिश करने का दोषी पाये जाने पर कार्रवाई की गई है। इससे पूर्व पशुपति पारस ने पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद सूरजभान सिंह को अब कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया है। सूरजभान सिंह को जिम्मेवारी दी गई है कि वह पार्टी के नए अध्यक्ष का चुनाव कराएंगे। इसके लिए १७ जून को पटना में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई जाएगी जिसमें नये अध्यक्ष का चुनाव होगा। चिराग पासवान ने मंगलवार को अपने चाचा व हाजीपुर के सांसद पशुपति कुमार पारस को होली पर्व के समय लिखे गये मार्मिक पत्र को भी सार्वजनिक किया। रामविलास पासवान के निधन के बाद लिखे इस पत्र में चिराग ने पशुपति पारस को उनका बेटा कहकर संबोधित किया है। चिराग ने पत्र में सिलसिलेवार ढंग से जिक्र किया है कि किस तरह उनके चाचा संबंधों को लेकर उदासीन हो गये। चिराग ने कहा कि पारस ने हमलोगों से संवाद खत्म कर लिया था। ज्ञात हो कि लोजपा में टूट का प्रकरण पिछले दो दिनों से हो रहा है। एक दिन पहले ही लोकसभा सचिवालय ने पशुपति कुमार पारस को सदन में लोजपा के नेता के तौर पर मान्यता दी थी। इसके बाद दोनों धड़़ों ने आनन–फानन में पार्टी पर नियंत्रण पाने की कोशिशें तेज कर दीं। पारस पार्टी संस्थापक दिवंगत रामविलास पासवान के सबसे छोटे भाई हैं। दोनों धड़़े पार्टी पर अपने नियंत्रण का दावा कर रहे हैं। मामला चुनाव आयोग तक पहुंच गया है। जानकारी के मुताबिक बिहार में लोजपा से अलग हुए कई नेताओं ने चिराग का हाथ मजबूत करने की योजना बनाई है।
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