कोरोना में अनाथ हुए बच्चों की देखभाल राज्य सरकार करेगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में रहने वाले वैसे बच्चे‚ जिनके माता–पिता दोनों की मृत्यु हो गई है अथवा इनमें से कम से कम एक की मौत कोरोना संक्रमण से हुई है‚ उन्हें ‘बाल सहायता योजना’ के अंतर्गत १८ वर्ष की उम्र होने तक १५०० रुपये प्रतिमाह देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने रविवार को सोशल नेटवकिग साइट ट्विटर पर ट्वीट कर यह जानकारी दी। उन्होंने कहा‚ ‘राज्य में रहने वाले वैसे बच्चे और बच्चियों जिनके अभिभावक नहीं हैं‚ उनकी देखरेख बालगृह में की जाएगी।
सरकार की ओर से ऐसे बच्चों के लिए निःशुल्क शिक्षा का भी प्रबंध किया गया है। अनाथ बच्चियों का कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय में प्राथमिकता के आधार पर नामांकन कराया जाएगा। गौरतलब हो कि शनिवार को ही केंद्र सरकार ने कोरोना की वजह से अनाथ हुए बच्चों की मदद के लिए पीएम केयर फंड से कई योजनाओं का ऐलान किया। इस योजना के तहत मोदी सरकार कोरोना से अपने माता–पिता को खोने वाले बच्चों की शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य तक में मदद करेगी। सरकार की ओर से अनाथ बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाएगी और उनका हेल्थ बीमा भी किया जाएगा। इस तरह के बच्चों के नाम पर सावधि जमा योजना शुरू की जाएगी और पीएम केयर्स कोष से एक विशेष योजना के तहत इसमें योगदान दिया जाएगा ताकि १८ वर्ष की आयु पूरी करने पर प्रत्येक के लिए १० लाख रुपए का कोष बनाया जा सके। इस कोष का इस्तेमाल १८ वर्ष के बाद अगले पांच वर्षों तक उन्हें मासिक वित्तीय सहयोग देने में किया जाएगा ताकि उच्च शिक्षा के वर्षों में वे अपनी निजी जरूरतों को पूरा कर सकें। २३ वर्ष की उम्र में निजी और पेशेवर इस्तेमाल के लिए उन्हें एक निश्चित धन राशि दी जाएगी।
उधर‚ रविवार को पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने नीतीश सरकार द्वारा की गयी घोषणा का स्वागत किया। उन्होंने अपील की कि कोरोना से बेसहारा हुए बच्चों के लिए सरकार के साथ–साथ समाज भी आगे आये। उन्होंने कहा कि इस संकट की घड़ी में समाज के हर समर्थ व्यक्ति को कम से कम दो बेसहारा हुए बच्चों का खर्च उठाने के लिए आगे आना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि परिवार के पालक सदस्य की कोरोना से मौत होने पर बेसहारा हुए बच्चों को सहारा देने के लिए पैकेज की घोषणा कर प्रधानमंत्री ने भारत का भविष्य बचाने की बड़ी पहल की। इससे अनाथ बच्चों को १८ वर्ष की उम्र तक मुफ्त शिक्षा मिलेगी‚ उनका दाखिला केंद्रीय विद्यालयों में कराया जाएगा‚ खर्च सरकार उठायेगी और उनके २३ साल के होने पर मासिक सहायता के लिए फंड दिया जाएगा। वहीं बिहार सरकार ने ऐसे बच्चों को बाल सहायता में शामिल करते हुए उनकी मासिक सहायता राशि १००० रुपये से बढा कर इसे १५०० रुपये कर दिया।