बढते पर्यावरण प्रदूषण एवं जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखकर बिहार सरकार वन एवं हरित आच्छादन को बढाने हेतु लगातार प्रयासरत है। इसमें ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संचालित मनरेगा योजना की महत्वपूर्ण भूमिका है। वित्तीय वर्ष २०२१–२२ में मनरेगा योजना के तहत दो करोड पौधे लगाने का लक्ष्यग्रामीण विकास विभाग ने रखा है। इसकी तैयारी विभाग द्वारा शुरू की जा चुकी है। ये बातें ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने चर्चा के दौरान बतायी।
मंत्री श्री कुमार ने बताया कि मनरेगा के तहत सामाजिक वानिकी योजना अंतगंर्त राज्य के सभी ३८ जिलों की सभी ग्राम पंचायतों में सघन वृक्षारोपण अभियान चलाकर इस वित्तीय वर्ष में दो करोड पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें डे़ढ़ करोड काष्ठ पौधे एवं ५० लाख फलदार पौधे शामिल हैं। इस योजना के तहत ग्रामीण कार्य विभाग की सडकों के किनारे वृक्षारोपण‚ जल सरंक्षण संचयन संरचनाओं के किनारे वृक्षारोपण एवं निजी भूमि पर वृक्षारोपण पर फोकस किया जाएगा। विगत वित्तीय वर्ष में मनरेगा योजना के तहत १.२० करोड पौधे लगाए गए थे। विभागीय मंत्री श्रवण कुमार ने निजी भूमि पर वृक्षारोपण की चर्चा करते हुए बताया कि निजी भूमि पर काष्ठ अथवा फलदार दोनों पौधे लगाए जा सकते हैं। फलदार पौधों में आम‚ लीची‚ जामुन‚ कटहल‚ आंवला‚ बेल‚ नींबू‚ अमरूद आदि का चयन स्थल विशेष की जलवायु एवं मि^ी के आधार पर किया जा सकता है। निजी भूमि पर लगाये जाने वाले पौधों से प्राप्त लकडी एवं फल पर भूमि मालिक का ही हक होगा। एक परिवार के पास २०० पौधों के लिए भूमि उपलब्ध नहीं होने पर २ से ३ परिवारों को एक इकाई यानी २०० पौधे लगाये जाने का प्रावधान मनरेगा योजना में किया गया है ताकि छोटे किसानों को भी इसका लाभ मिल सके। अनुमान्य श्रेणी के व्यक्तियों की निजी भूमि पर लगाये गये पौधों की सुरक्षा हेतु गेबियन के साथ ही सिंचाई हेतु चापाकल अथवा ट्राली से पटवन की सुविधा भी प्रदान की जाती है। निजी भूमि के मामले में यदि दो ईकाई के क्लस्टर २०० मीटर की दूरी के अन्दर उपलब्ध हो तो उन दो इकाइयों के लिए एक चापाकल का प्रावधान किया जा सकता है। निजी भूमि पर क्लस्टर की अनुपलब्धता की स्थिति में एक इकाई पर भी एक चापाकल का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त पौधों की देखभाल हेतु वनपोषकों की मजदूरी भुगतान का प्रावधान है।